अफगानिस्तान के परवान प्रांत के ग़ूरबंद क्षेत्र पर अमेरिका के हालिया हवाई हमले में कम से कम १३ आम व्यक्ति मारे गये जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। अफगानिस्तान के आवासीय क्षेत्रों पर अमेरिका के हवाई हमले उस स्थिति में जारी हैं जब काबलु-वाशिंग्टन सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर के लिए हामिद करज़ई की एक शर्त इन हमलों का बंद होना है। वाइट हाउस के एक प्रवक्ता जे कार्नी ने एक प्रेस कांफ्रेन्स में कहा है कि काबुल- वाशिंग्टन सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर के लिए अफगान सरकार के पास कुछ सप्ताहों का समय है। उन्होंने इस बयान के साथ कि समय बीतने के साथ अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों के चले जाने के लिए कार्यक्रम बनाना कठिन हो जायेगा, कहा कि काबुल- वाशिंग्टन सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर के बिना अफगानिस्तान में विदेशी सैनिकों की उपस्थिति असंभव हो जायेगी। अलबत्ता वाइट हाउस के प्रवक्ता के बयान को अफगान राष्ट्रपति के प्रवक्ता के प्रतिक्रिया का सामना हुआ। इमेल फैज़ी ने कहा है कि काबुल- वाशिंग्टन सुरक्षा समझौते के लिए अफगानिस्तान की शर्तें परिवर्तित नहीं हुई हैं और इस समझौते पर हस्ताक्षर के लिए काबुल की शर्तों को पूरा होना चाहिये।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने कुछ समय पूर्व कहा था कि अमेरिकी सरकार ने काबुल-वाशिंग्टन सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर के लिए धमकी दी है। हामिद करज़ई ने एक फ्रांसीसी समाचार पत्र के साथ साक्षात्कार में कहा है कि अमेरिका काबुल-वाशिंग्टन सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर के लिए एक साम्राज्यवादी शक्ति की भांति व्यवहार कर रहा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने अमेरिकी धमकियों के विभिन्न पहलुओं की ओर संकेत करते हुए कहा कि अमेरिकी अधिकारी कह रहे हैं कि वे अफगानिस्तान की वित्तीय सहायता बंद कर देंगे और अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों के चले जाने की स्थिति में अफगानिस्तान को गृहयुद्ध का सामना होगा। बहरहाल जानकार हल्कों का मानना है कि अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों के चले जाने से अफगानिस्तान की बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जायेगा। क्योंकि अफगान जनता का मानना है कि उसकी बहुत सी कठिनाइयों की जड़ इस देश में विदेशी सैनिकों की उपस्थिति है।