
رضوی
आयतुल्ला बशीर हुसैन नजफ़ी से अल्लामा अबताही ने मुलाकात की
आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने अपने केंद्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ़ में, इस्लामी गणराज्य ईरान से आए अल्लामा अबताही और उनके प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।
आयतुल्लाह अल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने केंद्रीय कार्यालय में अल्लामा अब्तही का उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ स्वागत किया इस मुलाक़ात में उलेमा और इस्लामिक समाज के बीच संबंधों को मजबूत करने पर ज़ोर दिया।
अतिथि प्रतिनिधिमंडल ने अल्लामा अब्तही की किताबें और उनके संगठन के प्रकाशन मरज ए आली क़द्र की ख़िदमत में प्रस्तुत किए,जो उनके सक्रिय संस्थान की बौद्धिक और शैक्षणिक सेवाओं को दर्शाता है।
मरज ए आली क़द्र ने क़ौम के निर्माण में ज्ञान और संस्कृति के महत्व को बताया और उनकी सेवाओं की सराहना की।
मरज ए आली क़द्र ने प्रतिनिधिमंडल और इस्लाम राष्ट्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए और क़यामत के दिन पैगंबर (स अ व आ व) और उनके अहलेबैत (अस) की शिफ़ाअत के लिए बारगाहे ख़ुदावन्दी में दुआ की।
इस्राईल की रक्षा के लिए अपनी सेना तैनात करेगा अमेरिका
अमेरिका के समर्थन से पिछले एक साल से अधिक समय से फिलिस्तीन ओर लेबनान में जनसंहार में लगे इस्राईल के खिलाफ प्रतिरोध के करारे प्रहार से हैरान अमेरिका अब खुद इस्राईल के बचाव के लिए मैदान में उतर आया है।
सीएनएन ने कहा है कि अमेरिकी सेना के लगभग 100 सैनिकों को THAAD मिसाइल रक्षा प्रणाली के साथ काम करने के लिए मक़बूज़ा फिलिस्तीन के क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।
इससे पहले एनबीसी न्यूज चैनल ने पेंटागन के एक अधिकारी के हवाले से खबर दी थी कि वाशिंगटन अवैध राष्ट्र इस्राईल पर ईरान के जवाबी मिसाइल हमलों का मुकाबला करने के लिए मक़बूज़ा फिलिस्तीन के क्षेत्रों में THAAD रक्षा प्रणाली तैनात करने पर सहमत हो गया है।
ज़बरन युद्ध में इज़राइल सरकार की हार निश्चित है: मौलवी अब्दुर्रहमान ख़ुदाई
ईरान के शहर बानेह के इमाम ए जुमआ ने कहा,आज इज़राईल खुद को प्रतिरोध के मोर्चे के खिलाफ जंग में फंसा हुआ महसूस कर रहा हैं। इसमें कोई शक़ नहीं कि इस ज़बरन युद्ध में इज़राईल सरकार की हार निश्चित है इसलिए इस्लामी देशों को इस पर विश्वास रखते हुए ग़ाज़ा, फ़िलस्तीन और लेबनान की जनता की मदद करनी चाहिए।
एक रिपोर्टर को इंटरव्यू देते हुए, शहर बानेह के अहले सुन्नत इमाम-ए-जुमआ मौलवी अब्दुर्रहमान ख़ुदाई ने कहा,प्रतिरोधी मोर्चे के साथ युद्ध में ज़ायोनियों को आंतरिक रूप से भी तबाही का सामना करना पड़ा है।
इसलिए आज ज़ायोनी और पश्चिमी दुनिया मुसलमानों के खिलाफ व्यापक मानसिक हमले कर रही है, जिससे सभी मुसलमानों को सतर्क रहने की ज़रूरत है।
शहर बानेह के इमाम-ए-जुमआ ने आगे कहा, ज़ायोनी दुश्मन ने युद्ध और सैन्य अपराधों के साथ-साथ इस्लामी दुनिया, विशेष रूप से इस्लामी गणराज्य के खिलाफ एक व्यापक मीडिया और मानसिक मोर्चा खोला हुआ है, जिसे हम इन दिनों देख रहे हैं इंशा अल्लाह, सभी क्षेत्रों में ज़ालिम इज़राईल को करारी हार मिलेगी।
