इस्लामी प्रतिरोध वर्चस्ववादी नीतियों के मार्ग में सबसे बड़ी रुकावट

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इस्लामी प्रतिरोध वर्चस्ववादी नीतियों के मार्ग में सबसे बड़ी रुकावटलेबनान के इस्लामी प्रतिरोधी संगठन हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने प्रतिरोध को ज़ायोनी शासन की वर्चस्ववादी नीतियों से मुक़ाबले के लिए एकमात्र विकल्प क़रार दिया है।

अलमनार टीवी चैनल के अनुसार, शुक्रवार को हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने इस्लामी प्रतिरोध के घायल वीरों एवं शहीदों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में वीडियो कांफ़्रेसिंग द्वारा संबोधित करते हुए कहा कि अगर प्रतिरोध का बलिदान नहीं होता तो आज लेबनान इस्राईल का ग़ुलाम होता।

नसरूल्लाह ने उल्लेख किया कि यह प्रतिरोध ही है कि जिसके कारण लेबनान ज़ायोनी शासन इस्राईल के अतिक्रमण से स्वतंत्र हुआ और आज लेबनानी जनता सम्मानपूर्वक पानी और तेल सहति अपने देश के प्राकृतिक स्रोतों से लाभ उठा रही है।

पड़ोसी देशों के विरुद्ध दुश्मन की साज़िशों के प्रति सचेत करते हुए हसन नसरुल्लाह ने कहा कि कुछ अरब संचार माध्यम सीरिया में साम्प्रदायिक सद्भावना बिगाड़ने और नस्लीय दंगे भड़काने का प्रयास कर रहे हैं।

हिज़्बुल्लाह के महसचिव ने हज़रत अबुल फ़ज़्लिल अब्बास (अ) को वफ़ादारी और दूर दृष्टि का प्रतीक बताया।

इस सम्मेलन में लेबनान में ईरान और सीरिया के राजदूत भी उपस्थित थे।

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