हम युद्ध नहीं चाहते पर उससे डरते नहीं

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हम युद्ध नहीं चाहते पर उससे डरते नहीं

हिज्बुल्लाह के महासचिव ने कहा है कि यह संभव नहीं है कि इस्राईल लोगों की हत्या करे और फिर शांति से भी रहे।

 सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार को दक्षिणी लेबनान में कुनैतरा के शहीदों के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान कहा कि हिज़्बुल्लाह युद्ध से नहीं डरता।

 उन्होंने सीरिया के कुनैतरा में हिज्बुल्लाह के सदस्यों पर इस्राईल के हमले की ओर संकेत करते हुए कहा कि आरंभ से ही हमने बदले का संकल्प कर लिया था और जब अवसर आया तो हमने फैसला लेने में दस मिनट का भी समय नहीं लगाया।

 उन्होंने गत रविवार को इस्राईली सैनिकों पर हिज्बुल्लाह के आक्रमण का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने दिन के उजाले में हम पर हमला किया था हमने भी दिन के उजाले में उन पर हमला किया, उन्होंने हम पर दो वाहनों द्वारा हमला किया था हमने भी उन पर दो वाहनों से हमला किया उन्होंने हमारे सदस्यों की हत्या की और हमने उनके सैनिकों को मार डाला।

 उन्होंने कहा कि इस्राईली हमले और हमारे जवाब में यह अंतर है कि इस्राईल ने छुप कर और पीछे से हमला किया था जबकि हिज्बुल्लाह ने सामने से हमला किया और तत्काल हमले की ज़िम्मेदारी स्वीकार भी कर ली।

 उन्होंने कहा कि हम अपने दोस्तों को बताना चाहते हैं कि हम युद्ध नहीं चाहते किंतु युद्ध से डरते नहीं हैं और जब भी हिज़्बुल्लाह का कोई सदस्य कहीं भी मारा जाएगा तो हम इस हत्या का ज़िम्मेदार इस्राईल को समझेंगे और किसी भी स्थान पर किसी भी शैली से किसी भी समय बदला लेने को अपना अधिकार समझते हैं।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि इस्राईल को सीरिया में सक्रिय अन्नुस्रा फ्रंट से डर नहीं लगता लेकिन वह हिज़्बुल्लाह से डरता है।

 उन्होंने कहा कि इस्राईल को अन्नुस्रा फ्रंट से कोई समस्या नहीं है और हज़ारों आतंकवादी इस्राईल व सीरिया के मध्य आवाजाही करते हैं।

 उन्होंने कहा कि यदि दूसरे लोग अपनी अपनी समस्याओं के कारण फिलिस्तीन को भूल जाना चाहते हैं तो हम सब को यह बताना चाहते हैं कि हम किसी भी स्थिति में फिलिस्तीन, फिलिस्तीनियों और इस्राईल को नहीं भूलने वाले।

उन्होंने अरब समाज की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब इस्राईल के खिलाफ युद्ध होता है तो अरब देशों की ओर से न कोई आर्थिक मदद होती है न ही हथियार मिलते हैं और न ही अरबी संचार माध्यम साथ देते हैं

किंतु जब सीरिया इराक या सीना में युद्ध होता है तो अरब देशों की ओर से हथियार, धन सब कुछ मिलता है और अरब मीडिया भी उनके साथ खड़ा नज़र आता है।  

 

 

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