नाइजीरिया के इस्लामी आंदोलन के नेता ने ज़ायोनी सरकार को ख़त्म होने वाली सरकार के रूप में याद किया कि जो अपने अंत के मार्ग में अग्रसर है।
नाइजीरिया के इस्लामी आंदोलन के नेता शैख़ इब्राहीम ज़कज़की ने इराक़ के पवित्र नगर कर्बला में" नेदाये अलअक़सा" नामक मोकिब में हाज़िर होकर कहा कि अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सरकार हिल गयी है और वह अपने अंत का मार्ग तय कर रही है।
शैख़ ज़कज़की ने ज़ायोनी सरकार को मिलने वाली नाकामियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ग़ासिब व क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार का अंत तूफ़ान अलअक़्सा से आरंभ हो गया है और अल्लाह की इच्छा से जल्द की उसका अंत होगा यह मात्र अच्छी उम्मीद व सोच नहीं है बल्कि इस मामले में मौजूद प्रमाण इस बात के सूचक हैं।
नाइजीरिया के मुसलमानों के नेता ने आगे कहा कि आज और इतना लहू बहाने के बाद अल्लाह की इच्छा से ग़ज़ा को सफ़लता मिलेगी और उसके बाद फ़िलिस्तीन विजयी होगा और हम शीघ्र ही मस्जिदुल अक़्सा में नमाज़ अदा करेंगे।
एक ज़ायोनी विशेषज्ञ हागी उल्शान्तिस्की ने इससे पहले एक लेख में लिखा था कि सात अक्तूबर को पेश आनी घटना ने विदित में विजयी होने के मापदंड को बदल दिया है और अब इस्राईल को मिलने वाली विजय का अस्तित्व ही नहीं है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।
प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 40 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 92 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें