सदियों से मनुष्य उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा है जिस दिन का उससे वाद किया गया है और उस सरकार की प्रतीक्षा में नज़रें बिछाए हुए है और एक एक पल गिन रहा है जो पूरी दुनिया में न्याय की स्थापना कर दे। इसी मध्य शिया मत पर आस्था रखने वाले पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनो के अनुयाई, अंतिम मोक्षदाता के रूप में हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के जन्म दिन और उनके प्रकट होने पर विश्वास रखते हैं और उनका मानना है कि यह ईश्वर और बंदों के मध्य संपर्क का साधन है। लोगों का यह मानना है कि उनके दिल, प्रतीक्षा की प्यास बुझाने का प्रयास कर रहे हैं और पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के अनुयायी, शाबान की 15 तारीख़ को या हर शुक्रवार को हज़रत महदी के प्रकट होने की प्रतीक्षा में नज़रे बिछाए रहते हैं ताकि उनसे अपनी आज्ञा पालन की प्रतिबद्धता दोहरा सकें और उनकी बैयत कर सकें।
वह पैग्मबरे इस्लाम के परिजन हैं, हज़रत आदम की भांति ईश्वर के ख़लीफ़ा और उतराधिकारी हैं। हज़रत नूह की भांति लोगों को मुक्ति की नौका तक पहुंचाएंगे, हज़रत मूसा की भांति, उनका जन्म भी गोपनीय था, हज़रत इब्राहीम की भांति उनके आने की शुभ सूचना दे दी गयी थी, इस्माईल की भांति, फ़रिश्ते उनकी सहायता को आते हैं, याक़ूब की भांति, प्रतीक्षा में हैं, यूसुफ़ की भांति, दुनिया के सबसे सुन्दर व्यक्ति हैं, हज़रत सुलमान की भांति उनका राज पूरी दुनिया पर होगा, हज़रत अय्यूब की भांति धैर्य के स्वामी हैं, हज़रत ईसा की भांति, पालने में बातें करते हैं, उनका नाम और उनका उपनाप पैग़म्बरे इस्लाम के नाम और उपनाम पर है, वह पैग़म्बरे इस्लाम से बोल चाल और व्यवहार में बहुत अधिक मिलते हैं, ईश्वर का अंतिम तर्क हैं, वह वही महदी हैं जिनके बारे में वादा किया गया है।
हज़रत इमाम महदी धरती पर ईश्वर के अंतिम ख़लीफ़ा और उतराधिकारी हैं। उनका जन्म 15 शाबान, जुमे के दिन, सुबह के समय, 255 या 256 हिजरी क़मरी में सामर्रा शहर में हुआ। जब उनका जन्म हुआ तो उस समय का शासक मोअतमिद अब्बासी था। उनका नाम मुहम्मद और उनकी उपाधि अबुल क़ासिम है। उनका जीवन तीन कालों में विभाजित है। पहला काल जन्म से 260 हिजरी क़मरी तक जिसमें उनके पिता हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम की शहादत हुई, दूसरा काल 260 से 329 हिजरी क़मरी तक है जिसमें वह दूसरों की नज़रों से ओझल रहे और केवल कुछ लोगों के माध्यम से ही जनता के संपर्क में थे, इस काल को ग़ैबते स़ुग़रा का नाम दिया गया, तीसरा काल वह पूरी तरह लोगों की नज़रों से ओझल हो गये जिसे ग़ैबते कुबरा का नाम दिया जाता है। यह काल 329 हिजरी क़मरी से आरंभ हुआ और अब तक तक जारी है और ईश्वर जबतक भलाई देखेगा तब तक इस काल को जारी रखेगा।
