अमेरिका यमनियों का मुकाबला नहीं कर पा रहा है। : ईरान के पूर्व विदेशमंत्री

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अमेरिका यमनियों का मुकाबला नहीं कर पा रहा है। : ईरान के पूर्व विदेशमंत्री

ईरान के पूर्व विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा है कि अमेरिका यमनियों का मुकाबला नहीं कर पा रहा है।

मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा है कि अमेरिका ने इस साल 780 अरब डालर सैन्य बजट विशेष किया और दुनिया की सबसे बड़ी सैनिक ताकत है फिर भी वह यमनियों से नहीं निपट पा रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया के राजनेताओं की बुनियादी मुश्किल समझ में गलती है और उसी गलती के कारण अपरिहार्य क्षति का सामना करना पड़ता है और ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले हम विश्व की दो ध्रुवीय व्यस्था में ज़िन्दगी गुज़ारते थे जिसका परिप्रेक्ष्य थोड़ा- बहुत स्पष्ट था और राजनेता भी किसी सीमा तक भविष्यवाणी कर सकते थे।

इस आधार पर दो ध्रुवीय विश्व व्यवस्था में गलतियां व भूल कम थीं यहां तक कि गुट निरपेक्ष आंदोलन में कुछ देश पूर्वी ब्लाक के समर्थक थे जबकि कुछ दूसरे पश्चिमी ब्लाक से संबंधित थे और नीति स्पष्ट थी। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि ईरान में इस्लामी क्रांति के सफल होने से दो ध्रुवीय व्यवस्था समाप्त हो गयी और कोई पार्टी व देश दोनों में से किसी एक ब्लाक से विशेष नहीं रहा और लोगों का नेता वह था जो पूरब और पश्चिम के मुकाबले में डट गया।

ईरान के पूर्व विदेशमंत्री ने कहा कि परमाणु वार्ता के पहले दिन ही हमने पश्चिमी पक्षों से कहा कि सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव हमें कबूल नहीं है। हमारी यह बात फ्रांस के विदेशमंत्री को अखर गयी। मैंने कहा कि आपको हर्जाना भी देना चाहिये क्योंकि आठ साल ईरान- इराक युद्ध के दौरान आपने सद्दाम को हथियारों और युद्धक विमानों से लैस किया।

इसी प्रकार उन्होंने कहा कि जब ईरान की इस्लामी व्यवस्था के संस्थापक स्वर्गीय इमाम खुमैनी रह. ने गोर्बाचौफ को खत लिखा और इस बात का एलान किया कि कम्यूनिज़्म खत्म हो रहा है यह उस वक्त की बात थी कि जब पूर्व सोवियत संघ के पास बहुत अधिक हथियार था और जब ईरान- इराक युद्ध चल रहा था तो उस वक्त सुरक्षा परिषद के समस्त सदस्य देश इस बात पर एकमत थे कि यह जंग ईरान के हित में खत्म नहीं होनी चाहिये। वे सोचते थे कि एक हफ्ते में हम खत्म हो जायेंगे और उसके समस्त सदस्य यहां तक कि पूर्व सोवियत संघ का भी यही विश्वास था।

ईरान के पूर्व विदेशमंत्री ने कहा कि सुरक्षा परिषद के पहले प्रस्ताव में नहीं चाहते थे कि इराक ईरान की भूमि से निकल जाये परंतु दुनिया बदल गयी है अब अमेरिका यमनियों से नहीं निपट पा रहा है, इस्राईल ने गज्जा पट्टी को लगभग पूरी तरह तबाह कर दिया है और उसके पास कम से कम 200 परमाणु बम हैं किन्तु फिलिस्तीनी लोगों को इतना अधिक नुकसान पहुंचाने के बावजूद वह इस कल्पना व मिथक को ज़िन्दा नहीं कर पा रहा है कि इस्राईल अजेय है।

बहरहाल जानकार हल्कों का मानना है कि इस्राईल कभी भी न तो अजेय था और न है बल्कि उसने जानबूझकर स्वयं के अजेय होने का दुष्प्रचार कर रखा था ताकि कोई उससे लड़ने का साहस न कर सके।

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