चीन ने उत्तरी अटलांटिक संधि यानी नाटो पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अशांति फैलाने और वहां डर का माहौल पैदा करने की कोशिश का आरोप लगाया है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने नाटो पर एशिया-पेसिफ़िक क्षेत्र में डर का माहौल पैदा करने का आरोप लगाते हुए उसे चेतावनी दी कि इस क्षेत्र को अशांत करने का प्रयास न करे।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने गुरुवार को एशिया प्रशांत क्षेत्र के बारे में वाशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन के बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह बयान शीत युद्ध की मानसिकता की पैदावार है और इससे नफ़रत और दुश्मनी की बू आती है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने नाटो से शीत युद्ध की मानसिकता और तनावपूर्ण दृष्टिकोण को त्याग दे और चीन की सही छवि दिमाग़ में रखे। इसके अलावा, चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप, उसके ख़िलाफ़ निराधार आरोप लगाना और चीन और यूरोप के बीच संबंधों को बाधित करना बंद करे।
लिन जियान ने नाटो पर यूरोप में अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहाः चीन दृढ़ता से अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास का आनंद लेने के अधिकार का बचाव करता है।
अंत में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहाः
अफ़ग़ानिस्तान और लीबिया की त्रासदियों से पता चलता है कि जहां भी नाटो मौजूद रहेगा, वहां अराजकता और हिंसा का राज होगा।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भी अपने देश के ख़िलाफ़ नाटो नेताओं के आरोपों को निराधार और बेबुनियाद बताते हुए कहा कि इस सैन्य संगठन को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।
वाशिंगटन में आयोजित शिखर सम्मेलन में नाटो नेताओं ने चीन को यूक्रेन युद्ध में एक निर्णायक कारक और अटलांटिक महासागर के दोनों किनारों के बीच संबंधों के लिए एक गंभीर चुनौती बताया था। नाटो के इस रुख़ पर बीजिंग ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी।
चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग में संयुक्त स्टाफ़ के उप प्रमुख ने हाल ही में कहा था कि अमरीका क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, और वाशिंगटन एशिया में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन की एक कॉपी बनाना चाहता है। ताकि वह इस क्षेत्र पर अपना आधिपत्य जमा सके।