ईरान के विदेश मंत्रालय की ओर से विश्व क़ुद्स दिवस के दिन प्रदर्शन का आह्वान

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ईरान के विदेश मंत्रालय की ओर से विश्व क़ुद्स दिवस के दिन प्रदर्शन का आह्वान

विश्व क़ुद्स दिवस पर ईरान की ओर से सारे स्वतंत्रता प्रेमियों से प्रदर्शन का आह्वान किया गया।

विश्व क़ुद्स दिवस के दृष्टिगत इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके सारे देशों और मुसलमान राष्ट्रों तथा विश्व के समस्त स्वतंत्रता प्रेमियों से एकजुट होकर 5 अप्रैल को फ़िलिस्तीन की अत्याचारग्रस्त जनता के समर्थन का आह्वान किया है।

ईरान के विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की एतिहासिक पहल की वर्षगांठ पर, जिसमें पवित्र रमज़ान के अन्तिम जुमे को "विश्व क़ुद्स दिवस" का नाम दिया गया था।

इस समय फ़िलिस्तीन का मुद्दा और पवित्र क़ुद्स की स्वतंत्रता का विषय, मानवता और स्वतंत्रता की रक्षा, न्याय की प्राप्ति और क़ब्ज़े तथा उत्पीड़न के विरोध को व्यक्त करने में दुनिया की सभी जातियों और धर्मों की एकता का प्रतीक बन चुका हैं।     

ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनियों के हमले के छठे महीने इस समय फ़िलिस्तीन और वहां की अत्याचारग्रस्त जनता की दुर्दशा, पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी त्रासदी बन चुकी है।  अवैध ज़ायोनी शासन, फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध अपने भयावह अपराधों को जारी रखे हुए है।

उसके हाथों लगभग चालीस हज़ार निर्दोष बच्चों, बूढ़ों, महिलाओं और पुरुषों का जनसंहार किया जा चुका है।  इसी के साथ यह जातिवादी आतंकी आवासीय घरों, अस्पतालों, स्कूलों, मस्जिदों, गिरजाघरों के साथ ही मूलभूत संरचना को नष्ट कर रहा है।  इन अत्याचारों के साथ वह ग़ज़्ज़ा वासियों को भूखा रखकर उनको मार रहा है।

पवित्र रमज़ान के महीने में मुसलमानों के पहले क़िब्ले बैतुल मुक़द्दस का अनादर, इस पवित्र स्थल के आंगन में नमाज़ियों पर हमले और उनकी पिटाई, फ़िलिस्तीनी महिला बंदियों पर अत्याचार और उनको यातनाएं देने जैसा काम न केवल ग़ज़्ज़ा में बल्कि पूरे फ़िलिस्तीन में जारी है।  इस अवैध शासन ने पूरे फ़िलिस्तीन को लाखों फ़िलिस्तीनियों के लिए एक ओपेन जेल में परिवर्तित कर दिया है।  उसने इस स्थान को मानवता की हत्या और मानव की अंतरात्मा के क़ब्रिस्तान में बदल दिया है।

इस बयान में अमरीका और पश्चिम के व्यवहार के संदर्भ में आया है कि निःसन्देह, इन अत्याचारों के कलंक का टीका, इस अवैध शासन और उसके उन समर्थकों के माथे से कभी भी नहीं हटेगा जिसमें अमरीका और पश्चिमी सरकारें शामिल हैं।

इन्होंने न केवल यह कि इन अत्याचारों को रोकने की कोई कोशिश नहीं की बल्कि हमले के पहले ही दिन से उसको हथियार भेजकर और वहां की यात्राएं करके समर्थन किया।  यह बात कभी भी मानव इतिहास के पटल से मिट नहीं सकती।

वर्तमान समय में फ़िलिस्तीनियों विशेषकर प्रतिरोधकर्ताओं की बहादुरी उनके धैर्य एवं प्रतिरोध ने ज़ायोनियों के तथाकथित अजेय के नारे को मिट्टी में मिला दिया।  इस समय ज़ायोनी और उसके समर्थक, विश्व के आम लोगों की घृणा की दलदल में फंसे हुए हैं।  एसे में अवैध ज़ायोनी शासन की पराजय निश्चित है जो ईश्वरीय वादे के अनुरूप है।

अब ज़ायोनी और वर्चस्ववादी मीडिया भी इस काम में सक्षम नहीं रहा है कि वह क्षेत्रीय राष्ट्रों की जागरूकता से उत्पन्न इस प्रतिरोध को ईरान से जोड़कर ज़ायोनियों की निश्चित पराजय को रोक नहीं पाएगा।

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