ग़ज़ा की हालिया घटनाओं ने पश्चिमी अत्याचारों के मोर्चे की सच्चाई को साबित कर दिया

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ग़ज़ा की हालिया घटनाओं ने पश्चिमी अत्याचारों के मोर्चे की सच्चाई को साबित कर दिया

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नए हिजरी शम्सी साल के पहले दिन बुधवार 20 मार्च की शाम को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में जनता के विभिन्न वर्गों के हज़ारों लोगों से मुलाक़ात की।

सुप्रीम लीडर ने ग़ज़ा की दलदल में ज़ायोनी शासन के फंसने और ज़ायोनियों के अपराधों के मुख्य भागीदार के रूप में अमरीका के दुनिया के राष्ट्रों की बढ़ती नफ़रत की ओर इशारा किया और कहा कि हालिया घटनाओं ने पश्चिम में सत्तासीन अत्याचारों और प्रतिरोध के मोर्चे की सच्चाई को सिद्ध कर कर दिया।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने यह बयान करते हुए कि प्रतिरोध के मोर्चे ने अमरीका के सारे समीकरणों को धराशायी कर दिया, कहा कि अत्याचार विरोधी इस जनमोर्चे ने अपनी वास्तविक क्षमता और शक्ति का प्रदर्शन किया और ईश्वर की इच्छा और उसकी ताक़त से ज़ायोनी शासन के बड़े अत्याचारी अस्तित्व को समाप्त करने का मार्ग जारी रखेगा।  

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर के नेता ने कहा कि ग़ज़ा की घटनाओं और कथित सभ्य व मानवाधिकार की रक्षा की दावेदार दुनिया की नज़रों के सामने 30 हज़ार से ज़्याद बच्चों, औरतों, बूढ़ों और जवानों के क़त्ले आम ने पश्चिमी दुनिया पर छाए हुए अंधकार को स्पष्ट कर दिया है।

उन्होंने कहा कि अमरीका और योरोप वालों ने न सिर्फ़ यह कि क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के जुर्म की रोकथाम नहीं की बल्कि आग़ाज़ के दिनों में ही मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन का दौरा करके अपने सपोर्ट का एलान किया और अपराध जारी रखने के लिए तरह तरह के हथियार और मदद भेजी।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पश्चिम एशिया में प्रतिरोध के मोर्चे के गठन की उपयोगिता उजागर होने को हालिया कुछ महीनों के दौरान की घटनाओं का नतीजा बताया और कहा कि इन घटनाओं ने दिखा दिया कि इस क्षेत्र में प्रतिरोध के मोर्चे की मौजूदगी, सबसे अहम मुद्दों में से एक है और जागरूक अंतरात्माओं से निकलने वाले तथा ज़ायोनी अपराधियों के 70 वर्षीय अत्याचार व अवैध क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ गठित होने वाले इस मोर्चे को दिन ब दिन अधिक मज़बूत बनाना चाहिए।

सुप्रीम लीडर ने प्रतिरोध के मोर्चे की क्षमता के सामने आने को ग़ज़ा की मौजूदा जंग का एक और नतीजा बताया और कहा कि पश्चिम वालों को भी और क्षेत्र की सरकारों को भी प्रतिरोध के मोर्चे की ताक़त व क्षमताओं के बारे में कुछ पता नहीं था।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने प्रतिरोध के मोर्चे की ताक़त के ज़ाहिर होने को अमरीकियों के अंदाज़ों और क्षेत्रीय मुल्कों पर हावी होने की उनकी योजना के नाकाम होने का सबब बताया और कहा कि प्रतिरोध की ताक़त ने उनके अंदाज़ों को नाकाम कर दिया और ये दिखा दिया कि अमरीकी न सिर्फ़ इलाक़े पर हावी नहीं हो सकते बल्कि वो क्षेत्र में रुक भी नहीं सकते और इलाक़े से निकलने पर मजबूर हैं।

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