इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि आतंकी गुटों से मुक़ाबले का मार्ग, इस्लामी गतिविधियों में जनता को शामिल करना और बौद्धिक व वैचारिक आंदोलनों को मज़बूत बनाना है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार को तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रपति क़ुरबान क़ुली बरदी मुहम्मदोफ़ से मुलाक़ात में ईरान व तुर्कमनिस्तान के निकट व मैत्रीपूर्ण संबंधों और द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार तथा क्षेत्र में भड़काई जा रही आग से मुक़ाबले के लिए मौजूद क्षमताओं की ओर संकेत करते हुए कहा कि आतंकी गुटों से मुक़ाबले और उनके प्रभाव को विफल बनाने का मार्ग, सही इस्लामी गतिविधियों में जनता को शामिल करना और संतुलित व बौद्धिक आंदोलनों को मज़बूत बनाना है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी व मुस्लिम देशों की सुरक्षा व प्रगति इस्लामी देशों के हित में है और ईरान व तुर्कमनिस्तान की सीमाएं, दोनों देशों के लिए शांति व संतोष की सीमाएं रही हैं। वरिष्ठ नेता ने लोगों के सिर काटने और उन्हें जलाने जैसे आतंकी गुटों के पाश्विक अपराधों को इस्लाम से इन गुटों का दूर दूर तक संबंध न होने की निशानी बताया और कहा कि इस्लाम, दूसरों के साथ बंधुत्व, प्रेम और सद्भावना का धर्म है और इन अपराधों का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है।
इस मुलाक़ात में तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रपति क़ुरबान क़ुली बरदी मुहम्मदोफ़ अपनी तेहरान यात्रा पर प्रसन्नता जताते हुए वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात को अपने लिए गर्व की बात बताया और कहा कि दोनों देशों के संबंध सदैव अच्छे रहे हैं और वे एक दूसरे के हर सुख-दुख के साथी हैं। उन्होंने इसी प्रकार क्षेत्र की राजनैतिक स्थिति को अनुचित बताते हुए आतंकी गुट दाइश के अपराधों की ओर संकेत किया और कहा कि दाइश और उस जैसे गुट इस्लाम से कोसों दूर हैं और बड़े खेद की बात है कि कुछ सरकारें इनका समर्थन करती हैं।