तेहरान की जुमे की नमाज़ के इमाम ने ज़ायोनी शासन के विरोध को ईरानी राष्ट्र की एकता का आधार बताया।
तेहरान की जुमे की नमाज़ के ख़ुतबे में आयतुल्लाह सय्यद अहमद ख़ातेमी ने विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियों में ईरानी जनता की व्यापक उपस्थिति के लिए तीनों पालिकाओं, धर्मगुरुओं, राजनैतिक दलों, और हस्तियों की ओर से की गयी अपील की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह एकता ही ईरानी राष्ट्र का मार्ग है।
उन्होंने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह को ज़ायोनी शासन से संघर्ष में अग्रणी रहने वालों में बताया और कहा कि इस्लामी क्रान्ति के संस्थापक ने विश्व क़ुद्स दिवस की घोषणा कर फ़िलिस्तीन के विषय को भुलाए जाने से बचा लिया।
आयतुल्लाह सय्यद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि ईरान फ़िलिस्तीन की पीड़ित जनता के प्रति समर्थन का केन्द्र था और है और फ़िलिस्तीन के बहुआयामी समर्थन पर उसे गर्व है।
उन्होंने 66 साल पहले से लेकर अब तक दैर यासीन, कफ़्र क़ासिम और सब्रा व शतीला के जनसंहार को इस्राईल की पाश्विकता व नृशंस्ता का उदाहरण बताया।
उन्होंने ग़ज़्ज़ा पर आठ जुलाई से अब तक इस्राइली सेना के जारी हमलों को इस्राईल की निर्दयी नीति का उदाहरण बतया कि इन हमलों में आठ सौ से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी शहीद और पांच हज़ार से ज़्यादा घायल हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को प्रतिरोध से सम्मान मिलेगा। आयतुल्लाह ख़ातेमी ने कहा कि अमरीका,ब्रिटेन और जर्मनी जान लें कि बच्चों के जनसंहार का समर्थन अपने राष्ट्रों के साथ ग़द्दारी है। उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुए कि ग़ज़्ज़ा के संबंध में कुछ इस्लामी देशों, अरब संघ और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की पोल खुल गयी कहा कि आपकी अरबी व इस्लामी ग़ैरत कहा चला गयी कि पूरी तरह नाकाबंदी में घिरे एक राष्ट्र को मरते हुए देख रहे हैं जबकि अमरीका का न तो मानवाधिकार और न ही आतंकवाद से संघर्ष में विश्वास है।
तेहरान की जुमे की नमाज़ के इमाम ने आतंकवादी गुट आईएसआईएल या दाइश को विश्व साम्राज्य का पिट्ठु बताया जिसे इस्राईल की ओर से समर्थन मिल रहा है वरना वह फ़िलिस्तीन की पीड़ित जनता का साथ देता।