तेहरान की नमाज़े जुमा के इमाम ने परमाणु वार्ताकार टीम से अपील की है कि वे परमाणु वार्ता में सदैव होशियार रहें और पूर्ण रूप से राष्ट्रीय हितों की ओर क़दम बढ़ाएं।
आज तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा आयतुल्लाह मुहम्मद अली मुवह्हिदी किरमानी की इमामत में अदा की गयी। उन्होंने नमाज़े जुमा के भाषण में ईरान के साथ परमाणु वार्ता में अमरीकी उल्लंघनों की ओर संकेत करते हुए बल दिया कि जनता के सभी वर्ग को परमाणु वार्ताकार टीम का भरपूर समर्थन करना चाहिए क्योंकि उसे बहुत कठिनाइयां हैं।
आयतुल्लाह मुहवह्हिद किरमानी ने अमरीकी विदेशमंत्री जान कैरी के उस बयान की ओर संकेत करते हुए कि ईरान को वार्ता में कठिन निर्णय लेने होंगे, कहा कि वार्ता को परिणाम तक पहुंचाने के लिए अमरीका को कठिन निर्णय लेना चाहिए और ईरानी राष्ट्र तथा अन्य देशों के संबंध में उसे अपने धूर्ततापूर्ण रवैय को समाप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्र तर्कसंगत बातों और क़ानून पर विश्वास रखता है किन्तु अमरीका कभी भी ईरानी राष्ट्र से शत्रुता नहीं छोड़ेगा।
उन्होंने कहा कि अमरीका की करतूतों को देखते हुए ईरानी राष्ट्र, अमरीका पर भरोसा नहीं करता, क्योंकि ईरानी राष्ट्र से उसका विश्वासघात कई बार सिद्ध हो चुका है। आयतुल्लाह मुवह्हिद किरमानी ने परमाणु शस्त्रों के वर्जित होने के संबंध में वरिष्ठ नेता के फ़तवे की ओर संकेत करते हुए बल दिया कि ईरान ने परमाणु शस्त्रों की प्राप्ति का प्रयास न तो किया है और न ही कभी करेगा।
उन्होंने ईरान में मानवाधिकार के हनन के हवाले से अमरीका के आरोपों की ओर संकेत करते हुए कहा कि स्वयं पश्चिम इस हवाले से दोहरे मापदंड रखता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्थिति के बारे में ईरान और अमरीका के दृष्टिकोणों में मूल अंतर है क्योंकि ईरान दुनिया में अत्याचार ग्रस्त लोगों का समर्थक है और अमरीका रक्तपात और युद्ध की आग भड़काने पर विश्वास रखता है और इसका मुख्य उदाहरण सीरिया है।