मौलवी ख़ुदाई ने कहा, याद रखें कि जब भी ज़ायोनी दुश्मन देखेगा कि इस्लामी देश ग़ाज़ा लेबनान और फ़लस्तीन के लोगों से अलग-थलग हैं, तो निस्संदेह वे मैदान को अपने लिए खाली पाएंगा और यह स्पष्ट है कि यही स्थिति आज उन जगहों पर मुसलमानों के नरसंहार का कारण बन रही है।
इस अहले सुन्नत आलिम ने कहा, आज ज़ायोनी खुद को प्रतिरोधी मोर्चे के मुकाबले में बिखराव की लड़ाई में देख रहे हैं, इसलिए इस्लामी देशों को भी चाहिए कि वे जल्द से जल्द ग़ाज़ा, फ़िलस्तीन और लेबनान के मुसलमानों की पुकार का सकारात्मक जवाब दें।
मौलवी अब्दुर्रहमान ख़ुदाई ने कहा, हमें उम्मीद है कि इस्लामी दुनिया की दूरदर्शिता दुनिया की अन्य क़ौमों को जागरूक करने का कारण बनेगी और बहुत जल्द यह ज़ालिम और इंसानियत का दुश्मन ज़ायोनी राज्य धरती के पटल से गायब हो जाएगी।
जिहाद के रास्ते में दृढ़ता और निरंतरता हक़ के मोर्चे को बातिल पर जीत दिलाएगी।
हरम ए मुत्तहर हज़रत मासूमा स.ल. के मुतवल्ली ने कहा, कर्तव्यों की अदायगी में धैर्य और सहनशीलता जीत की बुनियाद बनती है डॉ. क़ालीबाफ का वर्तमान परिस्थितियों में बेरूत जाना और प्रतिरोधी मोर्चे का समर्थन करना एक साहसिक और सराहनीय क़दम था।
हरम ए मुत्तहर हज़रत मासूमा स.ल. के मुतवल्ली ने कहा, कर्तव्यों की अदायगी में धैर्य और सहनशीलता जीत की बुनियाद बनती है डॉ. क़ालीबाफ का वर्तमान परिस्थितियों में बेरूत जाना और प्रतिरोधी मोर्चे का समर्थन करना एक साहसिक और सराहनीय क़दम था।
आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सईदी ने कहा,हज़रत मासूमा सलामुल्लाह अलैहा का इमामजादों में एक खास मक़ाम है आप सलामुल्लाह अलैहा (मोहाजिर इलल्लाह)होने के साथ-साथ (मुजाहिदा फी सबीलिल्लाह)भी थीं।
उन्होंने कहा,उम्मत ए इस्लामिया की जीत निश्चित है, लेकिन कभी-कभी यह जीत कुछ देर से आती है, जिसमें इलाही हिकमत छिपी होती है इन्हीं हिकमतों में से एक, पर्दे के पीछे छिपे ऐसे दुश्मनों की पहचान है, जो खुद को मुसलमानों का दोस्त दिखाते हैं जबकि असल में वो पर्दे के पीछे ग़ासिब इसरायली हुकूमत से मिले होते हैं।
आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सईदी ने कहा,जिहाद के रास्ते में दृढ़ता और निरंतरता हक के मोर्चे को बातिल पर जीत दिलाएगी और यह अल्लाह का पक्का वादा है इमाम-ए-जुमआ क़ुम ने आगे कहा,फ़र्ज़ की अदायगी में धैर्य और सहनशीलता जीत की बुनियाद बनती है।
उन्होंने ईरान की मजलिस-ए-शूरा के स्पीकर के बहादुराना क़दम का ज़िक्र करते हुए कहा,डॉक्टर क़ालीबाफ का मौजूदा हालात में बेरूत जाना और प्रतिरोधी मोर्चे का समर्थन करना एक साहसिक और सराहनीय क़दम था इसने लोगों के दिलों को छू लिया और मोमिनीन की ख़ुशी का कारण बना।
भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान पहुंचे, शिखर सम्मलेन में लेंगे भाग
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान पहुँच गए हैं। नूर खान एयरबेस पर पाकिस्तान के उच्चाधिकारियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। जयशंकर एससीओ सदस्य देशों के स्वागत के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मेजबानी में आयोजित डिनर में शामिल होंगे।
