*यौमे वफ़ात हज़रत उम्मुल बनीन (स)*

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*यौमे वफ़ात हज़रत उम्मुल बनीन (स)*

जनाबे उम्मुल बनीन (स) अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की ज़ौजा और अलमदारे करबला हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की माँ थीं। इन की विलादत कूफ़ा शहर के नज़दीक हुईं थीं।

आप का असली नाम फ़ातिमा ए कलाबिया था।

जनाबे उम्मुल बनीन (स) के पिता हज़्ज़ाम बिन ख़ालिद बिन रबी कलाबिया थे तथा आप को अरब के प्रसिध्द बहादुरों में गिना जाता था एवं अपने क़बीले के सरदार भी थे और आप की माता का नाम समामा (ثمامه) था।

रिवायत में बयान हुआ है कि जनाबे फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) की शहादत के कुछ महीनों बाद इमाम अली अलैहिस्सलाम ने अपने बड़े भाई जनाबे अक़ील को बुलाया जो कि उस समय के सबसे बड़े नसब शिनास थे और उन से कहा कि ऐ भाई अक़ील! मुझे किसी ऐसी औरत के बारे में बताओ कि जिससे मैं विवाह कर सकूं ताकि ख़ुदा उसके ज़रिए मुझे एक दिलेर और बहादुर बेटा दे। तब जनाबे अक़ील ने हज़रत अली (अ) को जनाबे उम्मुल बनीन (स) और उनके परिवार के बारे में बताया और कहा कि ऐ अली! तुम फ़ातिमा ए कलाबिया से विवाह करो। क्योंकि मैं अरब में उनके ख़ानदान से अधिक बहादुर किसी को नहीं जानता हूं। इमाम अली (अ) ने जनाबे अक़ील की बात से सहमत होकर जनाबे उम्मुल बनीन (स) से विवाह कर लिया।

विवाह के बाद जब जनाबे उम्मुल बनीन (स) हज़रत अली (अ) के घर में आईं तो आप ने इमाम अली (अ) से कहा कि ऐ मेरे आक़ा! आज से आप मुझे उम्मुल बनीन यानी बच्चों की माँ कहा करें ताकि ऐसा न हो कि आप मुझे फ़ातिमा कहकर पुकारें और हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) के बच्चे अपनी माँ को याद करके ग़मज़दा हो जायें।

जनाबे उम्मुल बनीन (स) ने जनाबे फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) की औलाद को अपने बच्चों से अधिक मोहब्बत दी और सदा अपने बच्चों को नसीहत की कि देखो! तुम अली (अ) की औलाद ज़रूर हो लेकिन अपने आप को हमेशा फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) के बच्चों का ग़ुलाम समझना।

जब करबला की घटना के बाद बशीर ने आपको आपके चारों बेटों (हज़रत अब्बास, जाफ़र, अब्दुल्लाह, उस्मान अ.) की शहादत की ख़बर दी तो जनाबे उम्मुल बनीन (स) ने कहा कि ऐ बशीर! तूने मेरे दिल के टुकड़े टुकड़े कर दिये और ज़ोर ज़ोर से रोना शुरू कर दिया। बशीर ने कहा कि ख़ुदावंद आप को इमाम हुसैन (अ) की शहादत पर अजरे अज़ीम इनायत करें, तो उम्मुल बनीन (स) ने जवाब दिया, मेरे सारे बेटे और जो कुछ भी इस दुनिया में है सब मेरे हुसैन (अ) पर क़ुरबान...

आप के चार बेटे हज़रत अब्बास, अब्दुल्लाह, जाफ़र और उस्मान (अ) थे जो सब के सब करबला के मैदान में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ शहीद हुए।

जनाबे उम्मुल बनीन (स) ने 13 जमादिस्सानी सन 64 या 70 हिजरी में मदीना शहर में वफ़ात पाई और आप की क़ब्र जन्नतुल बक़ी क़ब्रिस्तान में है।

? *अल्लाह हुम्मा अज्जिल ले वलियेकल फ़रज...*

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