इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री ने कहा है कि युरोपीय संघ का फैसला, उनके नारों और बातों के विपरीत है और सीरिया के संदर्भ में उनकी नीतियां अब तक भेदभावपूर्ण रही हैं।
विदेशमंत्री अली अकबर सालेही ने बुधवार की शाम, तेहरान में सीरिया पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन के बाद पत्रकारों से वार्ता के दौरान, सीरियाई विद्रोहियों को शस्त्र बेचने पर पर लगे प्रतिबंध को ख़त्म किये जाने की ओर संकेत करते हुए कहा कि युरोपीय संघ का यह निर्णय उनके नारों के विपरीत है और वास्तव में उनकी घोषित नीतियां बहुत भिन्न हैं और उन्हों ने सीरिया के बारे में सदैव ही भेदभावपूर्ण व दोहरी नीति अपनायी है। विदेशमंत्री ने कहा कि पश्चिम के पास चूंकि मीडिया की शक्ति है और शक्ति में भरोसा रखता है इस लिए उसके जो मन में आता है करता है और विश्व जनमत उस पर ध्यान भी नहीं देता। उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुए कि युरोपीय संघ में सभी देश, सीरियाई विद्रोहियों को शस्त्रों की आपूर्ति पर लगे प्रतिबंध हटाने के पक्षधर नहीं है, कहा कि केवल फ्रांस और ब्रिटेन इस पर आग्रह कर रहे थे और आस्ट्रिया तथा किसी सीमा तक जर्मनी जैसे बहुत से सदस्य देश विरोधी थे किंतु युरोपीय संघ में बल व प्रभाव का प्रयोग करके इस प्रस्ताव को पारित करा लिया गया। विदेशमंत्री अली अकबर सालेही ने अमरीकी सेनेटर मिक कीन के सीरिया में अवैध प्रवेश और विद्रोहियों से भेंट के बारे में कहा कि यह सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों के विरुद्ध है कि एक देश का सेनेटर बिना सरकारी अनुमति के दूसरे देश की सीमा में प्रवेश करे। उन्होंने कहा कि हम इस कदम की आलोचना करते हैं और इस से विश्व जनमत को यह संदेश जाता है कि अमरीका एक साम्राज्यादी व वर्चस्ववादी देश है जो जहां चाहता है बल पूर्वक अपनी इच्छा थोप देता है। उन्होंने सीरिया के बारे में जेनेवा टू सम्मेलन के प्रति ईरान के रूख के बारे में पूछे गये एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि हर वह क़दम जिसमें सीरिया के संकट को शांतिपूर्ण रूप से हल करने की बात की गयी हो, हम उसका समर्थन करते हैं।