लेबनान के प्रतिरोध आंदोलन के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि सीरिया में हिज़्बुल्लाह की कार्यवाही इस देश की अशांति को लेबनान में फैलने से रोकने के लिए है।
उन्होंने लेबनान के अलअख़बार समाचार पत्र से विशेष इंटर्व्यू में जो शुक्रवार को प्रकाशित हुआ, कहा कि दाइश के राक्षस क्षेत्र में फैल गए हैं तो जो कोई इन राक्षसों के सामने डटे ताकि राष्ट्रों को विनाश से बचाए तो उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए न यह कि उसे बुरा भला कहा जाए।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा कि इस समय सबको उसी ख़तरे का सामना है जिसके बारे में हिज़्बुल्लाह ने तीन साल पहले कहा था। आज सब उसी के बारे में बात कर रहे हैं। सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि आज जिस व्यक्ति में क्षमता है उस पर अनिवार्य है कि वह लेबनान, सीरिया, इराक़, फ़िलिस्तीन सहित पूरे क्षेत्र में मुसलमानों, ईसाइयों और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए लड़ाई में शामिल हो।
उन्होंने इसी प्रकार आतंकवादी गुट आईएसआईएल या दाइश के अपने इलावा दूसरों को जान से मारने के बर्बरतापूर्ण कृत्यों की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ लोग इराक़ की घटनाओं को शीया-सुन्नी लड़ाई कह रहे हैं किन्तु वे बताएं कि नैनवा और सलाहुद्दीन प्रांतों में शीयों की कितनी आबादी है? उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने सुन्नी समुदाय के लोगों को बड़ी संख्या में बेघर कर दिया, उनकी मस्जिदों, मज़ारों और क़ब्रस्तानों को शीयों के रौज़ों से पहले ध्वस्त कर दिया, सुन्नी मस्जिदों के इमामों और सुन्नी क़बीले के सरदारों को मार डाला सिर्फ़ इस बात पर कि उन्होंने दाइश के स्वंयभू ख़लीफ़ा की बैअत अर्थात आज्ञापालन को रद्द कर दिया था।
लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने इसी प्रकार इराक़ में ईसाइयों और ईज़दियों जैसे अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ आईएसआईएल के दूसरे कृत्यों की ओर इशारा करते हुए पूछा कि यह कौन सा इंसाफ़ है कि दसियों हज़ार लोग पहाड़ों में पनाह लें और उन्हें घेरा जाए यहां तक कि वे दुनिया के सामने भूख और प्यास से मर जाएं?
सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ऐसा लगता है कि दाइश के पास जो युद्धक सामग्री है वह बहुत है इसलिए यह कहा जा सकता है कि बहुत बड़ा ख़तरा है जिसकी ओर से सभी को चिंतित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ सरकारें जानती हैं कि उन्होंने किन्हें प्रशिक्षित किया है, इसलिए अब वे दाइश को सबसे बड़ा ख़तरा मानती हैं क्योंकि वे जानती हैं कि उनके पास क्या चीज़ें हैं। सय्यद हसन नसरुल्लाह ने बल दिया कि दाइश के ख़तरे से बिल्कुल निपटा जा सकता है, उसे पराजित किया जा सकता है किन्तु इसके लिए गंभीरता की ज़रूरत है।