चीन ईरान का पहला व्यापारिक साझेदार है और ईरान से प्रति वर्ष 15 बिलियन अमरीकी डॉलर का तेल ख़रीदता है, जबकि चीनी अधिकारियों के मुताबिक़, उनका देश आज भी ईरानी तेल का सबसे बड़ा ख़रीदार माना जाता है।
इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार चीन हमेशा से ईरान के ऊर्जा बाज़ार को अपने तेल की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में देखता आया है। चीनी सरकार इस बात को भलीभांती जानती है कि घरेलू व्यापार के विकास के स्तर को बनाए रखने के लिए उसका ईरान के ऊर्जा स्रोतों तक पहुंच बनाए रखना आवश्यक है। चीनी अधिकारियों ने इस्लामी गणतंत्र ईरान को ऊर्जा के मामले में दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली देश क़रार दिया है। चीनी अधिकारी मानते हैं कि तेल के उत्पादन से संबंधित ईरान की दिन प्रतिदिन बढ़ती क्षमता और शक्ति को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
चीन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 के बाद चीन द्वारा ईरान से उत्पाद ख़रीद में महत्वपूर्ण वृद्धि देखने में आई है जबकि पिछले दो वर्षों में चीन ने कुल मिलाकर 5 लाख 30 हज़ार से 6 लाख 55 हज़ार बैरल कच्चा तेल ईरान से लिया है। हाल ही में अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद, चीन को ईरान से तेल लेने में छूट मिली है, इसलिए यह आशा भी व्यक्त की जा रही है कि चीन की तेल कंपनियां ईरान से तेल ख़रीद में और अधिक बढ़ोतरी करेंगी।
इस बीच चीनी अधिकारियों और अधिकांश विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान और चीन के बीच मौजूद व्यापारिक संबंधों पर किसी भी तरह के दबाव से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, विशेष रूप से तेहरान और बीजिंग के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में एक दूसरे का सहयोग हमेशा जारी रहेगा और इसपर किसी भी तरह के प्रतिबंधों का असर नहीं पड़ने वाला है।