माहे रमज़ान के उनतीसवें दिन की दुआ (29)

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माहे रमज़ान के उनतीसवें दिन की दुआ (29)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

اَللَّـهُمَّ غَشِّني فيهِ بِالرَّحْمَةِ، وَارْزُقْني فيهِ التَّوْفيقَ وَالْعِصْمَةَ، وَطَهِّرْ قَلْبي مِنْ غَياهِبِ التُّهَمَةِ يا رَحيماً بِعِبادِهِ الْمُؤْمِنينَ.

अल्लाह हुम्मा ग़श्शिनी फ़ीहि बिर्रहमति, वर-ज़ुक्नी फ़ीहित तौफ़ीक़ा वल इसमता, व तह्हिर क़ल्बी मिन ग़याहिबित तोहमति, या रहीमन बे इबादिहिल मोमिनीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! इस महीने में मुझे अपनी रहमत से ढांप दे, और मुझे नेकी की तौफ़ीक़ दे, और बुराई से दूर रख, और मेरे दिल को तोहमत के अंधेरों से पाक कर दे, ऐ अपने बन्दों पर बहुत रहम करने वाले...

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

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