माहे रमज़ान के पंद्रहवें दिन की दुआ (15)

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माहे रमज़ान के पंद्रहवें दिन की दुआ (15)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

اَللّهُمَّ ارْزُقْني فيہ طاعةَ الخاشعينَ وَاشْرَحْ فيہ صَدري بِانابَۃ المُخْبِتينَ بِأمانِكَ ياأمانَ الخائفينَ..

अल्लाह हुम्मर ज़ुक्नी फ़ीहि ताअतल ख़ाशिईन वश रह फ़ीहि सदरी बे इनाबतिल मुख़बितीन, बे अमानिका या अमानल ख़ाएफ़ीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! मुझे इस महीने में ख़ुज़ूअ व ख़ुशूअ करने वालों जैसी इताअत और मेरे सीने को मुख़्लेसीन जैसी तौबा के लिए बड़ा कर दे, अपनी अमान के ज़रिए, ऐ ख़ौफ़ज़दा लोगों को अमान देने वाले...

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

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