9 साल में किसी भारतीय विदेश मंत्री की ये पहली पाकिस्तान यात्रा है. इससे पहले पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज ने 2015 में अफगानिस्तान पर एक सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद का दौरा किया था।
मस्जिद के पास डीजे की धुन पर आपत्तिजनक नारे, बाराबंकी में फसाद की साज़िश
बहराइच के बाद एक बार फिर मुस्लिम समुदाय को टारगेट करते हुए आपत्तिजनक नारे लगाए गए तथा मस्जिद के सामने जमकर अपमानजनक हरकतें की गई।
बहराइच का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि बाराबंकी में मूर्ति विसर्जन जुलूस के दौरान एक बार फिर मुस्लिम समाज को निशाना बनाने की योजना के अंतर्गत मस्जिद के पास डीजे पर आपत्तिजनक गाने बजाए गए।
जुलूस में शामिल असामाजिक तत्वों ने मस्जिद के अंदर जूते-चप्पल और रंग फेंका। इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि बाकी लोगों की तलाश जारी है।
पुलिस को मिली तहरीर के मुताबिक़ उन्मादी लोगों ने मस्जिद के सामने डीजे पर आपत्तिजनक गाने बजाए। साथ ही हिंदू पक्ष के लोगों ने मस्जिद पर जूते चप्पल और रंग भी फेंका। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
युद्ध एक भ्रम है,यह कभी भी शांति और सुरक्षा नहीं लाएगाः
दक्षिणी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर इजरायली सेना द्वारा गोलीबारी के बाद, पोप ने सैनिकों का सम्मान करने का आह्वान करते हुए कहा कि युद्ध एक भ्रम है,यह कभी भी शांति और सुरक्षा नहीं लाएगा।
हाल ही में हुई घटनाओं के बाद, जिसमें इज़रायली सेना की गोलीबारी में कम से कम चार संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक घायल हो गए, पोप फ्रांसिस ने सैनिकों का "सम्मान" करने की अपील की है।
पोप फ़ांसिस द्वारा एक बार फिर मध्य पूर्व में तत्काल युद्ध विराम के आह्वान करने के बाद यह अपील की गई, जिसमें पक्षों से "शांति प्राप्त करने के लिए कूटनीति और संवाद के मार्ग का अनुसरण करने" का आग्रह किया। पोप फ्रांसिस अक्टूबर 2023 से इस क्षेत्र में शत्रुता को रोकने का आह्वान कर रहे हैं, जो कि किसी भी अन्य विश्व नेता द्वारा किए गए आह्वान का अधिक लंबा समय है।
पोप ने आगे कहा, "युद्ध एक भ्रम है," "यह कभी शांति नहीं लाएगा, यह कभी सुरक्षा नहीं लाएगा। यह सभी के लिए हार है, खासकर उन लोगों के लिए जो खुद को अजेय मानते हैं।" उन्होंने कहा, "मैं सभी पीड़ितों के लिए दुआ करता हूं," "विस्थापितों के लिए, बंधकों के लिए - जिनके बारे में मुझे आशा है कि उन्हें तुरंत रिहा कर दिया जाएगा - और मैं दुआ करता हूं कि घृणा और बदले की भावना से उत्पन्न यह बड़ी अनावश्यक पीड़ा जल्द ही समाप्त हो जाएगी।"
हज़रत फ़ातिमा मासूमा.कि शहदत: ईरान में शोक मनाया गया
ईरान और विशेष रूप से क़ुम अलमुकद्देसा में आठवें इमाम अली रज़ा अ.स. की बहन हज़रत फ़ातिमा मासूमा शहादत के मौके पर मोमनिन ने ग़म मानते हुए अजादारी की।
हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.अ.सोमवार 10 रबीउस्सानी की बरसी का दिन था हज़रत मासूमा का स्वर्गवास क़ुम में हुआ था और इसी शहर में उनका रौज़ा स्थित है।
