लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार को प्रतिरोधकर्ताओं की सराहना करते हुए बल दिया कि विश्व क़ुद्स दिवस का महत्त्व हर दिन हमारे लिए पहले से अधिक स्पष्ट होता जा रहा है और आज ग़ज़्ज़ा में प्रतिरोध सफल हो गया।
उन्होंने विश्व क़ुद्स दिवस की केन्द्रीय रैली को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व क़ुदस दिवस के अवसर पर ग़ज़्ज़ा के हालिया परिवर्तनों से यह आवश्यक हो गया कि सुरक्षा कारणों के बावजूद हम आप लोगों से यहां भेंट करूं।
विश्व क़ुद्स दिवस का प्रतिदिन बढ़ता महत्त्व
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि विश्व क़ुद्स दिवस का निर्धारण स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने किया ताकि फ़िलिस्तीन का मुद्दा लोगों के मन में जीवित रहे। उन्होंने विश्व क़ुद्स दिवस को फ़िलिस्तीन के मुद्दे को जीवित रखना बताया।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि जितने दिन गुज़र रहे हैं इस विषय का महत्त्व उतना ही बढ़ता जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमरीका और पश्चिमी देशों देशों का कामना है कि वे ज़ायोनी शासन के हित में फ़िलिस्तीन के मुद्दे को भुला बिसरा कर दें। हिज़बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस बात की ओर संकेत करते हुए कि शत्रु, फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को इस्लामी और अरबी वातावरण से अगल करने की चेष्टा में हैं, कहा कि यदि हमने ज़ायोनी शत्रु से संघर्ष में तनिक भी लापरवाही की तो वे अपने लक्ष्यों को व्यवहारिक बना लेंगे। उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शत्रुओं ने अरब देशों के लिए समस्याएं खड़ी कर दीं ताकि यह देश अपने मुद्दों में उलझ कर फ़िलिस्तीन के मुद्दे को भूल जाएं।
इस्लामी क्रांति ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे को जीवित रखा
सैयद हसन नसरुल्लाह ने षड्यंत्रकारी योजनाओं का विरोध करने और प्रतिरोध के विकल्प को चुनने के बारे में कुछ अरब देशों विशेषकर सीरिया की प्रशंसा की और कहा कि स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में ईरान में इस्लामी क्रांति सफल हुई और उसने बैतुल मुक़द्दस और फ़िलिस्तीनियों के समर्थन को अपनी कार्य सूचि में शामिल कर लिया।
सैयद हसन नसरुल्लाह के अनुसार सीरिया की दृढ़ता और इस्लामी क्रांति की सफलता और इनके द्वारा प्रतिरोध की नीति अपनाए जाने के कारण फ़िलिस्तीन के मुद्दे को जीवित रखने में सहायता मिली।
उन्होंने बल दिया कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र अपने दुखों और कष्टों के बावजूद, अपनी धरती तथा अपने पवित्र स्थलों की स्वतंत्रता और अपने सिद्धांतों पर डटी रही और उसने खुलकर कहा दिया है कि वह अपना प्रतिरोध जारी रखेगा और ज़ायोनी शासन के सामने घुटने नहीं टेकेगा। हिज़बुल्लाह के महासचिव ने स्पष्ट किया कि विश्व जनमत से फ़िलिस्तीन के मुद्दे को मिटाने के लिए समस्त प्रयासों के बावजूद, यह मुद्दा यथावत वैश्विक तथा क्षेत्रीय जनमत में जीवित है।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि फ़िलिस्तीन और फ़िलिस्तीन के बाहर रहने वाले फ़िलिस्तीनी यथावत अपनी धरती और अपने पवित्र स्थलों के बारे में सोचते रहते हैं और वे ज़ायोनी शासन के साथ हर प्रकार के षड्यंत्र के विरोधी हैं। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ज़ायोनी शासन के समस्त अपराधों के बावजूद फ़िलिस्तीनी राष्ट्र, यथावत ज़ायोनी शासन के समक्ष डटा हुआ है।
जो कुछ हम क्षेत्र में देख रहे हैं वह एक लक्ष्यपूर्ण विध्वंस और शत्रुता पैदा करने केलिए है। सीरिया यथावत ज़ायोनी शासन के षड्यंत्रों के समक्ष एक मज़बूत दीवार है और वह सदैव फ़िलिस्तीनी मुद्दे और प्रतिरोध का समर्थन करता रहेगा। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन राष्ट्र और प्रतिरोध ने दृष्टिकोणों में मतभेद के पाये जाने के बावजूद अतिग्रहण के समय से आज तक फ़िलिस्तीन के मुद्दे को अपनी प्राथमिकता में रखा है।
