
رضوی
बंदगी की बहार- 2
पवित्र रमज़ान के दिन चल रहे हैं।
हर तरफ़ अल्लाह के बंदे उसकी उपासना में लीन हैं और उसका सामिप्य प्राप्त करने के लिए रोज़े रख रहे हैं, जिधर देखो पवित्र क़ुरआन की तिलावत हो रही है, पवित्र क़ुरआन की तिलावत मानो कान में रस घोल रही है। पवित्र क़ुरआन की सुन्दर मनमोहक तिलावत, बसंत ऋतु के महकते फूलों की सुगंध में मिश्रित होकर दिलो को ईश्वरीय प्रेम का प्रकाश प्राप्त करने के लिए तैयार करती करती है। रमज़ान का पवित्र महीना पवित्र क़ुरआन से प्रेम का पाठ सिखाता है। पूरी दुनिया में दूसरे महीनों की तुलना में इस महीने में पवित्र क़ुरआन की अधिक तिलावत होती है क्योंकि रोज़ेदार व्यक्ति की आत्मिक प्रफुल्लता और पवित्रता, पवित्र क़ुरआन की मन छू लेने वाली तिलावत के समुद्र में ग़ोते लगाने लगती है और उसमें क़ुरआने मजीद की अधिक से अधिक तिलावत करने की भावना पैदा होती है और इस प्रकार एक रोज़ेदार एक महीने अर्थात तीस रोज़ों के दौरान कई कई बार पूरा पूरा क़ुरआन ख़त्म कर देता है। आश्चर्य की बात यह है कि इंसान पवित्र क़ुरआन की जितनी बार तिलावत करेगा उसे हर बार नई चीज़ का आभास होगा और उसकी जान को प्रकाशमयी बना देती है। यह पवित्र क़ुरआन की विशेषता है। सूरए ज़ुमर की आयत संख्या 23 में इस बात की ओर संकेत किया गया हैः अल्लाह ने बेहतरीन बात इस पुस्तक के रूप में उतारी है जिसकी आयतें आपस में मिलती जुलती हैं और बार बार दोहराई गयी हैं कि इनसे ईश्वरीय भय रखने वालों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, इसके बाद उनके शरीर और दिल ईश्वर की याद के लिए नर्म हो जाते हैं, यही अल्लाह का वास्तविक मार्गदर्शन है और वह जिसको चाहता है प्रदान कर देता है और जिसको पथभ्रष्टता में छोड़ दे उसको कोई मार्गदर्शन करने वाला नहीं है।
पवित्र क़ुरआन के आकर्षण इतने मनमोहक और सुन्दर हैं कि मनुष्य की आत्मा और उसकी भावना को न केवल हतप्रभ कर देते हैं बल्कि उसे अपना बेक़रार प्रेमी बना देता है। ब्रिटेन के ईसाई शोधकर्ता कैन्ट ग्रैक ज़ंग पवित्र क़ुरआन के आकर्षण को चुंबकीय मैदान और ज़ंग लगे दिलों पर सान करने वाले के रूप में बताया। और कहा कि काफ़ी है कि दिल चुंबकीय मैदान में पवित्र क़ुरआन के आकर्षण होते हैं, इस मैदान की कशिश और खिंचाव ऐसा है कि अब वह उसे छोड़ता ही नहीं है।
पवित्र रमज़ान का महीना ईश्वर की कृपा के द्वार को खुलवाने का महीना है। इस महीने के आने से रोज़ा रखने वाले अपने वजूद में ताज़गी का एहसास करते हैं। महान ईश्वर इस महीने अपने बंदों को अपने दस्तरख़ान पर हर प्रकार की नेमतों व अनुकंपाओं से नवाज़ता है।
कहा जा सकता है कि रमज़ान के महीने का एक बड़ा भाग पवित्र क़ुरआन से संबंधित है। इस महीने रोज़ेदार अपने दिलों के खेत में पवित्र क़ुरआन की प्रकाशमयी शिक्षाओं के बीज बोने का प्रयास करता है, ताकि वह पले बढ़े और आख़िर में इस महीने में आत्मिक आहार के लिए पवित्र क़ुरआन के फल का चयन करे। यही कारण है कि पवित्र क़ुरआन और पवित्र रमज़ान के बीच एक प्रकार का विशेष संबंध है। जैसा कि बसंत ऋतु में मनुष्य और प्रकृति प्रफुल्लित व तरोताज़ा हो जाती है और अपना नया जीवन शुरु कर ती है पवित्र रमज़ान भी क़ुरआन का बहार है। इस महीने पवित्र क़ुरआन को पसंद करने अन्य महीनों की तुलना में इस महीने अधिक क़ुरआन से निकट होते हैं और पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं पर अमल करके, उसकी आयतों को याद करके और उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर अपने दिलों को फिर से ज़िंदा कर सकता है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम का एक प्रसिद्ध कथन है कि अल्लाह की किताब को याद करें, क्योंकि क़ुरआन दिलों की बहार है।
पवित्र रमज़ान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि क़ुरआन इसी महीने में आसमान से उतरा है। दूसरे शब्दों में यूं कहा जा सकता है कि इस पवित्र महीने में पैग़म्बरे इस्लाम के दिल पर पूरा क़ुरआन उतरा है। सूरए बक़रा की आयत संख्या 185 में कहा गया है कि रमज़ान का महीना वह है जिसमें क़ुरआन उतारा गया है जो लोगों के लिए मार्गदर्शन है और इसमें मार्गदर्शन और सत्य व असत्य को पहचानने की स्पष्ट निशानियां मौजूद हैं इसीलिए जो व्यक्ति इस महीने में उपस्थित रहे, उसका यह दायित्व है कि रोज़े रखे और जो मरीज़ हो या वह इतने ही दिन दूसरे समय में रखे। ईश्वर तुम्हमारे बारे में सरलता चाहता है, कष्ट नहीं चाहता और इतने ही दिन का आदेश इसलिए है कि तुम संख्या पूरी कर दो और अल्लाह के दिए हुए मार्गदर्शन पर उसके बडप्पन को स्वीकार करो और शायद तुम इस प्रकार के शुक्र करने वाले बंदे बन जाओ।
सूरए दुख़ान की आयतें भी इस बात की ओर संकेत करती हैं कि क़ुरआन एक अनुकंपा और विभूति वाली रात में उतरा है। इसी परिधि में सूरए क़द्र की पहली आयत में आया है कि निसंदेह हमने इसे शबे क़द्र में नाज़िल किया है।
अब यह सवाल पैदा होता है कि पवित्र क़ुरआन उतरा कैसे? इस की ओर पवित्र क़ुरआन की आयतें दो प्रकार की ओर संकेत करती हैं। कुछ आयतें इस बात की ओर संकत करती हैं कि पूरा क़ुरआन एक बार ही में उतरा और वह शबे क़द्र में एक साथ ही उतरा है जबकि कुछ अन्य आयतों में बताया गया है कि पवित्र क़ुरआन 23 वर्षों के दौरान धीरे धीरे उतरा है। दूसरे शब्दों में यूं कहा जा सकता है कि समय और स्थान के अनुसार आयतें और सूरए उतरे हैं।
पवित्र क़ुरआन वह किताब है जो पैग़म्बरे इस्लाम पर नाज़िल हुई है, यही वह किताब है जो मनुष्यों के लिए मार्गदर्शन और व्यवस्थित क़ानून है। इसी समस्त शिक्षाएं समय और स्थान से परे हैं। अर्थात इसकी आयतें और इसके सूरे किसी विशेष समय और स्थान से विशेष नहीं हैं बल्कि यह किताब प्रलय तक के लिए समस्त मानव जाति के लिए एक व्यापक और व्यवस्थित क़ानून और ईश्वरीय कार्यक्रम है।
पवित्र क़ुरआन में ईश्वरीय सामिप्य प्राप्त करने, वांछित भविष्य निर्धारण और कल्याण की प्राप्ति के लिए बेहतरीन कार्यक्रम हैं। जैसा कि इस्लाम धर्म के उदय काल में भी इसने यह सब बताया था कि लोगों को क्या करना है और क्या नहीं करना है? ठीक उसी तक आज भी यह लोगों की आवश्यकताओं का जवाब दे रहा है। इस पुस्तक को दूरदर्शी ईश्वर ने लोगों को कल्याण पर पहुंचने, अपने लक्ष्यों की प्राप्ति और ईश्वर का सामिप्य राप्त करने के मार्गदर्शन के लिए उतारा है।
पवित्र क़ुरआन, हमेशा बाक़ी रहने वाली किताब है जिसने मानवता के लिए एक समग्र और व्यापक धर्म पेश किया। पवित्र क़ुरआन ने मानवता की सभी समस्याओं का निवारण कर दिया है।
पवित्र रमज़ान के दिन और रात दोनों ही पापों के प्रायश्चित के लिए उचित समय हैं। प्रायश्चित का फ़ायदा यह होता है कि वह इंसान को ग़फ़लत या अपनी आत्मा के संबंध में लापरवाही से बाहर निकाल लाता है। जब इंसान प्रायश्चित के बारे में सोचता है तब उसे वह सारे पाप याद आते हैं जो उसने अपने मन पर किए या दूसरों के हक़ में अत्याचार किए। उस वक़्त वह घमंड और ग़फ़लत से बच जाता है। इस स्थिति में इंसान को यह पता चलता है कि वह कितना छोटा व तुच्छ है और ईश्वर की नेमतों और अनुकंपाओं के सामने कितना एहसानफ़रामोश व कृतघ्न पाता है। उस वक़्त इंसान ईश्वर के सामने शर्मिन्दगी का एहसास करता है और पछताता है। यह प्रायश्चित का पहला फ़ायदा है। इंसान अपनी ग़लतियों व बुराइयों से अवगत होने के बाद ईश्वर से क्षमा मांगता है। क्योंकि ईश्वर उसकी कमियों पर पर्दा डालता है और वह सभी बुराइयों से पाक करने वाला है। ईश्वर ने वादा किया है जो भी उससे प्रायश्चित करेगा अर्थात सच्चे मन से अपने पापों की क्षमा चाहेगा तो वह उसे माफ़ कर देगा और ईश्वर को बहुत ज़्यादा प्रायश्चित को स्वीकार करने वाला पाएगा।
