माहे रमज़ान के उन्नीसवें दिन की दुआ (19)

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माहे रमज़ान के उन्नीसवें दिन की दुआ (19)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

أللّهُمَّ وَفِّر فيہ حَظّي مِن بَرَكاتِہ وَسَہلْ سَبيلي إلى خيْراتِہ وَلا تَحْرِمْني قَبُولَ حَسَناتِہ يا هادِياً إلى الحَقِّ المُبينِ..

अल्लाह हुम्मा वफ़-फ़िर फ़ीहि हज़्ज़ी मिन बरकातिह, वस-हिल सबीली इला ख़ैरातिह, व ला तह-रिमनी क़बूला हसनातिह, या हादियन इलल हक़्क़िल मुबीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! इस महीने में मेरे नसीब को इसकी बरकतों से मुकम्मल कर दे, और इस की नेकियों व भलाईयों की तरफ़ मेरा रास्ता हमवार व आसान कर दे, और इस की हसनात की क़ुबूलियत से मुझे महरुम न फ़रमा, ऐ आशकार व रौशन हक़ीक़त की तरफ़ हिदायत देने वाले..

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

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