रूस के कुछ पूर्व विशेषज्ञ ने ईरान के धार्मिक शिक्षा केन्द्र के प्रमुख और उनके साथ यात्रा पर गये प्रतिनिधिमंडल के साथ मॉस्को में मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में रूसी पक्ष ने ग़लत विचारों व धारणाओं को ख़त्म करने के लिए सच्चे इस्लाम के प्रचार- प्रसार और उसके महत्व पर बल दिया।
ईरान के धार्मिक शिक्षाकेन्द्र के प्रमुख आयतुल्लाह अलीरज़ा आराफ़ी रूस में धार्मिक मामलों के कार्यालय व केन्द्र के प्रमुख मुफ़्ती शैख़ राविल एनुद्दीन के निमंत्रण पर मॉस्को गये हैं और उनकी मॉस्को यात्रा का उद्देश्य "आबरेशम की आध्यात्मिक राह" शीर्षक से आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ़्रेन्स में भाग लेना है।
सोमवार को आयतुल्लाह आराफ़ी ने मॉस्को में ईरानी राजदूत के साथ रूस के कुछ पूर्व विशेषज्ञों और सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय हस्तियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया।
सच्चे और वास्तविक इस्लाम को स्पष्ट करना और एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था से मुक़ाबला ज़रूरी
Institute of Oriental Sciences Academy of Sciences Russia के प्रमुख़ अली अकबर अलीअकबरोफ़ ने इस संस्था के साथ ईरान के सहयोग को विश्वविद्यालयों के साथ होने वाले सहयोग से हटकर बताया और कहा कि रूस ने सालों तक तकफ़िरियों, सलफ़ियों और वहाबियों की विचारधारा के परिप्रेक्ष्य में इस्लाम की ग़लत तस्वीर देखी थी जिससे रूस को नुकसान पहुंचा है और हमने प्रशिक्षा और विशुद्ध इस्लाम के बारे में ईरान के साथ सहयोग व सहकारिता की है।
Institute of Oriental Sciences Academy of Sciences Russia के प्रमुख ने एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था से मुक़ाबले के लिए ईरान, रूस और चीन के मध्य होने वाले सहयोग की ओर किया और इस बिन्दु पर बल दिया कि ये तीनों देश मज़बूत त्रिभूज की भांति एक दूसरे के साथ हैं।
इस रूसी विचारक ने आयतुल्लाह अलीरज़ा आराफ़ी की विश्व के ईसाइयों के नेता पोप के साथ होने वाली मुलाक़ात के बाद के साक्षात्कार की ओर संकेत किया और ईरान के धार्मिक शिक्षाकेन्द्र के प्रमुख को संबोधित करते हुए कहा कि आपने उस साक्षात्कार में इशारा किया था कि इब्राहीमी धर्मों का आधार एकेश्वरवाद है और इन धर्मों को चाहिये कि हम सबको एक दूसरे से निकट करें।
अलीअकबरोफ़ ने कहा कि इस संबंध में इस्लामी गणतंत्र ईरान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इसी प्रकार उन्होंने विभिन्न इस्लामी संप्रदायों को एक दूसरे से निकट करने के संबंध में दिवंगत आयतुल्लाह तस्ख़ीरी के दृष्टिकोण को बहुत महत्वपूर्ण दृष्टिकोण के रूप में याद किया और कहा कि इस प्रकार के विचारों व दृष्टिकोणों से लाभ उठाने का नतीजा यह हुआ है कि आज हम रूस में विभिन्न संप्रदाय के मुसलमानों के मध्य एक दूसरे के साथ वार्ता के साक्षी हैं।
रूस और ईरान की दोस्ती व निकटता बहुत महत्वपूर्ण है
Institute of Oriental Sciences Academy of Sciences Russia के महानिदेशक विताली नाओमेकीन ने भी इस बैठक में कहा कि ईरान इस संस्था का और हमारा पुराना दोस्त है। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में दोनों देशों के ख़िलाफ़ पश्चिम के प्रतिबंधों के दृष्टिगत ईरान और रूस की दोस्ती बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।
सही और ग़लत इस्लामी विचार धारा पर एक नज़र