पवित्र रमज़ान के महीने का अध्यात्मिक माहौल उपासना, पवित्र क़ुरआन की तिलावत, एक दूसरे का ख़्याल रखने तथा वंचितों की सहायता के वातावरण से भर दें। आइये रमज़ान के इस उचित वातावरण का फ़ायदा उठाते हुए समाज में दोस्ती और भाईचारे को फैला दें।
मस्जिद में एक साथ पढ़ी जाने वाली नमाज़ों, पवित्र रमज़ान में आयोजित होने वाली प्रशिक्षण की विशेष क्लासों में भाग लेकर, उपदेशों के कार्यक्रम में भाग लेकर, मस्जिदों और घरों में आयोजित होने वाली क़ुरआन की क्लासें लगाकर मनुष्य रमज़ान के दिनों को अच्छी तरह व्यतीत कर सकता और इस प्रकार से वह स्वयं को ईश्वर से निकट कर सकता है।
पवित्र क़ुरआन के सूरए बक़रह की आयत संख्या 183 में आया है कि हे ईमान वालों तुम्हारे ऊपर रोज़े इसी प्रकार लिख दिए गये हैं जिस प्रकार तुम्हारे पहले वालों पर लिखे गये थे, शायद तुम इसी प्रकार ईश्वरीय भय रखने वाले हो जाओ।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम इस बारे में कहते हैं कि ईश्वरीय पुस्तक तौरेत रमज़ान महीने की छह तारीख़ को, इंजील रमज़ान की बारह तारीख़ को, ज़बूर रमज़ान की 18 तारीख़ को तथा क़ुरआन शबे क़द्र में नाज़िल हुआ।
हौज़ा ए इल्मिया ने जनता को कुद्स दिवस में पूर्ण रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित किया
मरकज़े मुदीरियत ने एक बयान में बुद्धिमान और साहसी ईरानी राष्ट्र और दुनिया भर के स्वतंत्रता चाहने वालों सहित सभी मुसलमानों को गाजा और फिलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों के समर्थन में कुद्स दिवस रैली में पहले से कहीं अधिक शानदार और ऊर्जावान तरीके से भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है।
क़ुद्स दिवस के अवसर पर मरकज़े मुदीरियत हौज़ा का बयान इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
पवित्र है वह, जिसने अपने बन्दे को रातों-रात मस्जिदे हराम से दूर की मस्जिद में पहुँचाया, जिसके आस-पास हमने बरकत रखी है, ताकि उसे अपनी निशानियाँ दिखाएँ। निस्संदेह, वह सुननेवाला, देखनेवाला है। (सूरा अल-इसरा, आयत 1)
कुद्स दिवस इस्लामी क्रांति के संस्थापक की एक मूल्यवान विरासत है और इस्लामी सिद्धांतों की रक्षा और उत्पीड़ितों के समर्थन का प्रकटीकरण है, जिसका झंडा ईरान के बहादुर लोगों ने इस हद तक उठाया है कि आज कुद्स स्वतंत्रता आंदोलन एक वैश्विक आंदोलन बन गया है।
औपनिवेशिक व्यवस्था, जो हड़पने वाली ज़ायोनी शासन की नींव रखकर अपने वर्चस्व और शोषण को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, अभी भी इस हड़पने वाली शासन के अपराधों का समर्थन कर रही है और उसी पुरानी नीति को मजबूत कर रही है, जिसका उद्देश्य इस्लामी दुनिया को नियंत्रित करना, मुस्लिम उम्माह के बीच विभाजन पैदा करना और क्षेत्र के संसाधनों को लूटना है।
