लखनऊ में निकाला गया आशूरा का जुलूस

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लखनऊ में निकाला गया आशूरा का जुलूस

यौमे आशूरा यानी दसवीं मोहर्रम को बुधवार को पूरी अकीदत एहतराम और गमगीन माहौल में मनाया गया,इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की हक और इंसाफ के लिए दी गई शहादत को याद करते हुए पुराने लखनऊ के इमामबाड़ा नाज़िम साहब से कर्बला तालकटोरा तक जुलूस ए आशूरा निकाला गया जिसमें लखनऊ की सैकड़ों अंजुमनों ने नौहाख्वानी और सीनाज़नी कर कर्बला के शहीदों को ख़िराजे अकीदत पेश किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,यौमे आशूरा यानी दसवीं मोहर्रम को बुधवार को पूरी अकीदत एहतराम और गमगीन माहौल में मनाया गया,इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की हक और इंसाफ के लिए दी गई

शहादत को याद करते हुए पुराने लखनऊ के इमामबाड़ा नाज़िम साहब से कर्बला तालकटोरा तक जुलूस ए आशूरा निकाला गया जिसमें लखनऊ की सैकड़ों अंजुमनों ने नौहाख्वानी और सीनाज़नी कर कर्बला के शहीदों को ख़िराजे अकीदत पेश किया।

इस मौके पर शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि इमाम हुसैन ने साढ़े तेरह सौ बरस पहले हिन्दुस्तान में बसने की ख्वाहिश जाहिर की थी लेकिन वह कर्बला में शहीद हो गए। उनकी इस ख्वाहिश को हिन्दुस्तान के रहने वाले हर धर्म के लोग आज भी उसी तरह से मातम और मजलिस के जरिए पूरा करने की कोशिश करते हैं।

लखनऊ के स्वामी सारंग ने भी कहा कि इमाम हुसैन हर हिन्दुस्तानी के दिल में बसते हैं इससे पहले दस दिनों तक घरों में रखे गए ताजियों को कर्बलाओं में सुपुर्द ए खाक किया गया।

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