तेहरान में किताबों के अंतरराष्ट्रीय मेले में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें अहलेबैत अलै. और शिया संस्कृतिक के विषय पर यूरोपीय और अफ़ीक़ी नौ भाषाओं में 15 किताबों का विमोचन किया गया। तेहरान में किताबों की यह 35वीं अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी है।
इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में "मजमये जहानी अहलेबैत" यानी अहलेबैत वर्ल्ड असेंबली के महासचिव आयतुल्लाह रज़ा रमज़ानी मौजूद थे। जिन किताबों का अनावरण किया गया उनमें से एक नाम "ख़ुर्शीदे मग़रिब" है और इसका विमोचन जर्मन भाषा में किया गया। इसी प्रकार "अहकामे विजये बानवान" और "मर्ज़दारे मकतबे अहलेबैत" (यह किबात अल्लामा सैयद मुर्तुज़ा अस्करी की जीवनी के बारे में है) नामक किताबों का अंग्रेज़ी भाषा में अनुवाद का अनावरण किया गया।
इसी प्रकार " आश्नाई बाइस्लाम" नामक किताब का रूसी भाषा में और "शिया व फ़ुनूने इस्लाम" नामक किताब का फ्रांसीसी भाषा में अनुवाद पेश किया गया।
इसी प्रकार "चश्म अंदाज़ी बे हुकूमते हज़रत महदी अलै." नामक किताब का अफ्रीक़ी भाषा हौसा में अनुवाद पेश किया गया जबकि "अस्सलात मेराजुल मोमिन" किताब को सवाहिली और फौलानी भाषाओं में, "हक़ीक़त आन गूनेकि हस्त" किताब का रुवांडाई और फौलानी भाषाओं में अनुवाद पेश किया गया।
इसी प्रकार "इमाम हुसैन" और "अह्याये सिरये पयाम्बर और अमीरे मोमिनान" अद्ल दर नज़दीके अहलेबैत" "अक़ायदे शिया 12 इमामी" ग़ोररुल हेकम व दोररिल हेकम" किताबों का सवाहिली भाषा में अनावरण किया गया।
आयतुल्लाह रमज़ानी ने इस समारोह में कहा कि जागरुक समाज प्रगति करता है। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि किताब इस बात का कारण बनती है कि इंसान अतीत और भविष्य के मध्य संबंध स्थापित करता है।
"मजमए जहानी अहलेबैत" यानी अहलेबैत वर्ल्ड असेंबली के महासचिव ने ईरान की इल्मी व वैज्ञानिक प्रगति की ओर संकेत किया और कहा कि इस्लामी क्रांति की सफलता के आरंभ में वैज्ञानिक प्रगति में ईरान का 57वां स्थान था और आज हम 15वें स्थान पर पहुंच गये हैं और कुछ विषयों में वैज्ञानिक प्रगति की दृष्टि से हम दुनिया के दसवें देश हैं।