फ़िलिस्तीनी आंदोलन हमास ने कहा है कि उसका प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को मिस्र की राजधानी क़ाहेरा से वापस चला गया है मगर तेल अबीब में अमरीका के राजदूत जैक लियो ने कहा कि यह समझना ग़लत होगा कि शांति वार्ता नाकाम हो गई है।
हमास ने अपने बयान में कहा कि प्रतिनिधिमंडल वापस आ गया है और नेतृत्व को अब तक की बातचीत के बारे में ब्रीफ़िंग देगा।
हमास के नेता सामी अबी ज़ोहरी ने कहा कि जंग रोकने और मानवीय सहायता ग़ज़ा भेजने के विषय में होने वाली बातचीत को इस्राईल ने नाकाम बनाया है।
उन्होंने रोयटर्ज़ से बातचीत में कहा कि इस्राईल ने हमले बंद करने, सैनिकों को ग़ज़ा पट्टी से बाहर निकालने, मानवीय सहायता ग़ज़ा में जाने की गैरेंटी और शरणार्थियों की वापसी जैसी हमास की मांगों को इस्राईल ने अस्वीकार कर दिया।
हमास के अधिकारी इससे पहले कह चुके हैं कि स्थायी युद्ध विराम और ग़ज़ा पट्टी से इस्राईली सैनिकों के बाहर निकल जाने से पहले किसी भी क़ैदी की रिहाई नहीं हो सकेगी।
हमास ने यह भी कहा है कि जब तक संघर्ष विराम नहीं हो जाता वह इस्राईल को जीवित इस्राईली क़ैदियों के नामों की लिस्ट भी नहीं दे सकता जो जंग के हालात में अलग अलग स्थानों पर रखे गए हैं।
हमास ने कहा कि संघर्ष विराम संबंधी वार्ता में इस्राईल ने केवल अपने क़ैदियों को प्राथमिकता दी और हमास की शर्तों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया इसलिए संघर्ष विराम की वार्ता नाकाम हो गई।
वहीं तेल अबीब में अमरीका के राजदूत जैक लियो ने कहा कि दोनों पक्षों के स्टैंड में पाया जाने वाला गैप कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि सब रमज़ान महीने की तरफ़ आगे बढ़ रहे हैं और यह मान लेना की वार्ता नाकाम हो गई है ग़लत होगा।
राजदूत का यह कहना था कि सभी पक्षों पर दबाव डालने की ज़रूरत है ताकि वार्ता से जुड़े रहें।
एक अमरीकी अधिकारी ने कहा कि जिस समझौते पर बात हो रही है वह तीन चरणों पर आधारित है और निवासियों की उत्तरी ग़ज़ा वापसी इसमें शामिल है। अमरीकी अधिकारी ने हमास को संघर्ष विराम में देरी के लिए ज़िम्मेदार ठहराने की कोशिश की।
इस बीच यह ख़बर भी आई कि अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के डायरेक्टर विलियम बर्न्ज़ ख़ामोशी से क़ाहेरा पहुंच गए जहां वो मिस्री अधिकारियों से क़ैदियों की रिहाई के समझौते के बारे में बात कर रहे हैं।
इस्राईल की युद्ध कैबिनेट के सदस्य गादी आइज़नकोट नेक हा कि हमास पर मध्यस्थों की तरफ़ से दबाव डाला जा रहा है, हमारे लिए क़ैदियों की हमास के हाथों से रिहाई हमास को पराजित करने से बड़ी प्राथमिकता है, इसके बग़ैर कोई विजय नहीं हो सकती बल्कि लगातार नुक़सान होगा।