जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्त्ज़ ने अलअक़सा तूफ़ान आपरेशन के बाद अवैध ज़ायोनी शासन के लिए हथियारों की सप्लाई तेज़ कर दी।
क़ानून का समर्थन करने वाले यूरोपीय केन्द्र के अनुसार फ़िलिस्तीनी इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक डिप्लोमैटिक सर्विसेज़, फ़िलिस्तीनी अधिकार संगठन और जांच एजेन्सी फारेंसिक की घोषणा के अनुसार शिकायतकर्ताओं ने जर्मनी की सरकार से मांग की है कि उनके जीवन की रक्षा की जाए और अवैध ज़ायोनी शासन के लिए भेजे जाने वाले हथियारों के निर्यात को रोका जाए।
हालिया वर्ष के आरंभिक तीन महीनों के आंकड़े बताते हैं कि जर्मनी की सरकार ने 5.2 यूरो मूल्य के हथियारों के निर्यात को हरी झंडी देदी है। जर्मन की फेडरल मिनिस्ट्री आफ इकॉनामी की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत निर्यात, निकट के सहयोगी देशों के लिए होता है। लगभग तीन-चौथाई या 74 प्रतिशत निर्यात, केवल यूक्रेन के लिए किया गया। इस हिसाब से पिछले वर्षों की तुलना में इस साल के आरंभिक तीन महीनों के निर्यात के आंकड़े बहुत अधिक हैं जो अभूतपूर्व बताए जा रहे हैं।
महत्वपूर्ण ग्राहक ज़ायोनी शासनः
इसी तरह से शोध संस्था, SIPRI की ओर से किये गए शोध के आधार पर अमरीका के साथ ही जर्मनी, अवैध ज़ायोनी शासन के लिए लगभग 99 प्रतशित हथियारों की आपूर्ति करता है। एसआईपीआरआई के अनुसार ज़ायोनी शासन ने सन 2019 से 2023 के बीच जर्मनी से 30 प्रतिशत हथियारों का आयात किया है।
जर्मनी की सरकार ने ज़ायोनी शासन के लिए अपने यहां के बने हथियारों के निर्यात को प्राथमिकता में शामिल कर रखा है। शायद यही वजह है कि जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्त्ज़ ने अलअक़सा तूफ़ान आपरेशन के बाद अवैध ज़ायोनी शासन के लिए हथियारों की सप्लाई तेज़ कर दी है।
सन 2022 की तुलना में जर्मनी की ओर से ज़ायोनी शासन के लिए हथियारों का निर्यात दस बराबर बढ़कर 354 मिलयन डालर तक पहुंच चुका है। इनमें से लगभग 22 मिलयन डालर के हथियारों में पोर्टेबल एंटी टैंक, मशीनगनों के लिए गोलियां और पूरी तरह से या अर्ध स्वचालित फाएरआर्म्स शामिल हैं।
वकीलों की शिकायतेंः
इसी संबन्ध में चिंताओं के बीच जर्मनी के वकीलों ने बर्लिन की अदालत से अनुरोध किया है कि ज़ायोनी शासन के लिए देश की ओर से हथियारों के निर्यात को रोका जाना चाहिए क्योंकि इन हथियारों से अन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन होता है।
मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार यूरोप में सक्रिय फ़िलिस्तीनी संगठनों से संबन्धित वकीलों की यह दूसरी शिकायत है।
क़ानून का समर्थन करने वाले यूरोपीय केन्द्र के एलान के अनुसार इन वकीलों ने इस बात की पुष्टि की है कि जर्मनी, इस्राईल को हथियार निर्यात करने वाला सबसे बड़ा यूरोपीय देश है। इन हथियारों को अधिकतर 7 अक्तूबर 2023 की घटना के बाद, ज़ायोनी शासन के लिए निर्यात किया गया है।
हथियारों पर नियंत्रण के क़ानून के अनुसार बर्लिन की ओर से इस्राईल के लिए हथियारों की आपूर्ति और उसके समर्थन से जर्मनी के संघीय दायित्वों के निर्वाह का उल्लंघन होता है।
हथियारों को निर्यात करने का एक क़ानून यह भी है कि इन हथियारों को अन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों के प्रति जर्मनी की प्रतिबद्धता के विरुद्ध प्रयोग न किया जाए जबकि अवैध ज़ायोनी शासन, ग़ज़्ज़ा पर हमलें में अन्तर्राष्ट्रीय नियमों का खुलकर उल्लंघन कर रहा है।
निकारागुआ की शिकायतः
इसी संबन्ध में निकारागुआ की सरकार ने नीदरलैण्ड में स्थित अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में एक याचिका दाखिल करके जर्मनी की ओर से इस्राईल के लिए भेजे जाने वाले हथियारों को रुकवाने की मांग की है। उसने अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय से मांग की है कि जर्मनी की ओर से इस्राईल के लिए की जाने वाली सैन्य सहायता रुकवाई जाए।
निकारागुआ ने जर्मनी पर आरोप लगाया है कि वह ग़ज़्ज़ा में इस्राईल द्वारा किये जा रहे जातीय सफाए, अन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों के उल्लंघन और मानवताप्रेमी क़ानूनों के उल्लंघन का समर्थन करता है। उसके अनुसार इसमे कोई शक नहीं है कि जर्मनी को जातीय सफाए की पूरी जानकारी है लेकिन फिर भी वह इस्राईल के समर्थन को जारी रखे हुए है।