माहे रमज़ान के सत्रहवें दिन की दुआ (17)

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माहे रमज़ान के सत्रहवें दिन की दुआ (17)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

اَللّهُمَّ اهدِني فيہ لِصالِحِ الأعْمالِ وَاقضِ لي فيہ الحوائِجَ وَالآمالِ يا مَنْ لا يَحتاجُ إلى التَّفسيرِ وَالسُّؤالِ يا عالِماً بِما في صُدُورِ العالمينَ صَلِّ عَلى مُحَمَّدٍ وَآله الطّاهرينَ..

अल्लाह हुम्मा एहदिनी फ़ीहि ले सालेहिल आमाल वक़ ज़ी ली फ़ीहिल हवाएजा वल आमाल, या मन ला यहताजु इलत तफ़सीरि वस्सुवाल, या आलिमन बिमा फ़ी सुदूरिल आलमीन, स्वल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहित्ताहिरीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! इस महीने में मुझे नेक कामों की तरफ़ हिदायत दे, और मेरी हाजतों व ख़्वाहिशों को पूरी फ़रमा, ऐ वह ज़ात जो किसी से पूछने और वज़ाहत व तफ़सीर की मोहताज नहीं है, ऐ जहांनों के सीनों में छुपे हुए राज़ों के आलिम, दुरूद भेज मुहम्मद (स) और उन की आल के पाकीज़ा ख़ानदान पर.

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

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