हम बहुत ही संवेदनशील चरण में हैं
हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा कि हम, फ़िलिस्तीन के अतिग्रहण के काल से अब तक सबसे संवेदनशील चरण में हैं। उन्होंने कहा कि आज हम राष्ट्रों के मध्य मतभेद और शत्रुता तथा विवाद के साक्षी हैं।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने यह बयान करते हुए कि इराक़ में एक गुट ने इस्लाम के नाम पर इस देश को समस्या में ग्रस्त कर दिया है, कहा कि हम इराक़ में धार्मिक स्थलों और चर्चों के ध्वस्त होने विशेषकर मस्जिदुल की तबाही के प्रति चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामी समाज को आज बहुत ही विषम परिस्थिति का सामना है और इसकी सबसे अधिक बलि फ़िलिस्तीनी चढ़ रहे हैं।
ग़ज़्ज़ा पर हमले का लक्ष्य, फ़िलिस्तीनियों के इरादों को कमज़ोर करना है।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ग़ज़्ज़ा पट्टी पर इस्राईल का अतिक्रमण, फ़िलिस्तीनियों के इरादों को कमज़ोर करने और उनके हौसलों को पस्त करने के उद्देश्य से आरंभ हुआ है। उन्होंने ग़ज़्ज़ा की निर्दोष जनता पर इस्राईल के पाश्विक ज़मीनी और हवाई हमलों और इन हमलों में बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों के मारे जाने तथा इस हृदय विदारक घटना पर विश्व समुदाय विशेषकर कुछ अरब देशों के मौन की ओर संकेत करते हुए कहा कि फ़िलिस्तीनी जियालों ने प्रतिरोध में इतिहास रच दिया। उन्होंने कहा कि रणक्षेत्र में फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं का डटे रहना और उनका राजनैतिक संघर्ष बहुत ही निर्णायक होगा। उन्होंने कहा कि हमने जुलाई वर्ष 2006 में जो कुछ लेबनान में देखा था आज वही निराधार बहानों के साथ ग़ज़्ज़ा पट्टी में देख रहे हैं। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ज़ायोनी शासन ने तीन ज़ायोनियों के अपहरण के बाहने ग़ज़्ज़ा पर अतिक्रमण किया।
उन्होंने बल दिया कि रणक्षेत्र के परिवर्तन और राजनैतिक दृढ़ता, ग़ज़्ज़ा पर अतिक्रमण में निर्णायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस्राईल का लक्ष्य प्रतिरोध और प्रतिरोध के हथियारों को नष्ट करना है और ग़ज़्ज़ा पट्टी में इस्राईल तथा उसके घटकों के लक्ष्य प्राप्त होने का यह अर्थ है कि प्रतिरोध विजयी हो गया।
इस्राईल सैन्य और गुप्तचर मैदान में मार खा गया
सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस बात की ओर संकेत करते हुए कि ग़ज़्ज़ा पट्टी में प्रतिरोध द्वारा खोदी गयी सुरंगों और मीज़ाइलों सहित प्रतिरोध के आधारभूत ढंचे की पहचान में इस्राईल की सैन्य गुप्तचर संस्था मुंह की खा गयी, कहा कि इस्राईल की वायु सेना भी रणक्षेत्र में मुंह की खाई क्योंकि मीज़ाइलों को फ़ायर करने का क्रम यथावत जारी है और ज़मीनी अभियान में भी टीकाकारों के अनुसार इस्राईल हार गया। इन टीकाकारों का कहना है कि हमारी सबसे मज़बूत टुकड़ी गोलानी गुट भी मात खा गया। उनका कहना था कि इस्राईल ग़ज़्जा में अभी तक अपने लक्ष्य नहीं पूरे कर सका और यह इस्राईल की पराजय का मुंह बोलता प्रमाण है। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि इस्राईल, फ़िलिस्तीनी गुटों के नेताओं की हत्याएं करवाने और प्रतिरोध की मीज़ाइलों को रोकने में बुरी तरह विफल रहा है।
ईरान, सीरिया और हिज़्बुल्लाह सदैव फ़िलिस्तीन राष्ट्र के साथ रहे हैं
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने बल दिया कि ईरान, सीरिया और लेबनान का इस्लामी प्रतिरोध विशेषकर हिज़्बुल्लाह ने समस्त राजनैतिक व सामरिक स्तर पर प्रतिरोधकर्ताओं का सदैव से भरपूर समर्थन किया है और इसमें तनिक भी लापरवाही नहीं की है। उन्होंने कहा कि हिज़्बुल्लाह सदैव से फ़िलिस्तीनियों के साथ था और रहेगा और हम फ़िलिस्तीनियों के हर गुट की सहायता करते रहेंगे और फ़िलिस्तीन राष्ट्र के समर्थन में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे।