चीन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में ईरान और गुट पांच धन एक के बीच नए चरण की वार्ता की अपील की है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ले ने शुक्रवार को कहाः हम ईरान और गुट पांच धन एक के बीच यथाशीघ्र वार्ता के नए चरण के आयोजन की आशा करते हैं ताकि किसी व्यापक, दीर्घकालिक व मुनासिब समाधान तक पहुंचा जा सके।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसके साथ ही ईरान के परमाणु मामले पर मतभेद के समाधान के लिए वार्ता और सहयोग को एकमात्र मार्ग बताया।
चीनी विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय आया है जब गुरुवार को ईरान और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए के बीच वार्ता समाप्त हुयी।
आईएईए के उपमहानिदेशक हरमैन नैकैर्ट्स ने शुक्रवार को वियना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में ईरान और एजेंसी के बीच वार्ता में हुयी प्रगति का उल्लेख किया।
ज्ञात रहे अमरीका और उसके कुछ घटक ईरान पर शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम की आड़ में परमाणु शस्त्रों की प्राप्ति के प्रयास का आरोप लगाते हैं और इसी आरोप के बहाने अमरीका ने ईरान पर एकपक्षीय प्रतिबंध लगा दिए हैं जबकि ईरान का कहना है कि उसकी समस्त परमाणु गतिविधियां शांतिपूर्ण हैं जो आईएईए के निरीक्षण में जारी हैं और वह परमाणु अप्रसार संधि एनपीटी के सदस्य देश के नाते शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए परमाणु ऊर्जा के प्रयोग के अपने मूल अधिकार पर बल देता है।
आईएईए ने भी ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों का अनेक बार निरीक्षण किया है और उसे ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले जिससे पश्चिमी देशों के आरोपों की पुष्टि हो।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने भी परमाणु शस्त्रों के निर्माण के वर्जित होने का फ़तवा दिया है।
ज़ायोनी परमाणु प्रतिष्ठान में काम करने वाले मर्दख़ाय वनूनो की सूचना के आधार पर जो उन्होंने 1980 के दशक में द संडे टाइम्ज़ को दी थी, अधिकाशं विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय ज़ायोनी शासन के पास 200-300 परमाणु वारहेड्स हैं।
कितनी अजीब बात है कि मध्यपूर्व में 200 से अधिक परमाणु वारहेड्स से संपन्न ज़ायोनी शासन से पश्चिमी देश यह तक नहीं पूछते कि वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के निरीक्षकों को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों के निरीक्षण की अनुमति क्यों नहीं देता और परमाणु अप्रसार संधि एनपीटी से क्यों नहीं जुड़ता।
ज्ञात रहे इस वर्ष इस्लामी गणतंत्र ईरान और गुट पांच धन एक के बीच इस्तांबूल, बग़दाद और मास्को में तीन चरणों की वार्ता हुयी जिसके दौरान दोनों पक्षों ने एक दूसरे को प्रस्तावों का पैकेज पेश किया।