हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि अमरीका और ब्रिटेन आतंकवाद के जननी हैं।
गुरुवार की रात इमाम हुसैन (अ) और उनके साथियों की कर्बला में शहादत की याद में आयोजित शोक सभा को संबोधित करते हुए हसन नसरुल्लाह ने कहाः अमरीकी और ब्रिटिश ख़ुफ़िया एजेंसियां आतकंवादी गुटों को जन्म देती हैं।
उन्होंने कहा कि आतकंवादी गुटों के गठन का मक़सद, जिहाद, शहादत और प्रतिरोध का अपमान करना और उन्हें बदनाम करना है।
हिज़्बुल्लाह प्रमुख का कहना था कि सन् 2,000 के बाद, पश्चिम में बड़े पैमाने पर एक कैंपेन शुरू की गई, जिसमें इस्लामी प्रतिरोध को बदमान किया गया और जिहाद शब्द को ही एक नकारात्मक शब्द में बदल दिया गया।
हालांकि अमरीका और ब्रिटेन विश्व आतंकवाद को जन्म देने वाले और उसका भरण-पोषण करने वाले हैं।
दाइश के तत्वों को अमरीकी जेलों और कैम्पों में प्रशिक्षण दिया गया। सीरिया के हसका प्रांत में अल-हुलूल कैम्प एक ऐसा ही कैम्प है, जहां आतकंवादियों को रखा जाता है। अब तक कई ऐसी रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं, जिनमें उल्लेख किया गया है कि अमरीकी सेना जेलों से सैन्य अड्डों में आतंकवादियों को स्थानांतरित करती है और वहां उन्हें आतंकवादी हमलों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है।
आतंकवादी क्षेत्रीय देशों में आतंकवादी हमले करते हैं, और इस तरह से वाशिंगटन एक तीर से दो शिकार करता है। आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई के बहाने वह क्षेत्रीय देशों में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखता है।
दर असल, आजकल अमरीका पर क्षेत्रीय देशों से अपने सैनिक बाहर निकालने के लिए भारी दबाव है और इस इलाक़े के लोग मानते हैं कि इराक़ और सीरिया में अमरीका के हित, दाइश के अपराधों से जुड़े हुए हैं।