सिफ़ाते खु़दा

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सिफ़ाते खु़दा

सिफ़ाते खु़दा की दो क़िस्में हैं: सिफ़ाते सुबूतिया और सिफ़ात सल्बिया। इस सबक़ में हम सिफ़ाते सुबूतिया के बारे में पढ़ेगें।

सिफ़ाते सुबूतिया उन सिफ़तों को कहते हैं जो ख़ुदा में पाई जाती हैं और वह आठ हैं:

1. ख़ुदा अज़ली व अबदी है: अज़ली है यानी उस की कोई इब्तिदा नही है बल्कि हमेशा से है और अबदी है यानी उस की कोई इंतिहा नही है बल्कि वह हमेशा रहेगा और कभी नाबूद नही होगा।

2. ख़ुदा क़ादिर व मुख़्तार है: ख़ुदा क़ादिर है यानी हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है और वह मुख़्तार है यानी अपने कामों को अपने इरादे और इख्तियार से अंजाम देता है और कोई उसे मजबूर नही कर सकता।

3. ख़ुदा आलिम है: ख़ुदा वंदे आलम तमाम चीज़ों के बारे में कामिल तौर पर जानता है और वह हर चीज़ से वाक़िफ़ है, जिस तरह वह किसी चीज़ के वुजूद में आने के बाद उसे जानता है उसी तरह वुजूद में आने से पहले जानता है।

4. ख़ुदा मुदरिक है: यानी वह हर चीज़ को समझता है, वह कान नही रखता लेकिन तमाम बातों को सुनता है, आँख नही रखता लेकिन तमाम चीज़ों को देखता है।

5. ख़ुदा हई है: यानी वह हयात रखता है और ज़िन्दा है।

6. ख़ुदा मुरीद है: यानी वह कामों की मसलहत से आगाह है वह वही काम अंजाम देता है जिस में मसलहत हो और कोई भी काम अपने इरादे और मसलहत के बग़ैर अंजाम नही देता।

7. ख़ुदा मुतकल्लिम है: यानी वह कलाम करता है लेकिन ज़बान से नही बल्कि दूसरी चीज़ों में बोलने की क़ुदरत पैदा कर देता है और फ़रिश्तों या अपने वलियों से हम कलाम होता है। जैसा कि उस ने पेड़ में क़ुदरते कलाम पैदा की और हज़रत मूसा (अ) से बात की, इसी तरह वह आसमान को बोलने की ताक़त देता है तो फ़रिश्ते सुनते हैं और वहयी लेकर नाज़िल होते हैं।

8. ख़ुदा सादिक़ है: यानी वह सच्चा है और झूठ नही बोलता। इस लिये कि झूठ बोलना अक़्ल की नज़र से एक बुरा काम है और ख़ुदा बुरा काम अंजाम नही देता।

तमाम सिफ़ाते सुबूतिया की मज़बूत और मोहकम दलीलें बड़ी किताबों में मौजूद हैं जिन से यह मालूम होता है कि अल्लाह तआला क्यों अज़ली, अबदी, क़ादिर व मुख़्तार, आलिम, मुदरिक, हई, मुरीद, मुतकल्लिम और सादिक़ है।

ख़ुलासा

- सिफ़ाते ख़ुदा की दो क़िस्में हैं:

1. सिफ़ाते सुबूतिया 2. सिफ़ाते सल्बिया

- सिफ़ाते सुबूतिया उन सिफ़ात को कहते हैं जो ख़ुदा में पाई जाती हैं और वह सिफ़ात आठ हैं:

1. अज़ली व अबदी

2. क़ादिर व मुख़्तार

3. आलिम

4. मुदरिक

5. हई

6. मुरीद

7. मुतकल्लिम

8. सादिक़

सवालात

1. सिफ़ाते सुबूतिया की तारीफ़ बयान करें?

2. ख़ुदा के मुदरिक, हई और मुरीद होने का क्या मतलब है?

3. ख़ुदा के अज़ली व अबदी होने के क्या मअना हैं?

