माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।
اَللّهُمَّ قَوِّني فيہ عَلى اِقامَة اَمرِكَ وَاَذِقني فيہ حَلاوَة ذِكْرِكَ وَاَوْزِعْني فيہ لِأداءِ شُكْرِكَ بِكَرَمِكَ وَاحْفَظْني فيہ بِحِفظِكَ و َسَتْرِكَ يا اَبصَرَ النّاظِرينَ.
अल्लाह हुम्मा क़व्विनी फ़ीहि अला इक़ामति अम्रिक, व अज़िक़नी फ़ीहि हलावति ज़िकरिक, व औज़िअनी फ़ीहि ले अदाएका शुकरिक, बे करमिका वह फ़ज़ नी फ़ीहि बे हिफ़ज़िका व सतरिका या अबसरन नाज़िरीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! तू मुझे इस महीने में अपने अहकाम को क़ाएम करने की क़ुव्वत अता फ़रमा और मुझको अपने ज़िक्र की मिठास चखा और मुझे अपने करम से अपनी शुक्र गुज़ारी के लिए तैयार कर दे और अपनी पर्दापोशी व हिफ़ाज़त के ज़रिए मुझे महफ़ूज़ कर, ऐ देखभाल करने वालों में सबसे ज़ियादा देखभाल करने वाले...
अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम..