इस कार्यक्रम में हम आपको यह बतायेंगे कि तुर्की, ताजिकिस्तान, रूस और कुछ अरब देशों में रमज़ान का पवित्र महीना कैसे मनाया जाता है और इस महीने में कौन से कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
रमज़ान का पवित्र महीना आते ही विश्व के विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर इस्लामी देशों में एक विशेष प्रकार का माहौल उत्पन्न हो जाता है जिसे शब्दों में नहीं बयान किया जा सकता। आपको अवश्य याद होगा कि पिछले दो कार्यक्रमों में हमने यह बताया था कि कुछ इस्लामी देशों में इस महीने में क्या परम्परायें होती हैं। तुर्की भी एक इस्लामी देश है। इस देश की जनसंख्या लगभग आठ करोड़ 20 लाख है जिनमें 98 प्रतिशत मुसलमान हैं।
तुर्की की अधिकांश जनसंख्या के मुसलमान होने के दृष्टिगत रमज़ान के पवित्र महीने में इस देश का वातावरण विशेष प्रकार का हो जाता है। रमज़ान का पवित्र महीना आरंभ होने से पहले ही इस देश की समस्त मस्जिदों में रमज़ान के आगमन की तैयारी आरंभ हो जाती है। मस्जिद के चारों ओर विशेष प्रकार की लाइटिंग व लोस्टर दिखाई देते हैं और उन पर "ग्यारह महीने का सुल्तान, रमज़ान का स्वागत है और रमज़ान बर्कत का महीना जैसे वाक्य लिखे होते हैं। अय्यूब सुल्तान मस्जिद, सुलैमानिया मस्जिद, मीनार सिनान मस्जिद और सुल्तान अहमद जैसी देश की बड़ी मस्जिदें हैं जिन्हें रमज़ान के पवित्र महीने में अच्छी तरह सजाया जाता है और इन मस्जिदों में रमज़ान के पवित्र महीने में बहुत बड़ी संख्या में मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं और शबे कद्र सहित दूसरे बड़े कार्यक्रम किये जाते हैं।
रमज़ान के पवित्र महीने में तुर्की में जो वातावरण उत्पन्न हो जाता है उसके कारण रोज़ेदारों में विशेष प्रकार की उत्सुकता व अध्यात्मिकता दिखाई देती है। तुर्की में जो विशेष कार्यक्रम होते हैं उनमें से एक "चाऊशी खानी" है। यह कार्यक्रम पारम्परिक ढंग से भोर में होता है। उस समय मस्जिदों में दुआएं पढ़े जाने के अलावा प्राचीन परंपरा के अनुसार भोर में चाऊशी पढ़ने वाले सड़कों, गलियों और देहातों में जाते हैं और सहरी खाने और नमाज़ पढ़ने के लिए लोगों को जगाते हैं।
तुर्की में एक परम्परा यह भी है कि रोज़ा खोलने के समय सड़कों के किनारे सामूहिक रूप से दस्तरखान बिछाया जाता है और यह कार्य लोगों के मध्य अधिक एकता व समरसता का कारण बनता है। इन दस्तरखानों पर विभिन्न प्रकार की ताज़ा रोटियां पेश की जाती हैं, सूप, सब्ज़ी, ज़ैतून और इसी प्रकार की दूसरी चीज़ें रखी जाती हैं और विभिन्न प्रकार के फास्ट फूड भी रखे जाते हैं।
रमज़ान के पवित्र महीने के खत्म हो जाने पर जो ईदे फित्र मनाई जाती है उसके लिए तुर्की में तीन दिन की छुट्टी होती है और तुर्की के लोग कई दिन पहले से ईद मनाने की तैयारी करने लगते हैं। ईदे फित्र से एक दिन पहले सरकारी कार्यालयों और संगठनों आदि में कार्य आधा हो जाता है यानी रोज़ की भांति पूरे दिन नहीं बल्कि आधे समय काम करना पड़ता है और शेष समय में लोग ईद की ज़रूरी खरीदारी करते हैं और जब ईद हो जाती है तो तीन दिनों तक ईद की खुशी का जश्न मनाया जाता है। इस दौरान समस्त सरकारी कार्यालय यहां तक कि संग्रहालय और समस्त पर्यटन स्थलों व केन्द्रों में भी छुट्टी हो जाती है। ईद की सुबह तुर्की के लोग ईदे फित्र की नमाज़ पढ़ने के लिए मस्जिदों में जाते हैं और उसके बाद मिलने जुलने का क्रम आरंभ हो जाता है जो तीन दिनों तक चलता- रहता है।
रमज़ान का पवित्र महीना महान व सर्वसमर्थ ईश्वर के निकट सबसे प्रिय महीना है, यह ईश्वर से प्रायश्चित करने का महीना है, यह ईश्वर की मेहमानी का महीना है और यह वह महीना है जिसमें पवित्र कुरआन नाज़िल हुआ था। यह महीना ताजिकिस्तान में दोस्ती, प्रेम और दूसरे इंसानों की सहायता करने के नाम से प्रसिद्ध है और ताजिकिस्तान के लोग इस महीने में दिलों को द्वेष से पवित्र बनाते हैं और एक दूसरे से दोस्ती व मिलाप को प्राथमिकता देते हैं। ताजिकिस्तान की जनसंख्या इस समय लगभग 72 लाख है जिसमें से 95 प्रतिशत मुसलमान हैं।
ताजिकिस्तान के लोगों का मानना है कि महान ईश्वर से उपासना व प्रार्थना के लिए रमज़ान का पवित्र महीना बेहतरीन अवसर है। वे इस महीने में नमाज़ पढ़ते हैं, पवित्र कुरआन की तिलावत करते हैं और इसी तरह वे इस महीने में विशेष शेर पढ़ते हैं। इस प्रकार वे इस महीने की प्रतिष्ठा को सुरक्षित रखते और अपने बच्चों तथा आगामी पीढ़ियों तक हस्तांतरित करते हैं।
ताजिकिस्तान के लोग “रब्बी मन” नाम का एक विशेष कार्यक्रम करते हैं। यह कार्यक्रम रोज़ा खोलने के बाद होता है और बच्चे अलग- अलग टोलियों व दलों के रूप में गलियों में निकलते और लोगों के घरों पर जाते हैं। घरों पर पहुंचने के बाद सबसे पहले वे घर के मालिक को रमज़ान के आगमन की बधाई देते हैं और उसके बाद कई बच्चे एक साथ मिलकर “रब्बी मन” पढ़ने लगते हैं। रब्बी मन में महान ईश्वर का गुणगान होता है। यह बच्चे इस महीने में घर के मालिक के लिए महान ईश्वर से क्षमा याचना करते हैं और घर का मालिक भी उन्हें उपहार देता है। ताजिकिस्तान के लोगों का मानना है कि रमज़ान के पवित्र महीने में शेर पढ़ने वाले शेर पढ़कर इस्लामी मूल्यों की रक्षा करने और अतीत के लोगों की पसंद के अनुसार इस्लाम धर्म के प्रचार- प्रसार का प्रयास करते हैं।
विश्व के दूसरे स्थानों व क्षेत्रों के मुसलमानों की भांति ताजिकिस्तान के लोग भी शबे कद्र अर्थात क़द्र की रात को बहुत महत्व देते हैं और इस रात जाग कर महान ईश्वर से प्रायश्चित करते हैं। ताजिकिस्तान के लोगों का मानना है कि ईश्वरीय वादे के अनुसार कद्र की रात को लोगों के समस्त पाप माफ कर दिये जाते हैं।
ताजिकिस्तान के लोग धार्मिक समारोहों और राष्ट्रीय परम्पराओं के साथ ईदे फित्र का जश्न मनाते हैं। ताजिकिस्तान के लोग ईद के दिन सबसे पहले ईद की नमाज़ पढ़ते और प्रार्थना करते हैं। ताजिकिस्तान के अधिकांश लोगों की एक परम्परा यह है कि अगर इस दिन बेटा पैदा होता है तो उसका नाम रमज़ान रखते हैं और अगर लड़की पैदा होती है तो उसका नाम सौमिया या सुमय्या रखते हैं जो इस बात की सूचक होती है कि वह ईदे फित्र को पैदा हुआ है। ताजिकिस्तान के लोगों का यह कार्य उनके मध्य ईदे फित्र के महत्व का सूचक है।
अरब देशों में भी अरबी संस्कृति के साथ रमज़ान का पवित्र महीना विशेष ढंग से मनाया जाता है। अरब लोगों के मध्य एक अच्छी परम्परा भोर के समय सहरी खाने के लिए लोगों को जगाना है। अधिकांश अरब देशों में जगाने वाले लोगों को मुसहराती कहा जाता है। मुसहराती, लोगों को भोर में सहरी खाने के लिए जगाते हैं। वे स्थानीय वस्त्र धारण करते, ऊंची आवाज़ में गाते और बजाते हैं। वे कहते हैं" हे सोने वालों उठो और सदैव रहने वाले ईश्वर की उपासना करो। इसी प्रकार वे कहते हैं" हे सोने वालों उठो और सहरी खाओ, रमज़ान तुमसे मिलने के लिए आया है।"
लेबनान में भी जब रमज़ान का पवित्र महीना आता है तो लोग दोपहर बाद जो एक दूसरे के यहां मिलने- जुलने के लिए जाते हैं उसका समय बदल कर रोज़ा खोलने के बाद रातों को कर देते हैं और लेबनानी रातों को एक दूसरे के पास बैठते हैं और वे इस चीज़ को सहरा या सोहरा कहते हैं।
लेबनानियों के खानों के जो दस्तरखान होते हैं उन पर विभिन्न प्रकार के खाने रखे जाते हैं। लेबनानियों के दस्तरखान खानों की विविधता की दृष्टि से विश्व के महत्वपूर्ण दस्तरखान होते हैं। उनके कुछ महत्वपूर्ण खानों के नाम इस प्रकार हैं जैसे तबूले, फतूश, मुतबल बादुमजान, हुमुस, किब्बे, दुल्मेह बर्गे मू, अराइस, विभिन्न प्रकार के समोसों और फत्ते की ओर संकेत किया जा सकता है।
