इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने आर्थिक प्रतिरोधक नीतियों को अर्थव्यवस्था के विकास और आर्थिक व्यवस्था के मार्ग में एक दीर्घावधि कार्यक्रम की संज्ञा दी है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मंगलवार को विभिन्न संस्थाओं के अधिकारियों, अर्थशास्त्रियों और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को संबोधित करते हुए आर्थिक प्रतिरोधक नीति को एक मज़बूत और सुदृढ़ कार्यक्रम बताया और कहा कि प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था की ओर झुकाव केवल ईरान से ही विशेष नहीं है और हालिया वर्षों के दौरान वैश्विक आर्थिक संकट के दृष्टिगत बहुत से देशों ने अपनी परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अंतर्गत अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का काम आरंभ कर दिया है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान एक ओर वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है और अपने इस संपर्क को बनाए रखना चाहता है और दूसरी ओर अपनी स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और विश्व शक्तियों के वर्चस्व को स्वीकार न करने के कारण, अतिक्रमण, दुर्भावना और रुकावटों का शिकार है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने ख़तरनाक तत्वों के मुक़ाबले में प्रतिरोध की शक्ति को प्रतिरोधक अर्थव्यस्था की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता बताया और कहा कि विश्व के आर्थिक संकट, प्राकृतिक आपदाएं और आर्थिक प्रतिबंधों की भांति, शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियां ख़तरनाक तत्व समझे जाते हैं। उन्होंने शत्रुओं की ओर से आरंभ किये गये एक भरपूर आर्थिक युद्ध से मुक़ाबले को प्रतिरोधक अर्थव्यस्था की नीति के गठन का कारण बताते हुए कहा कि आर्थिक प्रतिबंध, परमाणु ऊर्जा का मामला उठाए जाने से पहले लगे थे, इसीलिए यदि परमाणु मुद्दे पर वार्ता सफल होती है तब भी प्रतिबंध जारी रहेंगे, इसीलिए यह मुद्दा, मानवाधिकार और दूसरे अन्य मुद्दे केवल बहाना हैं।