इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों में से एक हैं। वह हिजरी क़मरी की दूसरी सदी की महान हस्ती हैं। इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने बहुत से राजनीतिक और सामाजिक कार्यों को स्पष्ट करने की बुनियाद रखी और लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया।
इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम इमाम जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम के सुपुत्र हैं और उनका जन्म 128 हिजरी क़मरी में हुआ था और उनकी प्रसिद्ध उपाधि अब्दुस्सालेह और बाबुल हवाएज है और वह सातवें इमाम हैं।
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने लोगों के मार्गदर्शन का ईश्वरीय दायित्व संभाला और 35 वर्षों तक उनकी इमामत रही।
इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की इमामत के दौरान कई अत्याचारी अब्बासी ख़लीफ़ाओं की सरकारें रहीं। इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम को अब्बासी ख़लीफ़ा ने मदीना से इराक़ बुला लिया और लोगों को जागरुक करने वाली और न्यायप्रेमी गतिविधियों के कारण कई वर्षों तक इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम को जेल में रखा गया।
इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के सबसे प्रसिद्ध सुपुत्र का नाम इमाम अली बिन मूसा रज़ा है। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का पवित्र रौज़ा ईरान के मशहद नगर में स्थित है जबकि उनकी बहन हज़रत फ़ातेमा मासूमा सलामुल्लाह अलैहा का पवित्र रौज़ा ईरान के क़ुम नगर में स्थित है।
इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने तौहीद, नबुअत, इमामत, माअद अर्थात क़यामत, धार्मिक और नैतिक विषयों के बारे में छोटी- बड़ी हज़ारों हदीसों को बयान किया है। इसी प्रकार इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने विभिन्न क्षेत्रों में बहुत से मेधावी, प्रतिभाशाली और होनहार शियों की प्रशिक्षा की है।
इसी प्रकार इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने यहूदी और ईसाई विद्वानों से विभिन्न मुनाज़रे किये हैं जिनका वर्णन और उल्लेख इतिहास और हदीस की किताबों में किया गया है।
"मुस्नद अलइमाम अलकाज़िम"नाम की एक किताब है। इस किताब में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की तीन हज़ार से अधिक हदीसों को जमा किया गया है जिनमें से कुछ को इमाम के अनुयाइयों ने नक़्ल व बयान किया है।
लोगों को जागरुक बनाने वाली सामाजिक गतिविधियों के कारण इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम को कई बार जेल में बंद किया गया और अंत में अब्बासी ख़लीफ़ा हारून के आदेश से इमाम को ज़हर देकर शहीद कर दिया गया।
शिया और सुन्नी किताबों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम अपने समय में ज्ञान, उपासना, सहनशीलता और दान में अपनी मिसाल ख़ुद थे यानी कोई भी उनके समान नहीं था। दूसरे शब्दों में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम सद्गुणों की प्रतिमूर्ति थे।
अहले सुन्नत की महान हस्तियां एक धार्मिक विद्वान के रूप में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम का सम्मान करते थे और पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों से प्रेम करने वालों की भांति उनकी पावन समाधि की ज़ियारत करने के लिए जाते थे।
सातवें इमाम, इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम और नवें इमाम, इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम का पवित्र रौज़ा इराक़ के बग़दाद नगर के उत्तर क़ाज़ेमैन नगर में स्थित है और हज़ारों लोग उनकी ज़ियारत के लिए जाते हैं।
यहां हम इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के कुछ कथनों का वर्णन कर रहे हैं।
इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया है कि ज़मीन पर अल्लाह के कुछ बंदे हैं जो लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। वे प्रलय के दिन उसके अज़ाब से सुरक्षित हैं।
سَمِعتُ أبَا الحَسَن عليه السلام يَقُول: اِنَّ لِلّهِ عِبادا فىِ الأَرْضِ يَسْعَوْنَ فىحَوائِجِ النّاسِ هـُمُ الاْمِنُونَ يـَوْمَ القِيـامَةِ. [وسائل الشيعه، ج 11 ص 582.]