लेबनानियों के मध्य जो मिठाईयां खाई जाती हैं वे भी बहुत प्रकार की हैं। ये मिठाइयां प्रायः रोज़ा खोलने के बाद खाई जाती हैं। उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं" जैसे कताएफ़, कनाफेह और मफरुकेह। ये वे मिठाइयां हैं जिन्हें लेबनान में लोग बहुत पसंद करते हैं।
सऊदी अरब में भी लोग रमज़ान महीने में रोज़ा रखते हैं और सुबह लोग विभिन्न क्षेत्रों से उमरा के संस्कारों को अंजाम देते और उपासना करते हैं। सऊदी अरब में शाम की नमाज़ के बाद भी लोग उपासना व प्रार्थना करते हैं। रमज़ान के पवित्र महीने में सऊदी अरब के लोगों का खाना खजूर, अरबी कहवा, कीमा किया हुआ मांस और मछली होती है।
सऊदी अरब के लोग एक महीने तक रोज़ा रखने के बाद ईदे फित्र के शुभ अवसर पर एक दूसरे को बधाई देते हैं और सड़कों व गलियों में काफी भीड़ होने के बावजूद लोग अपने- अपने मोहल्लों में ईद की नमाज़ आयोजित करते हैं। सऊदी अरब में ईदे फित्र के दिन इस देश के समस्त शहरों को सजाया जाता है और वहां तीर्थयात्रियों के आव- भगत की तैयारी की जाती है। सड़कों, चौराहों यहां तक बागों को भी लाइटिंग से सजाया जाता है। सऊदी अरब में 15 दिनों की ईदे फित्र की छुट्टी होती है जिसमें अधिकांश लोग यात्रायें करते और घूमते- फिरते हैं।
संयुक्त अरब इमारात में प्राचीन परम्परा के अनुसार आधे शाबान महीने से ही रमजान महीने की ईद मनाई जाने लगती है। संयुक्त अरब इमारात में शाबान महीने के मध्य में “हक खुदा” के नाम से एक जश्न मनाया जाता है। इस जश्न में बच्चे विशेष प्रकार का वस्त्र धारण करके भाग लेते हैं। उनके वस्त्रों के उपर सोने के धागों से सिलाई की जाती है। यह जश्न वास्तव में रमज़ान महीने के आगमन का जश्न होता है।
संयुक्त अरब इमारात के लोग सामूहिक रूप से रोज़ा खोलते हैं और मोहल्ले के समस्त लोग शाम की अज़ान के समय एकत्रित हो जाते हैं इस प्रकार रमजान के पवित्र महीने में संयुक्त अरब इमारात में बहुत अच्छा व सुन्दर दृश्य उत्पन्न हो जाता है। संयुक्त अरब इमारात में विभिन्न मोहल्लों और मस्जिदों को लाइट से सजाया जाता है। संयुक्त अरब इमारात में लोग रमज़ान महीने के अंतिम दिन नया वस्त्र खरीदते हैं। इसी प्रकार संयुक्त अरब इमारात में कुछ लोग ईद से एक दिन पहले घर की कुछ चीज़ों को बदल कर ईद की तैयारी करते हें।
रूस की जनसंख्या लगभग 14 करोड़ 70 लाख है जिनमें दो करोड़ से अधिक मुसलमान हैं। रूस के अधिकांश मुसलमान काकेशिया, तातारिस्तान और बाशक़िरीस्तान में रहते हैं परंतु रूस के लगभग समस्त बड़े शहरों में मस्जिदें हैं और उनमें रमज़ान के पवित्र महीने में सामूहिक रूप से रोज़े खोले जाते हैं और धर्मगुरू भाषण देते हैं। अलग- अलग क्षेत्रों में खाने और परम्परायें भी भिन्न हैं किन्तु चाय और खजूर हर जगह समान है। रूस के मास्को और सेन पीटरबर्ग जैसे बड़े शहरों में लोग सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़ते और रोज़ा खोलते हैं। रमज़ान के पवित्र महीने में रूस में एक बहुत अच्छी परम्परा दूसरों को इफ्तारी देना यानी रोज़ादारों को खाना खिलाना है। रूस के जो लोग मुसलमान नहीं है वे रमज़ान महीने में दूसरों को इफ्तार देने से ही समझ जाते हैं कि यह रमज़ान का महीना है। रमज़ान महीने में रूस की राजधानी मास्को में कैंप लगाये जाते हैं। यह कार्यक्रम मास्को में वर्ष 2006 से होता है। इन कैंपों से इफ्तारी दी जाती है, इसी प्रकार इन कैंपों के माध्यम से पवित्र कुरआन की तिलावत और उससे संबंधित कार्यक्रम कराये जाते हैं। इसी प्रकार इन कैंपों से ग़ैर मुसलमानों को परिचित कराने के कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं। बहरहाल रूसी मुसलमान भी बड़े हर्ष व उल्लास के साथ ईदुल फित्र का जश्न मनाते और एक दूसरे को बधाई देते हैं।