अहमद बिन इस्हाक़ क़ुम्मी का कहना है कि मैं इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के पास गया, मैं उनसे पूछना चाहता था कि आपका उतराधिकारी कौन है? मेरे सवाल पूछने से पहले ही इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि हे अहमद, ईश्वर ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के जन्म के समय से अब तक धरती को अपने तर्क और उतराधिकारी से ख़ाली नहीं रखा, यह क्रम प्रलय तक जारी रहेगा ताकि उसके माध्यम से धरतीवासियों की समस्याएं दूर रहें और वर्षा होती रहे और धरती अपनी विभूतियां निकालती रहें। मैंने उनसे पूछा कि हे पैग़म्बरे इस्लाम के सुपुत्र, आपके बाद इमाम और उतराधिकारी कौन हैं? तभी इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम अपनी जगह से उठ खड़े हुए और कमरे से बाहर निकल गये, उसके बाद उन्होंने एक सुन्दर से बच्चे को अपनी गोद में उठा लिया जिसकी उम्र तीन वर्ष से अधिक न थी, उस बच्चे का चेहरा चौदहवीं के चांद की भांति चमक रहा था, इमाम ने कहाः हे अहमद बिन इस्हाक़, यदि ईश्वर और ईश्वरीय तर्क के निकट तुम्हारा स्थान और प्रतिष्ठा न होती तो मैं कभी भी अपने पुत्र को तुम्हें न दिखाता। उसका नाम और उसकी उपाधि पैग़म्बरे इस्लाम के नाम और उपाधि पर है, जब धरती अन्याय और अत्याचार से भर चुकी होगी तब वह धरती को न्याय और इंसाफ़ से भर देगा।
पूरी दुनिया में न्याय की स्थापना और अत्याचार, अन्याय और भेदभाव को समाप्त करना, इमाम महदी अलैहिस्सलाम की सरकार के मुख्य लक्ष्यों में से है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि में जिसकी अधिकतर हदीसे सुन्नी मुसलमानों के हवाले से आईं हैं, स्पष्ट किया गया है, यहां तक कि इन रिवायतों में न्याय की स्थापना और उसके क्रियान्वयन तक एकेश्वरवादी का निमंत्रण देने के साथ अनेकेश्वरवाद और कुफ़्र से संघर्ष पर भी बल नहीं दिया गया है। हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के हवाले से आया है कि हज़रत महदी अलैहिस्सलाम के हवाले से ईश्वर धरती को हर प्रकार के अत्याचार से पाक कर देगा और फिर किसी की अत्याचार करने का साहस ही पैदा नहीं हो पाएगा।
फ़्रांसीसी इतिहासकार गोस्टाव लोबोन का कहना है कि मानवता के सबसे बड़े सेवक वह लोग जिन्होंने मनुष्यों में आशा की किरणें जगा रखी हैं। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने की प्रतीक्षा और आशा, भविष्य में मार्ग खोलने के अतिरिक्त ऊर्जावान और शक्ति प्रदान करने वाला है, लोगों को टिकाऊ शक्ति प्रदान कर सकता है, उनकी शक्ति व ऊर्जा को एकत्रित कर सकता है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के हवाले कर सकता है, अत्याचार सहन करने तथा विनाश से रोक सकता है ताकि इमाम महदी के प्रकट होने का समय निकट आ जाए। महदी मौऊद, ईश्वरीय न्याय, सत्य की शक्ति और दया का प्रतीक है और जो लोग इस ईश्वरीय कृपा और दया की छत्रछाया में आने में सफल हो गये, वह ईश्वर के निकट अधिक कृपा के पात्र बनेंगे क्योंकि इमाम महदी से दिली लगाव, उन पर ध्यान और उनसे लगाव के कारण, मनुष्य की आत्मिक व अध्यात्मिक विकास और प्रगति होगी। इमाम महदी अलैहिस्लाम पर ईमान और आस्था, कभी भी दूसरों के सामने नतमस्तक होने नहीं देती और जो राष्ट्र पूरी शक्ति के साथ हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम पर आस्था रख लेगा वह कभी भी दुश्मन से भयभीत नहीं हो सकता।
