महिलाओं के प्रति पश्चिम के विचारः रूढ़िवादी व पुराने

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महिलाओं के प्रति पश्चिम के विचारः रूढ़िवादी व पुराने

वरिष्ठ नेता ने पैगम्बरे इस्लाम की पुत्री हज़रत फातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के जन्म दिवस के अवसर पर इस्लामी समाज में महिलाओं के स्थान के बारे में महत्वपूर्ण बयान दिया है।

पैगम्बरे इस्लाम की पुत्री हज़रत फातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के जन्म दिवस के अवसर पर ईरान की हज़ारों बुद्धिजीवियों महिलाओं ने वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई से भेंट की। इस भेंट में वरिष्ठ नेता ने महिलाओं के मामले में पश्चिम के ग़लत और रूढ़िवादी विचारों को आधार और केन्द्र बनाने से बचने की सलाह दी और महिलाओं की अपार संभावनाओं के सही उपयोग के लिए इस्लामी शिक्षा को आधार बनाने को महत्वपूर्ण रणनीति घोषित किया।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने महिलाओं के विषय को इस्लाम के मानवीय दृष्टिकोणों के आधार पर परखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आध्यात्मिक ऊंचाइयों को तय करने के संबंध में महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं है और केवल इस यात्रा के रूप अलग अलग हैं अतः इस प्रक्रिया के जहां कुछ संयुक्त मंच हैं वहीं स्वाभाविक रूप से कुछ ऐसे मंच भी हैं जो एक दूसरे से अलग हैं। वास्तव में ईरान में महिलाएं, हज़रत फातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा को अपना आदर्श मानती हैं और यही कारण है कि आज ईरान की महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अपार सफलताएं अर्जित कर रही हैं।

महिलाओं के प्रति पश्चिम के विचारः रूढ़िवादी व पुराने

ईरान की महिलाओं ने इसी प्रकार, देश की इस्लामी क्रांति के आंदोलन के दौरान भी हज़रत फातेमा ज़हरा को अपना आदर्श बना कर विभिन्न क्षेत्रों में संर्घषरत पुरुषों के साथ भरपूर सहयोग किया है किंतु पश्चिम में महिलाओं की स्थिति ईरान और इस जैसे देशों के पूर्ण रूप से भिन्न है। जैसा कि वरिष्ठ नेता ने बल दिया, पश्चिम ने विभिन्न कारणों से महिलाओं के विषय की गलत समीक्षा की है और अपनी इसी गलत विचारधारा को पूर्व विश्व में प्रचलित किया और इस संदर्भ में उन्होंने किसी और को बोलने तक की अनुमति नहीं दी।

पश्चिम में महिलाओं को पूर्ण रूप से भौतिक दृष्टि से देखा जाता है बल्कि उसे एक सामान समझा जाता है। पश्चिम का प्रयास है कि वह यह विचार धारा विभिन्न देशों में फैलाए और इसे एक संस्कृति के रूप में पूरे विश्व में प्रचलित कर दे। वरिष्ठ नेता ने इसी ओर संकेत करते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि महिलाओं के बारे में पश्चिम की गलत विचारधारा के सामने डट जाना चाहिए और नयी दिखने वाली इस पुरानी व रूढ़िवादी विचारधारा को मन व मस्तिष्क से मिटा देना चाहिए

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