इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने वर्तमान युग में वैचारिक व आस्था की पहचान को गंवाने की ओर से सावधान करते हुए कहा है कि अपने ईमान को मज़बूत करके और अन्य लोगों तक कुरआने के संदेश पहुंचाने के लिए उपयोगी भाषा का ज्ञान प्राप्त करके, कुरआनी अर्थों को वर्तमान विश्व के सामने पेश करने की ज़रूरत है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने मंगलवार को रमज़ान के पवित्र महीने के पहले दिन, कुरआने मजीद की तिलावत की विशेष बैठक में कहा कि अगर कुरआन मजीद के उच्च अर्थ समकालीन भाषा में लोगों के सामने पेश किये जाएं तो उस बहुत प्रभाव होगा और इससे मानवता का सही अर्थ में विकास होगा क्योंकि भौतिक सुख, आध्यात्मिक विकास, वैचारिक विस्तार और आत्मिक शांति, कुरआने मजीद के आदेशों के पालन पर निर्भर है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि हालांकि कुरआने मजीद के शब्दों की सुन्दरता व आर्कषण एक चमत्कार है किंतु इन खूबसूरत लफ्ज़ों का उद्देश्य, कुरआने मजीद के उच्च अर्थों से परिचित कराना है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने बल दिया कि अगर कुरआन के अर्थों का वर्णन किया जाए तो निश्चित रूप से कुरआन पूरी दुनिया में प्रभावशाली होगा और बड़ी शक्तियां, उनके हथियार, और ज़ायोनी शासन, कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।