ऑपरेशन " तूफ़ान अल-अक्सा ", जो ऐतिहासिक अत्याचारों के प्रति फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों की निर्णायक प्रतिक्रिया थी, इस हड़पने वाले शासन के लिए एक अपूरणीय आघात साबित हुआ। यदि अमेरिका की आपराधिक सरकार का अपार समर्थन न होता तो आज इस रक्तपिपासु शासन का कोई नामोनिशान नहीं होता। इस तथ्य के बावजूद कि कई प्रतिरोध कमांडर शहीद हो गए और निहत्थे नागरिकों को नरसंहार और अभूतपूर्व हत्याओं का शिकार होना पड़ा। गाजा, फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों के बीच दृढ़ता और प्रतिरोध का खून अभी भी बह रहा है, और परमेश्वर की सहायता जारी रहेगी।
मरकज़े मुदीरियत हौज़ा ने बुद्धिमान और बहादुर ईरानी राष्ट्र सहित दुनिया भर के सभी मुसलमानों और स्वतंत्रता-प्रेमी लोगों को भव्य कुद्स दिवस रैली में पूरी तरह से भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है, साथ ही प्रतिरोध मोर्चे के पवित्र शहीदों और उनके कमांडरों, विशेष रूप से प्रतिरोध के शहीदों, सैय्यद हसन नसरल्लाह, सैय्यद हाशिम सफीउद्दीन, इस्माइल हनीया और याह्या सिनवार की पवित्र आत्माओं को आशीर्वाद और शुभकामनाएं भेजी हैं, और इस्लामी उम्माह के सम्मान और जीत और इस्लाम के दुश्मनों की अपमान और हार के लिए अल्लाह तआला से प्रार्थना की है।
मरकज़े मुदीरियत हौज़ा
हम यमन की हर इंच ज़मीन की आज़ादी के लिए संघर्ष करेंगें
यमन के अंसारुल्लाह के सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के प्रमुख मेंहदी अलमशात ने यमन की राष्ट्रीय प्रतिरोध की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर जोर देकर कहा कि वे यमन की हर इंच जमीन को आजाद कराने के लिए प्रयास करेंगे।
यमन के अंसारुल्लाह के सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के प्रमुख मेंहदी अलमशात ने यमन की राष्ट्रीय प्रतिरोध की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर जोर देकर कहा कि वे यमन की हर इंच जमीन को आजाद कराने के लिए प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा कि जो कोई भी यमन के लोगों की इच्छाशक्ति को तोड़ने, यमन की भूमि पर कब्जा करने या 21 सितंबर, 2014 की क्रांति के बाद यमन की आजादी को खत्म करने की कोशिश करेगा उसे हराया जाएगा।
अलमशात ने कहा कि यमन पर अमेरिकी हमले, जिसमें दर्जनों लोग शहीद और घायल हुए, ज़ायोनी दुश्मन का समर्थन करने के लिए किए गए हैं, खासकर तब जब यमन ने फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में अपनी स्थिति स्पष्ट की है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी हमले यमन के लोगों के प्रतिरोध को और मजबूत करेंगे न कि कमजोर। गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ चुप रहना संभव नहीं है।
उन्होंने सऊदी अरब से शांति समझौतों को लागू करने, हमले रोकने, नाकाबंदी हटाने और यमन से पूरी तरह से पीछे हटने का आग्रह किया साथ ही उन्होंने कहा कि अरब नेताओं को एकजुट होकर दुश्मनों की साजिशों का मुकाबला करना चाहिए।
अलमशात ने फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में अपनी दृढ़ स्थिति दोहराई और कहा कि अमेरिकी हमले उनके समर्थन को रोक नहीं पाएंगे।
सीरिया के पूर्व मुफ्ती को दमिश्क एयरपोर्ट पर गिरफ्तारी किया
सीरिया के पूर्व ग्रैंड मुफ्ती शेख अहमद हसून को दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया है हसून जॉर्डन के लिए उड़ान भरने वाले थे।
सीरिया के पूर्व ग्रैंड मुफ्ती शेख अहमद हसून को दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया है हसून जॉर्डन के लिए उड़ान भरने वाले थे।
हसून पासपोर्ट कंट्रोल पार कर चुके थे और "फ्री जोन" में थे जब उन्हें सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार किया एक सूचित स्रोत ने बताया कि सरकार ने पहले ही उन्हें सूचित कर दिया था कि उनके विदेश यात्रा पर कोई रोक नहीं होगी ।
