अफ़ग़ानिस्तान की पार्लियामेंट में बामयान प्रांत का प्रतिनिधित्व करते रहे मोहम्मद सरवर जवादी ने कहा कि तालिबान की हरकतें उकसाने वाली हैं जबकि शिया समुदाय किसी तरह का तनाव नहीं चाहता है।
सरवर जवादी ने कहा कि तालिबान सरकार ने शिया समुदाय से संबंधित ख़ातिमुल अंबिया यूनिवर्सिटी, तमद्दुन चैनल और हौज़ए इल्मिया ख़ातिमुल अंबिया को बंद करा दिया है।
उन्होंने कहा कि अफ़सोस की बात है कि तालिबान उन सभी धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का विरोध करता है जिनसे वे सहमत नहीं हैं, और ऐसा कोई भी धर्म या धार्मिक काम जो उनकी मान्यताओं के अनुरूप नहीं हैं, साथ ही सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ जो उनकी मान्यताओं में फिट नहीं होती हैं तालिबान उनका कट्टर विरोधी है और तालिबान के लिए यह कोई नया काम नहीं है। तालिबान ने अफगान शिया समुदाय से जुड़े मीडिया, सांस्कृतिक केंद्रों, सूचना और जागरूकता केंद्रों पर प्रतिबंध लगा दिया। कई मीडिया आउटलेट पहले ही बंद कर दिए गए हैं। हम किसी तरह का टकराव नहीं चाहते। अफ़ग़ानिस्तान के शिया शुरू से ही युद्ध और हिंसा की ओर नहीं जाना चाहते थे, भविष्य में भी हम यह रास्ता नहीं चुनेंगे। अफ़ग़ानिस्तान की समस्याएँ केवल धार्मिक और सांस्कृतिक नहीं हैं। अफगान शियाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या अर्थव्यवस्था भी है। फिलहाल अफगानिस्तान के शिया इलाकों में बड़े पैमाने पर खदानें लूटी जा रही हैं, लेकिन क्षेत्र के लोगों की ओर से किसी भी व्यक्ति या कंपनी को इनमें काम करने की भी इजाजत नहीं है।