हज़रत मासूमा का रौज़ा शिया मुसलमानों के पवित्र स्थलों में से एक है और हर साल लाखों लोग उनके रौज़े की ज़ियारत करने क़ुम जाते हैं।
उनके स्वर्गवास की बरसी के अवसर पर भी पूरे ईरान और पूरी दुनिया से पैग़म्बरे इस्लाम (स.ल.व.) के चाहने वाले बड़ी संख्या में क़ुम पहुंचे हैं और अज़ादारी कर रहे हैं।
क़ुम में मातमी दस्ते मातम करते हुए और नौहा पढ़ते हुए हज़रत मासूमा के रौज़े में पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
क़ुम के उपनगरीय इलाक़े जमकरान में स्थित जमकरान मस्जिद में भी बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हैं और शोक सभाएं आयोजित कर रहे हैं।
हिज़्बुल्लाह अवैध राष्ट्र के किसी भी हिस्से को निशाना बनाने में सक्षम
हिज़्बुल्लाह लेबनान के उप महासचिव शैख़ नईम क़ासिम ने अपने संबोधन में हिज़्बुल्लाह की क्षमताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि हम अवैध राष्ट्र के किसी भी क्षेत्र पर हमला करने का क़ानूनी हक़ रखते हैं।
हिज़्बुल्लाह लेबनान की मिसाइल क्षमता पर हमला करने में ज़ायोनी सेना की विफलता की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "दुश्मन ने हमारी मिसाइल क्षमताओं पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहे। हमारा दुश्मन बौखला गया है वह हताश है और उसकी असंख्य सैन्य क्षमताएं भी उसके किसी काम नहीं आईं। इसलिए, उसने अब आम लोगों के साथ साथ UNIFIL बलों और तटस्थ लेबनानी सैनिकों को भी मारना शुरू कर दिया है।
शेख नईम क़ासिम ने कहा अतिक्रमणकारी ज़ायोनी सेना ने पूरे लेबनान को निशाना बनाया, हमें भी ज़ायोनी शासन के किसी भी बिंदु को निशाना बनाने का अधिकार है, हम जिस लक्ष्य को भी उचित समझेंगे उसे हमलों का निशाना बनाएंगे।
मासूमाऐ क़ुम जनाबे फातेमा बिन्ते इमाम काज़िम (अ.स.)
इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) की पेशीन गोई
सादिक़े आले मोहम्मद हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) इरशाद फ़रमाते हैं कि अल्लाह की वजह से मक्का ए मोअज़्ज़मा हरम , रसूल अल्लाह (स.अ.) की वजह से मदीना हरम , अमीरल मोमेनीन (अ.स.) की वजह से कूफ़ा (नजफ़) हरम है और हम दीगर अहले बैत की वजह से शहरे क़ुम हरम है और अन क़रीब इस शहर में हमारी औलाद से एक मोहतरमा दफ़्न होंगी जिनका नाम होगा ‘‘ फ़ात्मा बिन्ते इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) ’’
(सफ़ीनतुल बेहार जिल्द 2 सफ़ा 226)
क़ुम में हज़रत मासूमा ए क़ुम की आमद
हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) की पेशीन गोई के मुताबिक़ बा रवायते अल्लामा मजलिसी (र. अ.) हज़रत फ़ात्मा बिन्ते इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) हमशीरा हज़रत इमाम रज़ा (अ.स.) उस ज़माने में यहां तशरीफ़ लाईं जब कि 200 हिजरी में मामून रशीद ने हज़रत इमाम रज़ा (अ.स.) को जबरन मरू बुलाया था। अल्लामा शेख़ अब्बास क़ुम्मी लिखते हैं कि जब मामून रशीद ने इमाम रज़ा (अ.स.) को बजब्रो इक़राह वली अहद बनाने के लिये दारूल ख़ुलफ़ा मरू में बुला लिया था तो इसके एक साल बाद हज़रत फ़ात्मा (अ.