लखनऊ में कर्बला के शहीदों के चालीसवें पर चेहल्लुम का जुलूस निकला अज़ादार नंगे पावं शहीदों को पुरसा देने के लिये जुलूस में हिस्सा लिए।
पुराने लखनऊ में कर्बला के शहीदों के चालीसवें पर चेहल्लुम का जुलूस निकला अज़ादार नंगे पावं शहीदों को पुरसा देने के लिये जुलूस में हिस्सा लिए।
रोते हैं सब खास-ओ-आम चेहल्लुम हुआ तमाम, चले आओ ए जव्वारों चले आओ, मेरी आवाज पे लब्बैक पुकारे जाओ। दर्द भरे नौहों और या हुसैन, या हुसैन की सदाओं के साथ अजादारों के गमजदा चेहरे नम आंखों से कर्बला के शहीदों को पुरसा दे रहे थे।
हज़रत इमाम हुसैन सहित कर्बला के 72 शहीदों के चालीसवें पर सोमवार को चेहल्लुम का जुलूस निकला अजादार नंगे पावं शहीदों को पुरसा देने के लिये जुलूस में साथ हो लिये। जुलूस में शामिल मातमी अंजुमने अपने अलम के साथ आंखों में अश्क भरे मातम करती हुई चल रहीं थीं।
कर्बला के शहीदों के चेहल्लुम के जुलूस में शामिल होने के लिये अंजुमनें व अजादार बड़ी तादात में सुबह से ही विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा नाजिम साहब पहुंचना शुरू हो गये।
दोपहर में इमामबाड़े में मौलाना कल्बे जवाद नकवी के बेटे मौलाना कल्बे अहमद ने मजलिस को खिताब करते हुये कैदखाना ए शाम में मनाए गये चेहल्लुम का मंजर बयान किया तो वहां मौजूद अजादार गमगीन हो गये। मजलिस के बाद एक एक कर मातमी अंजुमन के निकलने कासिलसिला शुरू हुआ।
जुलूस में सबसे आगे हजरत अब्बास का परचम था। इसके साए में शहर की तमाम अंजुमनें नौहाख्वानी करती हुई जुलूस में बढ़ चलीं।
अंजुमनों के मातमदार जंजीर, कमा व सीनाजनी कर कर्बला के शहीदों को अपने खून से पुरसा दे रहे थे। इसके पीछे कर्बला के शहीदों के शबीह ए ताबूत और ऊंटो पर अमारियां शामिल थीं।
इसके अलावा जुलूस में हजरत अब्बास की निशानी अलम, हजरत इमाम हुसैन के छ माह के बेटे हजरत अली असगर का गहवारा और हजरत इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक जुलजनाह भी साथ-साथ था।
इस बार एक क्विंटल ड्राई फ्रूट से बना आलम भी शामिल किया गया। अजादारों ने इन तबर्रुकात की जियारत कर दुआयें मांगी। जुलूस विक्टोरिया स्ट्रीट से नक्खास चौराहा,टूरियागंज, हैदरगंज, बुलाकी अडडा, एवरेडी चौराहा होते हुये देर शाम तालकटोरा कर्बला पहुंच कर संपन्न हुआ। शहर में जन्माष्टमी और चेहल्लुम एक साथ होने की वजह से चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात की गई थी।