पश्चिम एशिया में ईरान नॉलेज बेस्ड कंपनियों का हब बन चुका है

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पश्चिम एशिया में ईरान नॉलेज बेस्ड कंपनियों का हब बन चुका है

नॉलेज बेस्ड कंपनियां, आज किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी मानी जाती हैं। ईरान में इस तरह की कई कंपनियां सक्रिय हैं।

कुछ नॉलेज बेस्ड ईरानी कंपनियां अपने प्रोडक्ट दूसरे देशों में निर्यात कर रही हैं, ख़ास तौर पर नैनो, मेडिकल इंजिनीयरिंग, दवा और मेडिकल डिवाइसेस के क्षेत्र में।

ईरान की 11वीं संसद में पारसियों के प्रतिनिधि डा. इसफ़ंदयार बख़्तियारी कि जो देश में नॉलेज बेस्ड कंपनियों से संबंधित दो महत्वपूर्ण क़ानूनों को पारित कराने में अहम भूमिका रखते हैं, यज़्द में पहले टेक्नो सैंटर के संस्थापक भी हैं, जिन्हें ईरान की नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था और नॉलेज पार्कों का जनक भी कहा जाता है।

डा. इसफ़ंदयार बख़्तियार से बातचीत की है, जिसे हम यहां पेश कर रहे हैं।

डा. साहब नॉलेज बेस्ड कंपनी क्या है?

नॉलेज बेस्ड कंपनियों की स्थापना, विचार और ज्ञान के आधार पर की जाती है। दर असल यह कंपनियां, अपने आईडियाज़ और डिज़ाइंस को लागू करती हैं और उन्हें बेचती हैं। नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था में हम इनोवेशन और टैक्नॉलोजी पर भरोसा करते हैं। इस अर्थव्यवस्था वाले मॉडल में कस्टमर, इनोवेशन और नए विचारों के लिए भुगतान करते हैं, इसलिए यह सिलसिला कभी रुकता नहीं है, क्योंकि सोच कभी रुकती नहीं होती।

दर असल, नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था में महान ईरानी शायर सादी के इस कथन को अमली जामा पहनाया जाता है, जो कहते हैः जो बुद्धिमान है, वही सक्षम है।

ईरान में नॉलेज बेस्ड कंपनियों का आइडिया कब आया और कब से इस पर काम शुरू हुआ?

ईरान में नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था का आग़ाज़ लगभग 22 साल पहले हुआ, जब देश में पहले नॉलेज पार्क की स्थापना की गई। उसके  9 साल बाद, इससे संबंधित एक क़ानून पारित किया गया, जिसमें नॉलेज बेस्ड कंपनियों और नॉलेज पार्कों के बुनियादी ढांचे का समर्थन किया गया था और इन कंपनियों को परिभाषित किया गया था।

इस क़ानून की बुनियाद पर कई कंपनियों ने काम शुरू किया और कुछ पुरानी कंपनियों ने भी नए जोश के साथ इसे अपनाया। दो साल पहले नॉलेज बेस्ड उत्पादन में वृद्धि से संबंधित एक दूसरा क़ानून पारित किया गया।

आज ईरान में नॉलेज बेस्ड कंपनियों की क्या स्थिति है?

हमें इस फ़ील्ड में अच्छा अनुभव है। दर असल ईरान इस फ़ील्ड में पूरे पश्चिम एशिया का हब बन गया है। विश्व स्तर पर भी उसकी स्थिति अच्छी है। ऐसी कुछ कंपनियों का एक्सपोर्ट और टर्नओवर अच्छा है और वह विश्व स्तर पर काम कर रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इससे रिलेटेड हम किन मामलों में सफल हैं?

हमारे देश में अकसर ऐसी कंपनियां, टैक्नॉलोजी और इंजीनियरिंग, मेडिकल रोबोट, मेडिकल इंजीनियरिंग, आईटी और नैनो टैक्नॉलोजी के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

ईरान की कई नॉलेज बेस्ड कंपनियां, मेडिकल उपकरण बनाने में कई मल्टीनेशनल कंपनियों से मुक़ाबला कर रही हैं। कई कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स दूसरे देशों को एक्सपोर्ट कर रही हैं।

क्या यह कंपनियां, ह्यूमैनिटीज़ और आर्ट में भी यह कंपनियां सक्रिय हैं?

हां, हर वह क्षेत्र जहां नए विचार पैदा हों, और यह विचार अर्थव्यवस्था में भूमिका अदा करें, तो उसे नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था कहा जाता है। मिसाल के तौर पर टूरिज़म में उस पहले शख़्त के विचार को कि जिसने अपने निजी घर को टूरिस्टों के ठहरने और उससे पैसा कमाने की शुरूआत की, नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था कहा जाएगा।

नॉलेज बेस्ड कंपनियों पर अमरीकी पाबंदियों का क्या असर पड़ा?

पाबंदियों ने तरीक़े से काफ़ी मदद की, क्योंकि ऐसी कई कंपनियों की बुनियाद, ज़रूरत और अभाव के आधार पर पड़ी। जैसे कि कोरोना के ज़माने में जब ईरान को वेंटिलेटर्स के इम्पोर्ट की इजाज़त नहीं मिली, तो इन कंपनियों ने ख़ुद नए प्रकार के वेंटिलेटर्स को डिज़ाइन किया और बनाया। दर असल, पाबंदियों की वजह से कई क्षेत्रों में इन कंपनियों को बढ़ावा मिला।

लेकिन पाबंदियों से नुक़सान भी हुआ, क्योंकि इन कंपनियों को दूसरे देशों को अपने प्रोडक्ट्स बेचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और वह पैसे का लेन-देन आसानी से नहीं पा रही हैं।      

नॉलेज बेस्ड कंपनियों का भविष्य कैसा है?

ईरानियों के पास बुद्धि और ज्ञान दोनों हैं, इसलिए नॉलेज बेस्ड कंपनियां अच्छा काम कर सकती हैं, लेकिन इस शर्त के साथ कि अर्थव्यवस्था के सरकारी होने की समस्या उनके रास्ते में रुकावट न बने।

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