इस्लामी एकता कान्फ़्रेंस के मेहमानों और ईरान की इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों ने वरिष्ठ नेता से भेंट की।
वरिष्ठ नेता ने तेहरान में शुक्रवार की सुबह पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस सलाम के शुभ जन्म दिवस पर तेहरान में हुयी इस भेंट में, देश के अधिकारियों, एकता कांफ़्रेंस के मेहमानों और जनता के एक समूह को संबोधित करते हए कहा, “मुसलमान राष्ट्र के एक दूसरे के साथ होने से इस्लामी जगत की शान बढ़ती है।” उन्होंने कहा कि इस साल इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम में आपने देखा कि कई मिलियन लोग इकट्ठा थे और इस महान क़दम की पूरी दुनिया में चर्चा हुयी।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम के जन्म की ख़ुशी सिर्फ़ ज़बान और बातचीत तक सीमित नहीं रहनी चाहिए बल्कि उनके एकता पर आधारित संदेश को व्यवहारिक बनाना इस्लामी देशों की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होनें कहा कि सभी मुसलमानों को चाहिए कि पवित्र क़ुरआन को आधार बनाकर साम्राज्य के अगुवा अमरीका और ख़तरनाक कैंसर रूपी विश्व ज़ायोनीवाद के प्रतीक इस्राईल के ख़िलाफ़ डट जाएं और आपस में एक दूसरे के प्रति मेहरबान रहें।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने इस्लाम के दुश्मनों के फूट डालने के षड्यंत्र के सफल होने पर गहरा खेद जताते हुए बल दिया कि अगर मुसलमान राष्ट्र अपनी अपार क्षमताओं के साथ छोटी बातों के बजाए मूल बातों पर एकजुट हों तो इस्लामी जगत की तरक़्क़ी निश्चित होगी और इस्लमी जगत में एकता से पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की शान बढ़ेगी।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने बल दिया कि शीयों और सुन्नियों के बीच फूट डालने वाले हाथ, दुश्मन की जासूसी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं, वह कथित शीया मत कि जिसका ब्रिटेन के जासूसी संगठन एम आई-6 से संबंध हो, वह वास्तविक शीया मत नहीं और वह कथित सुन्नी मत जो सी आई का पिट्ठु हो, वह वास्तविक सुन्नी मत नहीं है, बल्कि दोनों ही इस्लाम के विरुद्ध हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ क्षेत्रीय सरकारों ने ईरान से दुश्मनी को अपनी विदेश नीति का आधार बना रखा है, जो बड़ी ग़लती और कॉमन सेन्स के ख़िलाफ़ है बल्कि इसके विपरीत ईरान की नीति पड़ोसी मुसलमान राष्ट्रों से मित्रता पर आधारित है।