आयतुल्लाह आराफ़ी ने भी इस बैठक में कहा कि ईरान और रूस के प्रयासों से दोनों देशों के राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध अच्छे और बेहतर सतह पर हैं किन्तु मौजूदा सतह को काफ़ी नहीं समझना चाहिये क्योंकि हमारे और क्षेत्रीय राष्ट्रों के समान व संयुक्त हित दो बड़े देशों ईरान और रूस के मध्य संबंधों के विस्तृत होने में निहित हैं।
धार्मिक शिक्षाकेन्द्र की उच्च परिषद के सदस्य ने आगे कहा कि इस्लामी क्रांति की इस्लामी विचारधारा तार्किक और हक़ीकी है और उसकी शिक्षाओं का आधार व स्रोत पवित्र क़ुरआन और अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम हैं और वह हर प्रकार के अतिवाद और रूढ़िवाद से दूर है। ईरान के धार्मिक शिक्षा केन्द्र के प्रमुख ने अपने भाषण के एक अन्य भाग में कहा कि जो विचारधारा क़ुम और धार्मिक शिक्षा केन्द्रों से चली व निकली है और स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. ने उसका प्रचार- प्रसार किया है वह इस्लाम की सही व संतुलित विचारधारा है। उन्होंने कहा कि इस्लाम के बारे में हमें दो विचारधाराओं का सामना है एक सही और दूसरे ग़लत व नादुरुस्त।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस्लाम के बारे में लिबरल विचारधारा रखते हैं और इस्लाम की जो बुनियादी व अस्ली चीज़ या चीज़ें हैं उसे हटा देते हैं। जो लोग इस्लाम की व्याख्या इस प्रकार करते हैं हम इस प्रकार के इस्लाम को अमेरिकी इस्लाम कहते हैं।
इसी प्रकार ईरान के धार्मिक शिक्षाकेन्द्र के प्रमुख कहते हैं कि कुछ लोग इस्लाम की रेडिकल व रूढ़िवादी व्याख्या करते हैं और इस प्रकार की व्याख्या के अंदर से तकफ़ीरी आतंकवादी तत्व व गुट अस्तित्व में आते हैं चाहे वे अल्पसंख्या में ही क्यों न हों और पश्चिम के समर्थन से। इस्लाम की इस प्रकार की व्याख्या काफ़ी विस्तृत हो गयी है और आतंकवादी व तकफ़ीरी गुटों को उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है कि ईरान और रूस संयुक्त रूप से उनके मुक़ाबले में डट गये। इसके बावजूद तकफ़ीरी और आतंकवादी गुट हर कुछ समय पर विभिन्न क्षेत्रों में ग़ैर सही व विध्वंसक कार्यवाहियां अंजाम देते रहते हैं।
आयतुल्लाह आराफ़ी आगे कहते हैं
इस्लाम की तीसरी व्याख्या वह है जो क़ुम और इस्लामी धार्मिक शिक्षा केन्द्रों ने निकली है और स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. ने उसका प्रचार- प्रसार किया है और वह इस्लाम की सही व संतुलित व्याख्या है और हम इस्लाम की जिस व्याख्या की बात करते हैं उसका आधार बुद्धिमत्ता और धार्मिक विचार हैं। इसी प्रकार आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा कि इस्लाम की इस विचारधारा व व्याख्या में हम मानवता और धर्मों की संयुक्त बातों पर बल देते हैं। इस दृष्टि से मानवता और धर्मों के मध्य धार्मिक वार्ता का आधार सही वार्ता होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि इस्लाम की इस व्याख्या में न्याय और समस्त इंसानों के लिए इस दुनिया की नेअमतों के महत्व का क़ाएल होना चाहिये और न्याय के लिए जहां भी ज़रूरी हो संघर्ष करना चाहिये।
रूस में ईरान के राजदूत काज़िम जलाली ने भी मॉस्को में होने वाली बैठक में अपने संक्षिप्त भाषण में तेहरान और मॉस्को के संबंधों में होने वाले विस्तार के बारे में एक रिपोर्ट पेश की और क्षेत्रीय, द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन संबंधों के महत्व पर बल दिया। इस बैठक में मॉस्को के इस्लामी केन्द्र के प्रमुख, कुछ अध्यापक व प्रोफ़ेसर और रूस के कई पूर्व विशेषज्ञ और इसी प्रकार ईरान के धार्मिक विश्वविद्यालय जामेउल मुस्तफ़ा, ईरानी दूतावास के अधिकारी और इब्ने सीना इस्लामी अध्ययन फ़ाउन्डेशन के प्रमुख मौजूद थे।