इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि सरकार, अधिकारियों, राजनेताओं और कूटनयिकों सहित देश की जनता को पश्चिम के तथाकथित मानवाधिकारों के दावों की गहन समीक्षा करनी चाहिए। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने जुमे की नमाज़ पढ़ाने वाले इमामों के साथ तेहरान में सोमवार को भेंट में कहा कि पश्चिम ने इस्लामी जगत सहित पूरब पर अपने राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और हर प्रकार के वर्चस्व को विस्तृत कर रखा है और अपनी वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगतियों के माध्यम से वह यह दर्शाना चाहता है कि विश्व में हर चीज़ का मापदंड केवल पश्चिम ही है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि एसे में कि जब पूरा विश्व पश्चिमी वर्चस्व का शिकार था, ईरान की इस्लामी क्रांति ने इस्लामी शिक्षाओं के प्रति कटिबद्ध रहते हुए पूर्ण स्वावलंबन के आधार पर सफलता प्राप्त की जिससे पश्चिम को गहरा आघात लगा। उन्होंने कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति की विस्तृत होती विचारधारा और उसकी पहचान से पश्चिम बुरी तरह से बौखला गया और उसने इससे मुक़ाबले के लिए जटिल योजनाबंदी की। आयतुल्ला ख़ामेनेई ने कहा कि वर्तमान समय में क्षेत्र और मुस्लिम जगत की परिस्थतियां कुछ एसी हैं जिसके कारण वे सोचते हैं कि हम इस्लामी क्रांति की विचारधारा के मुक़ाबले में पीछे रह गए हैं। इसी आधार पर अपने इस पिछड़ेपन को समाप्त करने के लिए पश्चिम, अपनी समस्त क्षमताओं का प्रयोग कर रहे हैं। वरिष्ठ नेता ने कहा कि पश्चिम के मुक़ाबले में हमें डटे रहना चाहिए क्योंकि उन्होंने दर्शा दिया है कि वे किसी पर भी दया नहीं करते और मानवाधिकारों के उनके तथाकथित दावों के विरुद्ध, लाखों लोगों की हत्या और जनसंहार से उन्हें कोई अंतर नहीं पड़ता। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि झूठ बोलना पश्चिमी नेताओं की पुरानी आदत है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि यह लोग हिरोशिमा तथा नागासाकी की परमाणु त्रासदी, प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में लाखों निर्दोष लोगों की हत्याओं और इराक, अफ़ग़ानिस्तान एवं पाकिस्तान में जनसंहार से बिल्कुल भी चिन्तित एवं विचलित नहीं हैं। वरिष्ठ नेता ने कहा कि भविष्य में भी जहां पर उनके हित में होगा वहां पर जनसंहार करवाने में वे बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाएंगे।