एक्स सोशल नेटवर्क पर एक ईरानी पत्रकार ने ग़ज़ा की ख़बरों को कवर करने में न्यूयॉर्क टाइम्स की मीडिया चौकड़ी व शरारत का ख़ुलासा किया है।
इल्हाम आबेदीनी ने लिखा कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने किसी तरह एक तस्वीर ली और उसका शीर्षक दिया कि ग़ज़ा तक अधिक सहायता क्यों नहीं पहुंचती? मानो ग़ज़ा परिवेष्टन का शिकार है और सहायता पहुंचाना कितना कठिन है।
ईरान की महिला पत्रकार इल्हाम आब्दीनी लिखती हैं कि यदि कोई ख़बर के अंदर की विषय वस्तु न पढ़ेता है और केवल शीर्षक देखे तो वह स्वभाविक रूप से इस्राईली शासन और नाकाबंदी के मुख्य तत्व पर कम से कम दोष लगाएगा, देखें किस तरह से वे शब्दों को कैसे बदलते हैं और उनसे कैसा खिलवाड़ करते हैं।
यह पहली बार नहीं है कि जब पश्चिमी मीडिया फिलिस्तीन में नरसंहार की सच्चाई छिपाने के लिए ग़ज़ा की जनता की मज़लूमियत और अवैध ज़ायोनी शासन के अपराधों को इस तरह से पेश कर रहा है ताकि हक़ीक़त को नजरअंदाज किया जाए कि ग़ज़ा युद्ध, इस्राईल के माथे पर एक कलंक है और वह पश्चिमी मीडिया कभी भी इन हरकतों से इस्राईल के इस कलंक को जनता की आंखों से छिपा नहीं सकता