क़ुद्स शरीफ़ फ़्रीडम एक्टिविस्ट असेंबली के महासचिव का कहना है: सौभाग्य से आज शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच एकता व्यावहारिक रूप धारण कर चुकी है और शिया देश यमन, सुन्नी संगठन हमास की रक्षा और बचाव करता है।
इस सप्ताह "फ़िलिस्तीन सांस्कृतिक सप्ताह/अवैध क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ प्रतिरोध के 76 साल" नामक प्रदर्शनी आयोजित हुई जिसमें राष्ट्रपति कार्यालय में स्थित इस्लामी क्रांति सहायता समिति के प्रमुख अयातुल्लाह मुहम्मद हसन अख़्तरी, ईरान के विदेश मंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार और क़ुद्स शरीफ़ फ़्रीडम एक्टिविस्ट असेंबली के महासचिव मीसम अमरूदी, ईरान में लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन अमल के प्रतिनिधि सलाह फ़हस और फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में सक्रिय लोगों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह प्रदर्शनी तेहरान में राष्ट्रीय पवित्र प्रतिरक्षा म्युज़ियम में आयोजित हुई।
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच व्यवहारिक तौर पर एकता और एकजुटता पैदा हो गयी
ईरान के विदेश मंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार और क़ुद्स शरीफ़ फ़्रीडम एक्टिविस्ट असेंबली के महासचिव मीसम अमरूदी ने इस सम्मेलन में कहा: हमें बहुत दुख है कि आज तक हमने 35 हज़ार से अधिक शहीदों का बलिदान किया जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे और इन लोगों को जितना संभव हो सका सबसे जघन्य तरीके से शहीद किया गया।
आज, हम ग़ज़ा में ऐसे दृश्य देख रहे हैं जिसने लोगों को उनके जीवन, स्वास्थ्य और शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया है और संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के अनुसार, यह क्षेत्र खुली जेल में तब्दील हो चुका है।
ईरान के विदेश मंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार और क़ुद्स शरीफ़ फ़्रीडम एक्टिविस्ट असेंबली के महासचिव मीसम अमरूदी
आज ग़ज़ा में ऐसा नरसंहार हुआ है, जिसके लिए अगले 100 वर्षों तक उपन्यास और कहानियां लिखी जा सकती हैं और मज़लूम लोगों पर होने वाली इन कार्यवाहियों की वजह से पूरी दुनिया में हंगामा मच जाएगा, बेशक अगर इतिहास स्वयं को ज़ायोनी मीडिया के वर्चस्ववादी चंगुल से बाहर निकाल सके।
उन्होंने कहा: सौभाग्य से आज शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच एकता व्यावहारिक रूप धारण कर चुकी है और शिया देश यमन, सुन्नी संगठन हमास की रक्षा और बचाव करता है, आज हम मैदाने जंग में क़ुरआन पर अमल होता देख रहे हैं।
इसलिए, हम मुसलमानों को यह जान लेना चाहिए कि अगर हममें एकता है तो अमेरिका और इस्राईल हमारे लिए समस्याएं पैदा नहीं कर सकते।
ज़ायोनी शासन के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया समाप्त हो गई है और अमेरिका को इस्राईल का समर्थन करने के लिए अपने विमानों को सीधे अवैध क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों की ओर भेजने पर मजबूर होना पड़ा है।
ऑप्रेशन ट्रू प्रॉमिस से पहले इस्राईल को कोई निशाना नहीं बना सकता था और अब आज यह इस कामयाब ऑपरेशन की ताज़ा सांस है।
इस ऑप्रेशन ने ज़ायोनी शासन का घमंड तोड़ दिया है। आज हम देख रहे हैं कि अमेरिका, लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़बुल्लाह से बातचीत करने पर मजबूर हो गया है।