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की सरकार की महत्वपूर्ण उपबल्धियों में सार्वजनिक कल्याण व सुख है। पूरे मानव इतिहास में इस सफलता को प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक प्रयास किए गये और कभी कभी तो बहुत से अधिकारों का हनन तक किया गया किन्तु कभी भी वास्तविक सुख और शांति प्राप्त नहीं की जा सकी। सार्वजनिक कल्याण, मनुष्य के वैचारिक व आत्मिक विकास की भूमिका प्रशस्त करता है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) इस बारे में कहते हैं कि जब मुसलमानों के बीच महदी अलैहिस्सलाम आंदोलन करेंगे, उनके काल में लोग विभिन्न प्रकार की विभूतियां प्राप्त करेंगे जो किसी भी काल में नहीं प्राप्त की थीं, आसमान उन पर अपनी वर्षा करेगा और ज़मीन अपनी विभूतियां उन पर ज़ाहिर करेगी।
आज विज्ञान और तकनीक बहुत ही तेज़ी से प्रगति कर रही है और मनुष्य हर दिन प्रगति और विकास के नये द्वार खोल रहा है। इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम का कहना है कि ईश्वरीय पैग़म्बरों ने वह समस्त चीज़ें जो मनुष्यों के सामने पेश की हैं, वह ज्ञान के 27 भागों में से केवल 2 भाग है और मनुष्य हज़रत आदम की सृष्टि से लेकर अब तक केवल ज्ञान के दो ही भागों से परिचित हो सकें हैं, जब हमारा क़ाएम उठ खड़ होगा तो उस समय लोगों पर ज्ञान के 25 भाग स्पष्ट होंगे। और वह उन्हें विस्तृत करेगा।
इस आधार दुनिया में ज्ञान व विज्ञान का विकास और उसे फैलाना, हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की सरकार की उपलब्धियों में है। महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रगतियां और इसी प्रकार बहुत से विकास कार्यक्रम, हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने के काल से व्यवहारिक होने लगेंगे और इसके मुक़ाबले में हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के काल में विज्ञान का स्थान बहुत ही तुच्छ हो जाएगा। उस समय पुरी दुनिया में हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की सरकार की स्थापना होगी और पूरी दुनिया में ईश्वरीय शिक्षा का राज होगा।
हज़रत अली इब्ने अबी तालिब अलैहिस्सलाम का कहना है कि जब इमाम महदी आंदोलन करेंगे तब दुश्मनी और द्वेष दिलों से साफ़ हो जाएंगे और वह एक पूरी शांति और चैन के साथ भरपूर मुहब्बत से एक दूसरे के साथ जीवन व्यतीत करेंगे। हज़रत इमाम महदी समस्त ईश्वरीय दूतों के भांती हैं जो आएंगे और ईश्वरीय समाज की स्थापना के मार्ग में अंतिम क़दम बढ़ाएंगे। वह ऐसा समाज होगा जिसमें ईश्वरीय बंदे सम्मानीय और दुश्वर के दुश्मन अपमानित होंगे, ऐसा समाज होगा जिसमें ईश्वरीय क़ानून चलेगा और इस प्रकार इमाम महदी अलैहिस्सलाम दुनिया के सामने प्रकट होकर अपनी उमंगों वाले समाज की स्थापना करेंगे। सूरए नूर की आयत संख्या 55 में ईश्वर कहता है कि अल्लाह ने तुम में से ईमान वालों और नेक काम करने वालों से वादा किया है कि उन्हें धरती में इस प्रकार अपना ख़लीफ़ा बनाएगा जिस प्रकार पहले वालों को बनाया है और उनके लिए उस धर्म को विजयी बनाएगा जिसे उनके लिए पसंदीदा बताया गया है और उनके भय को शांति से परिवर्तित कर देगा कि वह सब केवल मेरी उपासना करेंगे और किसी प्रकार का अनेकेश्वरवाद नहीं करेंगे और उसके बाद भी कोई काफ़िर हो जाए तो वास्तव में वही लोग बुरे व्यवहार वाले और अधर्मी हैं। पैग़म्बरे इस्लाम (स) का कहना है कि यदि दुनिया की आयु केवल एक ही दिन बाक़ी रहे तो ईश्वर उस दिन को इतना अधिक लंबा कर देगा ताकि मेरी जाति का कोई व्यक्ति जिसका नाम मेरे नाम पर है और जिसकी उपाधि मेरी उपाधि होगी, प्रकट होगा और दुनिया को न्याय से भर देगा जबकि दुनिया अत्याचार और अन्याय से भर चुकी होगी।