इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता अयातुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने हिजरी शम्सी वर्ष 1403 की शुरुआत के अवसर पर एक संदेश में ईरानी जनता विशेष रूप से शहीदों के परिवारों और उन सभी राष्ट्रों को नौरोज़ की बधाई देते हुए नए साल को "जनता की भागीदारी से उत्पादन में छलांग का वर्ष" क़रार दिया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने शहीदों और शहीदों के इमाम को याद करते हुए ईरानी राष्ट्र को प्रकृति और आध्यात्मिकता की दो बहारों से लाभान्वित होने की कामना करते हुए हिजरी शम्सी वर्ष 1402 की मिठास और कड़वाहटों पर एक संक्षिप्त नज़र डाली।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष की अच्छी और बेहतरीन खबरों में, महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगतियां, बुनियादी ढांचों का उत्पादन, विभिन्न समारोहों में जनता की भव्य उपस्थिति, विशेष रूप से विश्व कुद्स दिवस और 22 बहमन की रैलियों में, मार्च में होने वाला शांतिपूर्ण और पारदर्शी चुनाव और विभिन्न आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्रों में सरकार की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियां इत्यादि थीं।
सुप्रीम लीडर अयातुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनेई ने जनता की आर्थिक और रोज़गार की समस्याओं को वर्ष 1402 हिजरी शम्सी की कड़वी ख़बरों में बताया।
उन्होंने कहा कि शहीद जनरल सुलेमानी की बरसी के अवसर पर किरमान में हुई कड़वी घटना, बलूचिस्तान में बाढ़ और हालिया महीनों में सुरक्षा बलों के साथ हुई घटनाएं, पिछले साल की अन्य कड़वी घटनाओं में थीं लेकिन ग़ज़ा की घटना को सबसे दुखद और सबसे कड़वी घटना समझा जाना चाहिए।
पिछले साल के नारे और स्लोगन का हवाला देते हुए इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने मुद्रास्फीति और उत्पादन वृद्धि पर अंकुश लगाने के क्षेत्र में किए गए कार्यों के मूल्यांकन को अच्छा लेकिन ज़्यादा वांछित क़रार नहीं दिया और इस बात पर ज़ोर दिया कि किसी को भी एक साल के अंदर इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दे के पूरी तरह से साकार होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नए साल में देश का मुख्य मुद्दा अभी भी "अर्थव्यवस्था" है क्योंकि देश की मुख्य कमज़ोरी यही क्षेत्र है और देश को इसी क्षेत्र में सक्रिय होना चाहिए।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अर्थव्यवस्था और उत्पादन के क्षेत्र में जनता की उपस्थिति के बिना उत्पादन में उछाल संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि उत्पादन क्षेत्र में जनता की उपस्थिति में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए और जनता की अपार और बड़ी क्षमताओं को सक्रिय किया जाना चाहिए।
सुप्रीम लीडर ने अपने बयान के अंत में महा मुक्तिदाता हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम को सलाम करते हुए ईश्वर से उनके शीघ्र प्रकट होने की दुआ की जो मानवता को मुक्ति दिलाने वाले हैं।