हसून के करीबी स्रोतों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने उनके घर में भी छापा मारा हाल के दिनों में सीरिया में कई पूर्व सरकारी अधिकारियों और बशर अल-असद के रिश्तेदारों की गिरफ्तारी हुई है,यह गिरफ्तारी इज़राईल के कहने पर हुई है।
यह घटना सीरिया में नई सरकार द्वारा पूर्व शासन के सदस्यों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा प्रतीत है। नई सरकार ने पूर्व शासन के अधिकारियों पर यातना और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए हैं ।
फिलिस्तीन और क़ुद्स के मुद्दे पर नए सांस्कृतिक व तब्लीगी सामग्री की तैयारी ज़रूरी
छठी अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स शरीफ़ कॉन्फ्रेंस "हय्या अला-ल-क़ुद्स" के नाम से बुधवार, 26 मार्च को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के शहर अस्लवीए में 13 देशों के 80 विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में आयोजित हुई
6वी अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स शरीफ़ कॉन्फ्रेंस "हय्या अला-ल-क़ुद्स" के नाम से बुधवार, 26 मार्च को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के शहर अस्लवीए में 13 देशों के 80 विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में आयोजित हुई
इस कॉन्फ्रेंस में आयतुल्लाह मोहम्मद हसन अख़्तरी फिलिस्तीन के 20 प्रमुख उलेमा, विभिन्न धर्मों और मज़हबों के नेता व प्रतिनिधि और दक्षिणी ईरान के 400 शिया विद्वानों व बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।
कमेटी फॉर द डिफेंस ऑफ़ पैलेस्टाइन के प्रमुख आयतुल्लाह मोहम्मद हसन अख़्तरी ने ज़ोर देकर कहा,तबलीग (प्रचार) एक बेहद कीमती और महान कार्य है अल्लाह तआला ने अपने काम की बुनियाद तबलीग पर रखी नबियों को तबलीग के लिए भेजा और कुरआन में तबलीग के सिद्धांत व तरीके स्पष्ट रूप से बताए गए हैं।
उन्होंने आगे कहा,हमें फिलिस्तीन और क़ुद्स के मुद्दे पर नई सांस्कृतिक और प्रचार सामग्री तैयार करने की ज़रूरत है। हर साल नई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री क्लिप्स बनाई जानी चाहिए क्योंकि हमारे देश में इस संबंध में अनेक संभावनाएं और क्षमताएं मौजूद हैं मीडिया को चाहिए कि वह इस्लामी प्रतिरोध (मुक़ावमत) की सफलताओं को प्रभावी तरीके से दुनिया के सामने पेश करे।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा,दुर्भाग्य से कुछ देश नहीं चाहते कि 'यौम-ए-क़ुद्स' (क़ुद्स दिवस) वैश्विक स्तर पर उजागर हो। यह हैरानी की बात है कि कुछ यूरोपीय और अमेरिकी देशों में फिलिस्तीन का समर्थन किया जाता है, लेकिन कुछ अरब देशों में न कोई आवाज़ उठती है और न ही फिलिस्तीन के हक में कोई प्रदर्शन होता है। अरब देशों के छात्रों को चाहिए कि वे जागें और मज़लूम फिलिस्तीनी कौम के समर्थन में अपनी आवाज़ बुलंद करें।
तुर्की में प्रदर्शनकारियों की गिरफ़्तारियां जारी
43 अन्य प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी का एलान करते हुए तुर्किये के गृहमंत्री ने कहा: गिरफ्तार किए गए लोगों ने राष्ट्रपति का अपमान किया।
तुर्की के गृहमंत्री अली येर लिकाया ने घोषणा की: देश की पुलिस ने 43 लोगों को गिरफ्तार किया है जो दूसरों को ग़ैर क़ानूनी कार्य करने के लिए उकसा रहे थे।
उन्होंने कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान और उनके परिवार का अपमान करने का जिक्र करते हुए कहा, पुलिस बाकी संदिग्धों को गिरफ्तार करने के लिए कार्रवाई करेगी।
