सुरक्षा शहीदों के परिवारों के एक समूह ने आज सुबह (रविवार) इमाम खुमैनी के हुसैनीया में इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला खामेनेई से मुलाकात की।
इस्लामी क्रांति के नेता ने आज सुबह सुरक्षा शहीदों के परिवारों के साथ एक बैठक में कहा: दो रात पहले ज़ायोनी शासन की बुराई को न तो बढ़ाया जाना चाहिए और न ही कम किया जाना चाहिए। उन्हें ईरानी राष्ट्र और देश के युवाओं की ताकत, इच्छाशक्ति और पहल को समझना चाहिए।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा: सुरक्षा के लिहाज से, समाज की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। लोगों के दिलों मे डर और संदेह पैदा करना खारिज कर दिया गया है और कुरान इस संबंध में स्पष्ट है।
दो रात पहले ज़ायोनी शासन के बुरे कदम के संबंध में क्रांति के नेता ने कहा: बढ़ा चढ़ा कर बताना और कम करके बताना दोनों गलत हैं, ज़ायोनी शासन की गणना त्रुटि को ठीक किया जाना चाहिए, हमें उन्हें ईरानी राष्ट्र की शक्ति, क्षमता, पहल और इच्छाशक्ति का एहसास कराना चाहिए। दूसरा बिंदु इस कदम से संबंधित है, उन्होंने दो रात पहले यहां जो किया वह दुष्ट है। खैर उन्होंने गलती की, बेशक वे उसको बढ़ा चढ़ा रहे हैं जोकि गलत है, लेकिन ध्यान दें कि इसको कम करके बताना भी गलत है। हम कहते हैं: "नहीं; कुछ भी नहीं था, कोई फ़र्क नहीं पड़ता'' ये भी ग़लत है।
क्रांति के नेता ने कहा: ज़ायोनी शासन की गणना त्रुटि का समाधान किया जाना चाहिए। ईरान की तुलना में उनकी गणना में त्रुटि है। वे ईरान को नहीं जानते, वे ईरान के युवाओं को नहीं जानते, वे ईरानी राष्ट्र को नहीं जानते, वे अभी भी ईरानी राष्ट्र की ताकत, क्षमता, पहल और इच्छाशक्ति को ठीक से समझ नहीं पाए हैं। हमें उन्हें यह समझाना होगा।'
उन्होंने कहा: हमारे अधिकारियों को काम की गुणवत्ता को पहचानना चाहिए और वही करना चाहिए जो इस देश और इस देश की जनता के लिए सबसे अच्छा हो। [ज़ायोनीवादियों] को अवश्य जानना चाहिए कि ईरानी राष्ट्र कौन है, ईरानी युवा कैसे हैं, यह विचार, यह प्रेरणा, यह साहस, यह तैयारी जो आज ईरानी राष्ट्र में मौजूद है, वह स्वयं एक सुरक्षा निर्माता है। हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए।
आयतुल्लाह खामेनेई ने कहा: साइबर स्पेस के संबंध में निर्णय लेने वालों को समाज की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। देश के अधिकारियों को लोगों की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा बनाए रखनी चाहिए। जो लोग साइबरस्पेस से जुड़े हैं उन्हें इन बातों पर ध्यान देना चाहिए, हर बात साइबरस्पेस में प्रकाशित नहीं होनी चाहिए। देखिए इसका असर क्या होता है, इसका लोगों की सोच पर, लोगों की भावना पर क्या असर होता है। जो लोग वर्चुअल स्पेस के बारे में निर्णय लेना चाहते हैं, जिसका अब अक्सर उल्लेख और चर्चा की जाती है, वे मामले के इस पहलू पर ध्यान दें, इस बात पर ध्यान दें कि साइबर स्पेस में, एक गलत विश्लेषण, एक गलत खबर, किसी मुद्दे की गलत धारणा लोगों को चिंतित, संदेह और भयभीत कर सकती है।