दसवाँ सबक़

सिफ़ाते सल्बिया

पिछले सबक़ में हमने पढ़ा कि ख़ुदा की सिफ़ात की दो क़िस्में हैं: सिफ़ाते सुबूतिया और सिफ़ाते सल्बिया। हम सिफ़ाते सल्बिया के बारे में आशनाई हासिल कर चुके और अब हम इस सबक़ में सिफ़ाते सल्बिया के बारे में पढ़ेगें।

सिफ़ाते सल्बिया उन सिफ़तों को कहते हैं जिन में ऐब व कमी और बुराई के मअना पाये जाते हैं। ख़ुदा वंदे आलम इस तरह के तमाम सिफ़ात से दूर है और उस में यह सिफ़तें नही पाई जाती हैं। आम तौर पर हमारे उलामा सात सिफ़ाते सल्बिया को बयान करते हैं:

1. ख़ुदा शरीक नही रखता: यानी ख़ुदा वाहिद है, कोई ख़ुदा के बराबर और उस के जैसा नही है, वह वाहिद है और अपने तमाम कामों को तन्हा अंजाम देता है। सिर्फ़ वही इबादत के लायक़ और सब का पैदा करने वाला है।

2. ख़ुदा मुरक्कब नही है: यानी वह कई चीज़ों से मिल कर नही बना है, न वह किसी का जुज़ है और न कोई दूसरा उस का जुज़ है वह मिट्टी, पानी, आग, हवा, हाथ, पैर, आँख, नाक, कान या दूसरी चीज़ से मिल कर नही बना है।

3. ख़ुदा जिस्म नही रखता: जिस्म उस चीज़ को कहते हैं जिस में लम्बाई, चौड़ाई और गहराई पाई जाती हो। लम्बाई, चौड़ाई और गहराई महदूद होती है लेकिन ख़ुदा वंदे आलम ला महदूद है और उस की कोई हद नही है लिहाज़ा उस की लम्बाई, चौड़ाई या गहराई का तसव्वुर नही किया जा सकता।

4. ख़ुदा दिखाई नही देता: न वह दुनिया में दिखाई देता है और न आख़िरत में दिखाई देगा। इस लिये कि वह चीज़ दिखाई देती है जो जिस्म रखती हो लेकिन हम जानते हैं कि ख़ुदा जिस्म नही रखता।

5. ख़ुदा पर हालात तारी नही होते: यानी उस में भूल, नींद, थकन, लज़्ज़त, दर्द, बीमारी, जवानी, बुढ़ापा और उन जैसी दूसरी हालतें नही पाई जाती हैं इस लिये कि ऐसी चीज़ें ऐब और कमी है और ख़ुदा तरह के ऐब से पाक है।

6. ख़ुदा मकान नही रखता: यानी ख़ुदा हर जगह है इस लियह कि वह ला महदूद है, उस की कोई हद नही है, मकान वह रखता है जो महदूद हो।

7. ख़ुदा मोहताज नही है: यानी ख़ुदा हर चीज़ से बेनियाज़ है, न वह अपनी ज़ात में किसी का मोहताज है और न सिफ़ात में। उलामा ने बड़ी किताबों में सिफ़ाते सुबूतिया की तरह सिफ़ाते सल्बिया की भी मज़बूत दलीलें बयान की हैं जिन को पढ़ने के बाद यह मालूम हो जाता है कि ख़ुदा वंदे आलम के अंदर सिफ़ाते सल्बिया क्यो नही पाई जाती है।

ख़ुलासा

- सिफ़ाते सल्बिया उन सिफ़तों को कहते हैं जिन में ऐब व नक़्स और बुराईयों के मअना पाये जाते हैं और ख़ुदा उन तमाम सिफ़तों से पाक है।

- सिफ़ाते सल्बिया सात है:

1. ख़ुदा शरीक नही रखता।

2. मुरक्कब नही है।

3. जिस्म नही रखता।

4. दिखाई नही देता।

5. उस पर हालात तारी नही होते।

6. वह मकान नही रखता।

7. वह किसी का मोहताज नही है।

सवालात

1. सिफ़ाते सल्बिया की तारीफ़ बयान करें?

2. कम से कम पाँच सिफ़ात सल्बिया लिखें?

3. ख़ुदा जिस्म क्यो नही रखता?

4. ख़ुदा पर किस तरह के हालात तारी नही होते?

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