तुर्किये के गृहमंत्री ने सोमवार को घोषणा की कि हालिया विरोध प्रदर्शनों के दौरान पूरे तुर्किये में 1 हज़ार 133 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
तुर्किये में एक पत्रकार संघ ने घोषणा की कि पुलिस ने सोमवार को 11 पत्रकारों और फोटोग्राफरों के घरों पर छापा मारा और विरोध प्रदर्शन को कवर करने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
वहीं, फाइनेंशियल टाइम्स ने पिछले हफ्ते तुर्की के पूंजी बाजार से निवेशकों के भागने की सूचना दी और लिखा: तुर्की के सेंट्रल बैंक को तुर्क लीरा को मजबूत करने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार से अरबों डॉलर बाजार में डालने के लिए मजबूर किया गया है।
तुर्किये में इन दिनों सड़क पर विरोध प्रदर्शन, जो एक दशक से अधिक समय से इस देश में अभूतपूर्व है, इस्तांबुल के मेयर अकरम इमामोग्लू की गिरफ्तारी और जेल की सजा जारी होने के बाद शुरू हुआ।
इमामोग्लू को अर्दोग़ान का कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता है, जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है, एक ऐसा आरोप जिसका वह दृढ़ता से खंडन करते हैं।
तुर्की की विपक्षी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी के प्रमुख ओज़गुर ओज़ेला ने, जिसके इस्तांबुल के मेयर सदस्य हैं, रविवार रात को इस्तांबुल में इस पार्टी के हजारों समर्थकों के सामने लोगों से अर्दोग़ान सरकार का समर्थन करने वाले मीडिया और संस्थानों का बहिष्कार करने की अपील की है।
तुर्की में मुख्यधारा की मीडिया की एक विस्तृत श्रृंखला सरकार का समर्थन करती है और विरोधियों का कहना है कि देश के प्रमुख समाचार चैनलों ने राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों का बहुत कम वीडियो कवरेज किया है।
रविवार को इमामोग्लू को सत्ता से बेदखल करने और जेल में डालने के अदालत के फैसले ने विरोध प्रदर्शनों को हवा दे दी थी।
वह इन विरोधों को राजनीति से प्रेरित और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विरुद्ध मानते हैं, आरोप जिनसे अंकारा सरकार इनकार करती है।
इस संबंध में, कुछ समाचार स्रोतों ने तुर्क पुलिस द्वारा विपक्ष के गंभीर दमन की रिपोर्ट दी है, और अर्दोग़ान की सरकार ने इस्तांबुल में नागरिकों के आने जाने पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र संघ ने मंगलवार को तुर्किये द्वारा बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां करने पर चिंता व्यक्त की और चेतावनी दी कि वह प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अवैध बल का उपयोग करने के लिए तुर्क अधिकारियों की जांच करेगा।
ग़ज़्ज़ा और फ़िलिस्तीन पर इज़रायल के हमले खुलेआम आतंकवाद हैं
हुज्जतुल इस्लाम अशफाक वहीदी ने कहा: संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को प्रथम क़िबला की स्वतंत्रता के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
पाकिस्तान के शिया उलेमा काउंसिल के नेता हुज्जतुल इस्लाम अशफाक वहीदी ने कुद्स दिवस के अवसर पर अपने विशेष संदेश में कहा: रमज़ान के आखिरी शुक्रवार को इमाम खुमैनी (र) के फरमान के अनुसार पूरी दुनिया में कुद्स दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा: ग़ज़्ज़ा और फ़िलिस्तीन पर इज़रायल के हमले खुला आतंकवाद हैं। आज जहां भी अन्याय होता है, विश्व शक्तियां आवाज उठाती हैं, लेकिन गाजा और फिलिस्तीन में निर्दोष बच्चों और महिलाओं के नरसंहार पर चुप्पी एक प्रश्नचिह्न है!!
