ईरान के दुश्मनों ने हमला करने के बजाये प्रतिबंधों की नीति क्यों अपना रखी है?

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ईरान के दुश्मनों ने हमला करने के बजाये प्रतिबंधों की नीति क्यों अपना रखी है?

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने ईरान के विभाजन के संबंध में एक पूर्व ज़ायोनी सुरक्षा अधिकारी के बयान की प्रतिक्रिया में कहा है कि यह आरज़ू तुम्हारे साथ कब्र में जायेगी।

जायोनी सरकार के पूर्व सुरक्षा अधिकारी मर्दखायी कीदार ने कहा था कि वह इस्लामी गणतंत्र ईरान को 6 देशों में बटा हुआ देखना चाहता है।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने सोशल मिडिया पर इस निर्लज्ज बयान की प्रक्रिया में लिखा कि इस बेचारे जायोनी ने इससे पहले भी कहा था कि ईरान को टुकड़े- टुकड़े करना चाहता है।

इसी प्रकार विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस पूर्व जायोनी सुरक्षा अधिकारी का बयान ईरान के बारे में दुश्मनों के इरादों का स्पष्ट प्रमाण व सुबूत है यद्यपि यह पहली बार नहीं है कि जायोनी दुश्मन ईरान के बारे में अपनी वास्तविक नीयत को इस तरह से बयान कर रहा है।

इसी प्रकार विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान चार दशकों से अधिक समय से इस प्रकार की बातों को सुन रहा और पूरी शक्ति व गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है। नासिर कनआनी ने कहा कि ज़रूरी है कि खत्म हो रहे जायोनियों को एक बार फिर बता दूं कि गत 45 वर्षों के दौरान ईरान में रहने वाली विभिन्न जातियों व कौमों ने देश की एकता के लिए लगभग ढ़ाई लाख लोगों के जानों की कुर्बानी दे दी ताकि ईरान एकजुट बना रहे और इस देश की एक इंच ज़मीन भी कम न हो।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने इसी प्रकार कहा कि ईरान के विभाजन की आरज़ू गत 45 वर्षों के दौरान दुश्मन की बातिल व गलत आरज़ूओं की तरह है कि जो प्रतिरोध के एक गुट से नहीं निपट पा रहा है और अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए महिलाओं और बच्चों की हत्या कर रहा है।

जानकार हल्कों का मानना है कि ईरान के दुश्मन विशेषकर अमेरिका और इस्राईल उसे पीछे और कमज़ोर करने के लिए हमेशा षडयंत्र रचते रहते हैं परंतु उन्हें अपने शैतानी लक्ष्यों में मुंह की खानी पड़ती है। 45 साल पहले अमेरिका, ब्रिटेन और ईरान के दूसरे दुश्मनों ने ईरान की इस्लामी क्रांति को सफल होने से रोकने के लिए किसी प्रकार के प्रयास में संकोच से काम नहीं लिया।

ईरान की इस्लामी क्रांति को खत्म करने के लिए तेहरान के दुश्मनों ने सद्दाम को उकसाकर ईरान पर व्यापक हमला करवा दिया और सद्दाम का व्यापक समर्थन किया, उसे सहम के आधुनिकतम हथियारों से लैस किया और यह युद्ध 8 वर्षों तक चला परंतु आक्रमणकारी सद्दाम के नियंत्रण में ईरान की एक इंच ज़मीन भी बाकी न रही और सद्दाम का सपना साकार नहीं हो सका।

दूसरे शब्दों में ईरान के दुश्मनों का सपना साकार न हो सका। आज भी ईरान के दुश्मन उसे पीछे रखने के लिए आये दिन तेहरान के खिलाफ नित नये षडयंत्र रचते हैं। सारांश यह कि ईरान के दुश्मन ईरान को खत्म या उसे कमज़ोर करने के लिए जो भी कर सकते हैं उसे कर रहे हैं और जो नहीं कर सकते उसे नहीं किया।

ईरान के दुश्मनों ने अच्छी तरह समझ लिया है कि उस पर हमला करके इस्लामी व्यवस्था को बदला नहीं जा सकता इसलिए उन्होंने तेहरान के खिलाफ प्रतिबंधों की नीति अपनाई है परंतु गत 45 वर्षों के अनुभव इस बात के सूचक व साक्षी हैं कि ईरान के दुश्मनों के षडयंत्र हमेशा विफल रहेंगे।

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