मोअम्मर बिन ख़ल्लाद कहता है कि मैंने सुना है कि इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम फ़रमाया कि मैंने लोगों के ज्ञान को चार चीज़ों में पाया। पहला यह कि तुम अपने पालनहार को पहचानो, दूसरे तुम यह जानो कि उसने तुम्हारे साथ और तुम्हारे लिए क्या किया, तीसरे यह जानो कि वह तुमसे क्या चाहता है और चौथे यह जानो कि कौन सी चीज़ तुम्हें तुम्हारे धर्म से बाहर कर रही है।
عَـنِ الكاظِـم عليه السلام: وَجَدْتُ عِلْمَ النّاسِ فى اَرْبَـعٍ: اَوَّلُــها اَنْ تَعْرِفَ رَبَّكَ، وَالثّانِيَةُ اَنْ تَعْرِفَ ما صَنَعَ بِكَ، وَالثّـالِثَةُ اَنْ تَعْـرِفَ مـا اَرادَ مِنْكَ، وَالرّابِعَةُ اَنْ تَعْرِفَ ما يُخْرِجُكَ مِنْ دينِكَ. [كشف الغمّه، ج 3 ص 45.]
अल्लाह के धर्म की पहचान
इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं अल्लाह के धर्म को समझो और उसमें चिंतन- मनन करो। बेशक धर्म की पहचान अंतर्दृष्टि की कुंजी और कमाले इबादत है।
عَن مُوسَى بنِ جَعفَر عليه السلام: تَفَـقَّـهُوا فى ديـنِ اللّه ِ، فَإنَّ الْفِقْهَ مِفْتاحُ الْبَصيرَةِ وَتَمامُ الْعِبادَةِ. [مسند الامام الكاظم عليه السلام، ج 3 ص 249.]
दुनिया के बारे में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं
दुनिया समुद्र के पानी की भांति है। प्यासा जितना भी उससे पीये प्यास बढ़ती जाती है यहां तक कि वह प्यासे को मार डालती है।
مِن وَصِيَّةِ مُوسَى بنِ جَعفَر عليه السلام: مَثَلُ الدُّنْيا مَثَلُ ماءِ الْبَحْرِ كُلَّما شَرِبَ مِنْهُ الْعَطْشـانُ ازْدادَ عَطَشا حَتّى يَقْتـُلَهُ. [بحارالانوار، ج 75 ص 311.]
सब्र व धैर्य के महत्व के बारे में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं" धैर्य करने वाले के लिए एक मुसीबत है जबकि बेसब्रे के लिए दो है।
قالَ الكاظِم عليه السلام: اَلْمُصيبَةُ لِلصّابِرِ واحِدَةٌ وَلِلْجـازِعِ اثنـَتـانِ. [بحارالانوار، ج 75، ص 326.]
तन्हाई में अल्लाह से शर्म करना
अकेले व तन्हाई में अल्लाह से शर्म करने के बारे में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं तन्हाई में अल्लाह से उस तरह शर्म करो जिस तरह लोगों के सामने शर्म करते हो।
عَنِ الكاظِم عليه السلام: اِسْتَحْيـُوا مِنَ اللّه ِ فى سـَرائِـرِكُمْ كَما تَسْتَحْيُونَ مِنَ النّاسِ فى عَلانِيَتِكُمْ. [تحف العقو، ص 394]
इंसान की अक़्ल आंतरिक हुज्जत है। इस बारे में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने हेशाम बिन हेकम से फ़रमाया। अल्लाह की लोगों पर दो हुज्जते हैं एक खुली व स्पष्ट हुज्जत और दूसरी पोशिदा व निहित हुज्जत किन्तु खुली हुज्जत पैग़म्बर और रसूल हैं जबकि बुद्धि आंतरिक व निहित हुज्जत है। MM
قالَ مُوسَى بنُ جَعفَر عليه السلام: اِنَّ لِلّهِ عَلَى النّاسِ حُجَّتَيْنِ حُجـَّةً ظاهِـرَةً وَحُجـَّةً باطِنـَةً، فَاَمَّا الَّظاهِرَةُ فَالرُّسُلُ وَالأَنْبِياءُ وَالأَئِمَّةُ، وَاَمـَّا الْبـاطِنـَةُ فَالْعـُقـُولُ. [اصول كافى ج 1 ص 16]