अल्लामा अशफाक वहीदी ने कहा: यरूशलेम की मुक्ति के लिए समस्त इस्लामी जगत के शासकों को एक झंडे के नीचे एकजुट होना चाहिए।
उन्होंने कहा: यदि इस्लामी दुनिया एकजुट हो जाए तो यरूशलम की मुक्ति संभव है क्योंकि यरूशलम पर कब्जा किसी एक धर्म की समस्या नहीं है, बल्कि इस्लामी दुनिया की समस्या है।
क़ुद्स की आज़ादी इस्लामी दुनिया का सबसे अहम मुद्दा
लुरिस्तान प्रांत में विलायत ए फ़क़ीह के प्रतिनिधि ने अपने संदेश में लोगों से यौम ए क़ुद्स अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स दिवस की रैली में जोश और उत्साह के साथ भाग लेने का आह्वान किया।
लुरिस्तान प्रांत में विलायत-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद अहमद रज़ा शाहर्खी ने एक संदेश जारी कर जनता से अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स दिवस की रैली में व्यापक भागीदारी की अपील की।
संदेश का पूरा पाठ:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इमाम ख़ुमैनी रह ने कहा,मैं यौम-ए-क़ुद्स को इस्लाम का दिन मानता हूँ। पूरी ताक़त और शक्ति के साथ दुश्मनों के सामने डटे रहो।(सहीफ़ा-ए-इमाम, जिल्द 8, पृष्ठ 278)
यौम-ए-क़ुद्स हमारे महान नेता इमाम ख़ुमैनी रह की एक ऐतिहासिक और रणनीतिक विरासत है यह दिन मुसलमानों की एकता और दुनिया की आज़ादख़याल क़ौमों के ज़ुल्म व अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने का प्रतीक है।
इस्लामी गणराज्य ईरान की महान जनता, कुछ इस्लामी देशों की ख़यानतों और कोताहियों के बावजूद, मज़लूमों की हिमायत और पवित्र क़ुद्स की आज़ादी के लिए अपने संघर्ष, सब्र और बलिदान के ज़रिए अपनी आवाज़ पूरी दुनिया तक पहुँचाती है।
आज जबकि ज़ायोनी क़ब्ज़ा करने वाली हुकूमत और उसकी समर्थक ताक़तें अपने उन्मादी कृत्यों, मासूम लोगों के नरसंहार और फ़िलिस्तीन व लेबनान को मिटाने की साज़िशों में लगी हुई हैं, मगर फ़िलिस्तीन और प्रतिरोध मोर्चे के बहादुर योद्धा पूरी मज़बूती और ईमानदारी के साथ लड़ रहे हैं उन्होंने इस्राईल की सैन्य शक्ति और दबदबे के समीकरणों को हिला कर रख दिया है और पूरी दुनिया पर इज़राईली शासन की कमज़ोरी और बेबसी को उजागर कर दिया है।
इस्लामी उम्मत, विद्वान और दुनिया के स्वतंत्र विचारक समझ चुके हैं कि ज़ायोनी शासन का पतन तेज़ हो चुका है प्रतिरोध योद्धाओं की बहादुरी और संघर्ष दुश्मनों को पीछे हटने और विनाश की ओर बढ़ने पर मजबूर कर रहा है। क़ुद्स की मुक्ति केवल संघर्ष और प्रतिरोध से ही संभव है।
मैं जनता से अपील करता हूँ कि वे रहबर-ए-मुअज़्ज़म इमाम ख़ामेनेई की आवाज़ पर लब्बैक कहते हुए, पूरी इस्लामी उम्मत और ईरानी राष्ट्र के साथ मज़बूत क़दमों और मुट्ठी बांधकर यौम-ए-क़ुद्स की रैली में भाग लें और ज़ालिम इस्राईली शासन तथा उसके अमेरिकी और पश्चिमी समर्थकों से अपनी घृणा और विरोध का इज़हार करें।
लोगों की व्यापक भागीदारी, विशेषकर क्रांतिकारी युवा, हिज़्बुल्लाह समर्थक, शहीदों और युद्ध-वीरों के परिवार, इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे की सफलता और फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों की जीत का शुभ संकेत होगी। यह दिन ज़ायोनी शासन के विनाश और पवित्र क़ुद्स की स्वतंत्रता के साथ वैश्विक शांति की ओर एक महत्वपूर्ण क़दम होगा।
ईरान और तुर्किये के विदेश मंत्रियों के बीच टेलीफ़ोन पर बातचीत
ईरान के विदेश मंत्री ने तुर्किये के आंतरिक घटनाक्रम को इस देश का आंतरिक मुद्दा क़रार दिया है।
ईरान के विदेशमंत्री सैयद अब्बास इराक़ची और तुर्किये के विदेशमंत्री हकान फिदान ने सोमवार शाम को टेलीफोन पर बातचीत में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिवर्तनों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
विदेश मंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने इस्लामी गणतंत्र ईरान की सैद्धांतिक स्थिति पर जोर दिया और कहा:
तुर्किये में घटनाक्रम इस देश का आंतरिक मामला है और हमें विश्वास है कि सक्षम तुर्क अधिकारी, तुर्क राष्ट्र के हितों के आधार पर इन परिवर्तनों को उचित तरीके से हल करेंगे।
