इराक़ की उच्च इस्लामी परिषद के प्रमुख ने देश के विभाजन और उसके विध्वंसक परिणामों की ओर से सचेत किया है।
सफ़ीर न्यूज़ एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार इराक़ की उच्च इस्लामी परिषद के प्रमुख सैयद अम्मार हकीम ने रविवार को बग़दाद में राजनीति और विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि इराक़ विभाजित हुआ तो इससे केवल ज़ायोनी शासन लाभ उठाएगा।
अम्मार हकीम ने कहा कि इस्राईल क्षेत्र के देशों को कमज़ोर करने के लिए होने वाले समस्त प्रयासों से लाभ उठाता है और यदि इराक़ विभाजित हुआ तो छोटे देश और विभाजन के परिणाम में अस्तित्व में आने वाले छोटे क्षेत्रों को विभिन्न चुनौतियों और भीषण मतभेदों का सामना करना पड़ेगा।
इराक़ की उच्च इस्लामी परिषद के के प्रमुख ने समस्त इराक़ी पार्टियों और जनता के हर वर्ग के मध्य एकता और एकजुटता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इराक़ की वर्तमान समस्याएं, विभाजन के बाद पैदा होने वाली समस्याओं से बहुत कम हैं। सैयद अम्मार हकीम ने कहा कि आंतरिक एकजुटता, विदेशी शक्तियों के षड्यंत्रों को सफल होने नहीं देगी और अपने देश के बारे में फ़ैसला करने का अधिकार केवल इराक़ी जनता को है और उन्हें समस्त फ़ैसलों में अपने राष्ट्रीय हितों को दृष्टिगत रखना चाहिए।
इराक़ की उच्च इस्लामी परिषद के प्रमुख ने कहा कि दूसरों के षड्यंत्रों और योजनाओं का आधार, उनके अपने हित हैं और इराक़ियों को अपने हितों की रक्षा का प्रयास स्वयं करना चाहिए। सैयद अम्मार हकीम ने बल दिया कि इराक़ी कुर्दों, शीयों और सुन्नियों के हित समान हैं।
उन्होंने इराक़ के विभाजन के विध्वंसक परिणाम और उसके क्षेत्र के दूसरे देशों में बढ़ने की ओर से सचेत किया और कहा कि धार्मिक नेतृत्व, इराक़ में शांति का रक्षक है और उसने देश के सामने आने वाली समस्त चुनौतियों में सहायता की है।