केदारनाथ में एक बच्चे को सुरक्षित उसके परिजनों को सौंपता भारतीय सेना का एक जवान
संवाददाता
भारत के उत्तराखंड राज्य में बाढ़ प्रभावितों को बचाने के लिए भारतीय वायु सेना, थल सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सड़क संगठन और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल ने शुक्रवार से अपना अभियान और तेज़ कर दिया है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकालने के लिए 55 हेलीकाप्टर पहले से लगाए गए हैं और 35 हेलीकाप्टर शनिवार से लगाए जाएंगे। इसे अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान बताया जा रहा है।
56000 यात्रियों व पर्यटकों को सुरक्षित निकाला जा चुका है किन्तु अभी भी लगभग 30000 लोग फंसे हुए हैं।
मौसम विभाग की ओर से उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अगले 24-48 घंटे के बीच वर्षा की चेतावनी जारी किए जाने से राहत कर्मियों की चिंता बढ़ गयी हैं।
556 शव मिले, सैकड़ों की मौत की आशंका : बहुगुणा
इससे पूर्व कल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि राज्य में आपदा की चपेट में आकर मारे गए लोगों के अभी तक 556 शव मिले हैं। विजय बहुगुणा ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है।
समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा, ''अभी तक कुल 556 शव निकाले गए हैं और इस बात की आशंका ज़ाहिर की जा रही है कि मलबों के अंदर और भी शव दबे हो सकते है।''
उन्होंने कहा, ''हिमालय के इतिहास में इस तरह की त्रासदी नहीं हुई थी।'' 'उत्तराखंड के पुनिर्माण में समय लगेगा और अगले दो वर्षों तक केदारनाथ की तीर्थयात्रा संभव नहीं हो सकेगी।'' आपदा से सबसे ज़्यादा केदारनाथ ही प्रभावित हुआ है। अभी तक आपदा में मरने वालों की अधिकृत संख्या 200 घोषित है, लेकिन अधिकारियों और राहतकर्मियों ने चेतावनी दी है कि यह संख्या हज़ारों में नहीं तो सैकड़ों में पहुंच सकती है।
बहुगुणा ने स्वीकार किया कि उत्तराखंड राष्ट्रीय आपदा राहत प्रबंधन के नियमों को पूरा नहीं किया, लेकिन कहा कि उनके प्रशासन को बादल फटने की चेतावनी नहीं दी गई थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि अभी तक क़रीब 3०,००० लोगों को निकाला जा चुका है और जो अभी भी फंसे हुए हैं उनकी जान को कोई खतरा नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि इस प्राकृतिक आपदा में असंख्य लोगों की जान गई। लोगों को पूरी तरह से निकालने के काम में और 15 दिन लगेंगे।