फ़ातिमा, पैग़म्बर (स) के वजूद का एक हिस्सा

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फ़ातिमा, पैग़म्बर (स) के वजूद का एक हिस्सा

पवित्र पैग़म्बर (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) ने एक रिवायत में हज़रत फातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) की अहम जगह के बारे में बताया है जो उनके और पवित्र पैग़म्बर (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) के बीच गहरे और अटूट रिश्ते को दिखाता है।

निम्नलिखित रिवायत "बिहार उल अनवार" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार हैः

رسول خدا صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم نے فرمایا:

«إِنَّمَا فَاطِمَهُ شِجْنَهٌ مِنِّی، یَقْبِضُنِی مَا یَقْبِضُهَا، وَ یَبْسُطُنِی مَا یَبْسُطُهَا.

पैग़म्बर (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम) ने फ़रमाया:

फ़ातिमा मेरे वजूद का एक हिस्सा है। जो उसे दुखी करता है वह मुझे दुखी करता है और जो उसे खुश करता है वह मुझे खुश करता है।

बिहार उल अनवार, भाग 43, पेज 19

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