युद्धविराम समझौतों के घोर उल्लंघन में ग़ज़ा और लेबनान के खिलाफ ज़ायोनी शासन के अपराधों और आक्रमणों की निंदा करते हुए, सैयद अब्बास इराक़ची ने मक़बूज़ा शासन के अपराधों को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से इस्लामी देशों और क्षेत्र से तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया।
उन्होंने ग़ज़ा, वेस्ट बैंक और लेबनान के खिलाफ इजराइली शासन द्वारा अपराधों को फिर से शुरू करने के साथ यमन के खिलाफ अमेरिकी हवाई हमलों की भी निंदा की और मुस्लिम देशों के ख़िलाफ आक्रामकता को रोकने और क्षेत्र में असुरक्षा और अस्थिरता को बढ़ाने के लिए क्षेत्र के देशों के बीच अधिक सहयोग और समन्वय के महत्व पर जोर दिया।
इस टेलीफोन बातचीत में हकान फ़ीदान ने ईरान के विदेश मंत्री को नौरोज़ और नए साल की बधाई भी दी और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के लिए राजनयिक समाधान खोजने में मदद करने के लिए तुर्किए की तत्परता पर ज़ोर दिया।
ग़ज़ा की स्थिति की समीक्षा के लिए काहिरा में अरब-इस्लामी संपर्क समिति की हालिया बैठक में अपनी भागीदारी का जिक्र करते हुए, फीदान ने फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों की स्थिति पर अधिक ध्यान देने के लिए इस्लामी देशों को ज़्यादा अहमियत देने पर बल दिया।
आईआरजीसी का नया अंडर ग्राउंड मिसाइल सिटी का अनावरण
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एयरोस्पेस फोर्स ने दर्जनों किलोमीटर लंबी भूमिगत सुरंगों के साथ अपने नए मिसाइल सिटी का अनावरण किया है।
मंगलवार को इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स एयरोस्पेस फोर्स ने अपने सैकड़ों मिसाइल शहरों में से एक में बड़ी संख्या में बैलिस्टिक मिसाइलों "ख़ैबर शिकन", "हाज क़ासिम", "एमाद", "सिज्जील", "क़द्र एच" और "क्रूज़ पावेह" का अनावरण किया।
इस अनावरण के मौक़े पर ईरान के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाक़िरी और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एयरोस्पेस फोर्सेज के कमांडर जनरल अमीर अली हाजी ज़ादेह मौजूद थे।
इस अंडर ग्राउंड मिसाइल सिटी की अपनी यात्रा के दौरान, मेजर जनरल बाक़िरी ने ईरानी सशस्त्र बलों की क्षमताओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा: ईरानी सशस्त्र बल गंभीरता से प्रगति, पदोन्नति और सशक्तिकरण के अपने मार्ग को जारी रख रहा है।
उन्होंने कहा, ट्रू प्रामिस-1 और 2 के सफल ऑप्रेशन के बाद, हमें पता है कि दुश्मन को कहां नुकसान हुआ है और हम उन क्षेत्रों को और अधिक मजबूत करेंगे, हमारे फौलादी हाथ बहुत मज़बूत हैं।
मेजर जनरल बाक़िरी ने आगे कहा: हमारी मिसाइल शक्ति की वृद्धि की गति दुश्मन द्वारा कमज़ोरियों को ठीक करने की गति से कहीं अधिक है, और दुश्मन निश्चित रूप से पिछड़ जाएगा।
मीसाइल और फ़्लोटिंग सिटी विभिन्न आयामों में महत्वपूर्ण और सक्षम हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं:
1- सामरिक सुरक्षा: ये अड्डे भूमिगत होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से बहुत मज़बूत हैं और इन्हें दुश्मन के हवाई और मिसाइल हमलों से बचाया जा सकता है।
2- गुप्त ऑपरेशन: यह सैन्य बलों को गुप्त और आश्चर्यजनक ऑपरेशन की क्षमता प्रदान करता है। यह गंभीर परिस्थितियों और एसमैट्रिक वॉर फ़ेयर में बहुत प्रभावी हो सकता है।
3- नौसैनिक अभियानों के लिए समर्थन: ईरान की भौगोलिक स्थिति और समुद्री खतरों को ध्यान में रखते हुए, ऐसे अड्डों के अस्तित्व से नौसैनिक और निगरानी आप्रेशन्ज़ के कार्यान्वयन में मदद मिल सकती है।
4- उन्नत उपकरण तैनात करने की क्षमता: इन अड्डों पर सैन्य उपकरण, ड्रोन, मिसाइल और छोटे जहाज तैनात करना संभव है।
5- लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर: इन ठिकानों में सैन्य बलों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए रसद सुविधाएं शामिल हो सकती हैं, जिनमें हथियार डिपो, मरम्मत की दुकानें और नियंत्रण केंद्र शामिल हैं।
6- क्राइसिस मैनेजमेंट: संकट प्रबंधन क्षमता और विभिन्न खतरों पर त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान करता है।