स.) भाई की मोहब्बत से बेचैन हो कर ब इरादा ए मरू मदीना से निकल पड़ी थीं। चुनान्चे मराहले सफ़र तय करते हुए बा मुक़ाम ‘‘ सावा ’’ पहुँची तो अलील हो गईं। जब आपकी रसीदगी सावा और अलालत की ख़बर मूसा बिन खि़ज़रिज़ बिन साद क़ुम्मी को पहुँची तो वह फ़ौरन हाज़िरे खि़दमत हो कर अर्ज़ परदाज़ हुए कि आप क़ुम तशरीफ़ ले चलें। उन्होंने पूछा की क़ुम यहां से कितनी दूर है। मूसा ने कहा कि 10 फ़रसख़ है। वह रवानगी के लिये आमादा हो गईं चुनान्चे मूसा बिन खि़ज़रिज़ उनके नाक़े की मेहार पकड़े हुए कु़म तक लाए। यहां पहुँच कर उन्हीं के मकान में जनाबे फ़ात्मा ने क़याम फ़रमाया। भाई की जुदाई का सदमा शिद्दत पकड़ता गया और अलालत बढ़ती गई यहां तक कि सिर्फ़ 17 यौम के बाद आपने इन्तेक़ाल फ़रमाया। ‘‘ इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन ’’ आपके इन्तेक़ाल के बाद से गु़स्लो कफ़न से फ़राग़त हासिल की गई और ब मुक़ाम ‘‘ बाबलान ’’ (जिस जगह रोज़ा बना हुआ है) दफ़्न करने के लिये ले जाया गया और इस सरदाब में जो पहले से आपके लिये (क़ुदरती तौर पर) बना हुआ था उतारने के लिये बाहमी गुफ़्तुगू शुरू हुई कि कौन उतारे फ़ैसला हुआ कि ‘‘ क़ादिर ’’ नामी इनका ख़ादिम जो मर्दे सालेह है वह क़ब्र में उतारे इतने में देखा गया कि रेगज़ार से दो नक़ाब पोश नमूदार हुए और उन्होंने नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और वही क़ब्र में उतरे फिर तदफ़ीन के फ़ौरन बाद वापस चले गए। यह न मालूम हो सका कि दोनों कौन थे। फिर मूसा बिन खि़ज़रिज़ ने क़ब्र पर बोरिया का छप्पर बना दिया इसके बाद हज़रत ज़ैनब बिन्ते हज़रत इमाम मोहम्मद तक़ी (अ.स.) ने क़ुब्बा बनवाया । (मुन्थी अलमाल जिल्द 2 सफ़ा 242) फिर मुख़्तलिफ़ अदवार शाही में इसकी तामीर व तज़ीन होती रही तफ़सील के लिये मुलाहेजा़ हो ।
(माहनामा अल हादी क़ुम ईरान ज़ीक़ाद 1393 हिजरी सफ़ा 105)
हज़रत मासूमा ए क़ुम की ज़ियारत की अहमियत
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) फ़रमाते हैं कि जो मासूमा ए कु़म की ज़्यारत करेगा उसके लिए जन्नत वाजिब होगी। हदीस अयून के अल्फ़ाज़ यह हैं ‘‘ मन जारहा वजबत लहा अलजन्नता ’’ (सफ़ीनतुल बिहार जिल्द 2 सफ़ा 426) अल्लामा शेख़ अब्बास कु़म्मी , अल्लामा क़ाज़ी नूरूल उल्लाह शुस्तरी (शहीदे सालिस) से रवाएत करते हैं कि हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) इरशाद फ़रमाते हैं कि ‘‘ तद खि़ल ब शफ़ाअताहा शैती अ ल जन्नता ’’ मासूमा ए क़ुम की शिफ़ाअत से कसीर शिया जन्नत में जाएगें। (सफ़ीनतुल बेहार जिल्द 2 सफ़ा 386) हज़रत इमाम रज़ा (अ.स.) फ़रमाते हैं कि ‘‘ मन ज़ारहा फ़लहू अल जन्नता ’’ जो मेरी हमशीरा की क़ब्र की ज़्यारत करेगा उसके लिये जन्नत है। एक रवायत में हैं कि अली बिन इब्राहीम ने अपने बाप से उन्होंने साद से उन्होंने अली बिन मूसिए रज़ा (अ.स.) से रवायत की है वह फ़रमाते हैं कि ऐ साद तुम्हारे नज़दीक़ हमारी एक क़ब्र है। रावी ने अर्ज़ की मासूमा ए क़ुम की , फ़रमाया हां ऐ साद ‘‘ मन ज़ारहा अरफ़ाबहक़हा फ़लहू अल जन्नता ’’ जो इनकी ज़्यारत इनके हक़ को पहचान के करेगा इसके लिये जन्नत है यानी वह जन्नत में जायेगा।
(सफ़ीनतुल बेहार जिल्द 2 सफ़ा 376 तबा ईरान)